बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार की मराठा आंदोलन को संभालने में हुई 'लापरवाही' पर कड़ी नाराजगी जताई. कोर्ट ने साफ कहा कि वो राज्य सरकार से संतुष्ट नहीं है. साथ ही आंदोलनकारियों को भी फटकार लगाई, जो 29 अगस्त की शाम से बिना पुलिस की अनुमति आजाद मैदान में डटे हुए हैं.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की बेंच ने कहा कि आप किसी जज को मजबूर नहीं कर सकते कि वह कोर्ट पहुंचने के लिए सड़क पर पैदल चले और कार्यवाही करे. सिर्फ इसलिए कि आपके प्रदर्शनकारी सड़क पर नाच रहे हैं, हाईकोर्ट का जज ऐसे नहीं चल सकता.
राज्य के एडवोकेट जनरल डॉ. बीरेन्द्र सराफ ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि पुलिस और सरकार ने आंदोलनकारियों को समझाने और हालात बिगड़ने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए. उन्होंने कहा कि हर जगह पुलिस ने कोर्ट के आदेश की घोषणा की है. बैनर-पोस्टर लगाए गए हैं, एलईडी स्क्रीन पर संदेश चल रहे हैं, लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट हो रहा है. प्रदर्शनकारियों की संख्या घटी है, उनकी गाड़ियां भी चली गई हैं, लेकिन कई लोग अब भी डटे हुए हैं. पुलिस सख्ती दिखाने के बजाय उनसे बातचीत कर रही है.
सराफ ने बताया कि आजाद मैदान खाली करने का नोटिस मनोज जरांगे को भी भेजा गया है. उन्होंने कहा कि जरांगे और अन्य आयोजक अगर बयान देकर लोगों से सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील करें और संख्या सीमित रखने का आश्वासन दें तो प्रदर्शन की अनुमति दी जा सकती है.
बेंच ने कहा उल्लंघन बर्दाश्त नहीं
इस पर बेंच ने तल्खी से कहा, 'तो आप जरांगे की लोकप्रियता पर निर्भर हैं? यह आपकी ज़िम्मेदारी थी कि 24 घंटे बाद ही कोर्ट आते जब लोग मैदान खाली नहीं कर रहे थे और संख्या 5000 से ऊपर पहुंच गई थी. आपकी लापरवाही से ही ये स्थिति बनी और लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी. हम आपके खिलाफ आदेश देंगे. हम बेहद असंतुष्ट हैं. सार्वजनिक हित में अदालत के आदेश का कई दिनों तक उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.'
कोर्ट से प्रदर्शन के लिए समय मांगा
कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को भी फटकार लगाई और कहा कि अगर उन्हें पुलिस से अनुमति बढ़ाए जाने का आदेश नहीं मिला था, तो उन्हें तुरंत कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था. क्या आप ये मानकर बैठ सकते हैं कि आदेश आपके पक्ष में आएगा? कानून में इसकी इजाजत नहीं है. हालांकि, प्रदर्शनकारियों की ओर से वकील सतीश मनेशिंदे, एमवी थोरात और आशीष राजे गायकवाड़ ने कोर्ट से समय मांगा ताकि आजाद मैदान में प्रदर्शन जारी रखा जा सके, क्योंकि सरकार ने सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है.
5000 से ज्यादा लोगों को मुंबई बुलाने का आरोप!
बेंच ने कहा कि 26 अगस्त और 1 सितंबर को दिए गए हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक जरांगे और अन्य आयोजकों पर 5000 से ज्यादा लोगों को मुंबई बुलाने का आरोप बन सकता है. कोर्ट ने साफ किया कि इस मुद्दे पर आगे कार्यवाही होगी, लेकिन अभी बयान देने को नहीं कहा जा रहा ताकि भविष्य की सुनवाई प्रभावित न हो.
कोर्ट ने आदेश में लिखा कि हमें यह स्पष्ट करना होगा कि कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए यह अदालत कोई भी आदेश देने को मजबूर होगी. अदालत के आदेश का उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी.
विद्या