Moradabad: मदरसे ने 13 साल की छात्रा के सामने रखी वर्जिनिटी टेस्ट की शर्त! पिता बोले- न्याय न मिला तो जान दे देगी बेटी

छात्रा के पिता ने रोते हुए कहा कि मेरी बेटी ने किसी का क्या बिगाड़ा था जो नफरत और झूठे इल्जामों से उसका भविष्य अंधकार में धकेल दिया गया. अगर न्याय न मिला तो बेटी अपनी जान दे देगी.

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मुरादाबाद के एक मदरसे पर लगे गंभीर आरोप (Photo- AI Generated)  मुरादाबाद के एक मदरसे पर लगे गंभीर आरोप (Photo- AI Generated)

जगत गौतम

  • मुरादाबाद ,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST

यूपी के मुरादाबाद जिले में एक शख्स ने मदरसा प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उसने कहा है कि मदरसा प्रशासन ने उसकी 13 वर्षीय बेटी के चरित्र पर झूठे और शर्मनाक आरोप लगाकर उसकी जिंदगी तबाह कर दी. पूरा मामला पाकबड़ा स्थित जामिया असानुल बनात गर्ल्स मदरसा का है.  

बकौल पिता- उनकी बेटी को बदनाम करने और पढ़ाई से रोकने के लिए साजिश रची गई. अगली कक्षा में प्रवेश देने से पहले वर्जिनिटी (मेडिकल) टेस्ट कराने की शर्त रखी गई. हद तो तब हो गई जब परिवार ने इसका विरोध किया तो मदरसा प्रबंधन ने बच्ची की टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) निकालने की धमकी दी.  

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बच्ची के पिता का कहना है कि 500 रुपये वसूली के बाद भी न तो टीसी दी गई और न ही फीस लौटाई गई. उल्टा उन्हें यह कहकर धमकाया गया कि अगर उन्होंने शिकायत की तो बच्ची का भविष्य बर्बाद कर दिया जाएगा. कोई भी संस्था उसे दोबारा दाखिला नहीं देगा, वो आगे पढ़ नहीं पाएगी. 

पिता का आरोप

पिता ने कहा- “मेरी बेटी ने किसी का क्या बिगाड़ा था? कुछ लोगों की नफरत और झूठे इल्जामों ने मेरी बच्ची का भविष्य अंधकार में धकेल दिया. हम लोगों से उसका मेडिकल करवाने की मांग की जा रही है. अगर न्याय न मिला तो वह अपनी जान दे देगी.”

गौरतलब है कि परिजनों ने मदरसा द्वारा जारी किए गए टीसी दस्तावेज की प्रति अधिकारियों को सौंपी. इसमें कथित तौर पर मेडिकल टेस्ट का जिक्र दर्ज है. अब इस मामले की जांच की जा रही है. एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह ने मामले की पुष्टि की है. 

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एसपी सिटी ने बताया कि एक व्यक्ति ने एसएसपी को तहरीर दी है, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए हैं. मामले की बारीकी  से जांच की जा रही है. जो भी तथ्य/साक्ष्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. 

टीचर का बयान 

आरोपों पर मदरसा के टीचर मोहम्मद सलमान का कहना है कि ऐसा लफ्ज जुबान पर लाना मुमकिन ही नहीं है. एक बच्चा थोड़ी पढ़ रहा है और भी बच्चे हैं. गुस्से में गलत बोलकर आदमी की बेइज्जती खुद हो रही है. ऐसा इल्जाम नहीं लगाना चाहिए जिसकी हकीकत कुछ नहीं है. बड़े अफसोस की बात है कि आदमी गुस्से में ऐसा इल्जाम लगा सकता है जिसे सुनकर भी शर्म आ जाए. एक छोटे से बच्ची के बारे में हम क्या कोई भी ऐसा नहीं कह सकता. इतना गंदा इल्जाम क्यों लगाया है ये उनसे ही पूछा जाए. 

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