ट्रंप को लगा उन्हीं के टैरिफ का डंक... इस साल 6 देशों ने रद्द की F-35 फाइटर जेट डील

ट्रंप के ऊंचे टैरिफ से अमेरिका का F-35 प्रोग्राम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. 2025 में पुर्तगाल, स्पेन ने सौदे रद्द किए. भारत ने F-35 खारिज किया. स्विट्जरलैंड-कनाडा रिव्यू कर रहे हैं. 150+ जेट रद्द किए गए हैं. अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है. अमेरिका फर्स्ट नीति अमेरिका के अपने हथियार प्रोग्राम पर उल्टी पड़ रही है.

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ये है अमेरिका का F-35 लाइटनिंग फाइटर जेट का क्लोज टॉप व्यू. (File Photo: Getty) ये है अमेरिका का F-35 लाइटनिंग फाइटर जेट का क्लोज टॉप व्यू. (File Photo: Getty)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति का मतलब है कि अमेरिका को पहले रखना. इसके तहत उन्होंने विदेशी सामान पर बहुत ऊंचे टैरिफ लगा दिए हैं. लेकिन यह नीति अमेरिका के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान F-35 के प्रोग्राम पर भारी पड़ रही है. 2025 में कई देशों ने F-35 खरीदने के सौदे रद्द कर दिए या रोक दिए. इससे लॉकहीड मार्टिन कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है. अमेरिकी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. 

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F-35 क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

F-35 लाइटनिंग II दुनिया का सबसे उन्नत स्टील्थ लड़ाकू विमान है. यह लॉकहीड मार्टिन कंपनी बनाती है. अमेरिकी सेना के अलावा 20 से ज्यादा देश इसे इस्तेमाल करते हैं. यह विमान दुश्मन के रडार से बच सकता है. हवा, जमीन व समुद्र पर हमला कर सकता है. लेकिन इसकी कीमत बहुत ऊंची है – हर जेट की लागत 80-100 मिलियन डॉलर. बड़े सौदे होने से कीमत कम रहती है. अगर विदेशी देश न खरीदें तो अमेरिका को ही ज्यादा महंगा पड़ता है.

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ट्रंप के टैरिफ: अमेरिका को बचाने की कोशिश, लेकिन उलटा असर

ट्रंप ने 2025 में विदेशी सामान पर 10% से 50% तक टैरिफ लगा दिए. यह रेसिप्रोकल टैरिफ कहलाता है – मतलब जो देश अमेरिकी सामान पर टैक्स लगाते हैं, उन पर भी वैसा ही. अप्रैल 2025 तक औसत टैरिफ 27% हो गया, जो 100 साल का रिकॉर्ड है. ट्रंप का कहना है कि इससे अमेरिकी नौकरियां बचेंगी. लेकिन F-35 के पार्ट्स दुनिया भर से आते हैं. टैरिफ से कीमत बढ़ गई, जिससे कई सहयोगी देश नाराज हो गए. वे अब यूरोपीय विमान जैसे राफेल, यूरोफाइटर या ग्रिपेन चुन रहे हैं. इससे F-35 का निर्यात संकट गहरा गया है.

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2025 के रद्द सौदे: देश-दर-देश नुकसान

  • पुर्तगाल ने मार्च 2025 में 36 F-35 जेट खरीदने का प्लान रद्द कर दिया. पुराने F-16 की जगह यूरोपीय विकल्प जैसे राफेल या ग्रिपेन चुन लिया.
  • भारत ने F-35 को पूरी तरह खारिज कर दिया. एयरो इंडिया 2025 में अमेरिका ने इसे दिखाया, लेकिन 50% टैरिफ की वजह से कीमत बहुत ऊंची हो गई. भारत अब अपनी स्वदेशी तकनीक और मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दे रहा है.
  • स्विट्जरलैंड का 36 जेटों का सौदा (9.1 बिलियन डॉलर) डगमगा रहा है. ट्रंप ने स्विस सामान जैसे घड़ियां और चॉकलेट पर 39% टैक्स लगाया, जो बाद में 15% हो गया. लेकिन स्विस सांसद नाराज हैं. 42000 लोगों ने रद्द करने की अपील पर हस्ताक्षर किए.
  • स्पेन ने 45-50 जेटों का सौदा तोड़ दिया. ट्रंप ने स्पेन को NATO के 5% डिफेंस खर्च न करने पर फटकार लगाई और टैरिफ की धमकी दी. स्पेन अब योरोजेटर या फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम खरीदेगा.
  • कनाडा ने 72 जेटों का सौदा रिव्यू कर लिया. 16 जेट मिल चुके हैं, लेकिन लागत बढ़ने और US पर भरोसे की कमी से परेशानी हो रही.
  • स्वीडन का ग्रिपेन 10,000 नौकरियां देने का वादा कर रहा है. कुल मिलाकर, 150 जेटों का नुकसान और 72 अनिश्चित.

एकमात्र जीत: सऊदी अरब का सौदा, लेकिन मुश्किलें बाकी

ट्रंप ने नवंबर 2025 में सऊदी अरब को F-35 बेचने की मंजूरी दी. यह नया ग्राहक है, लेकिन कांग्रेस की मंजूरी चाहिए. इज़रायल बहुत नाराज़ है क्योंकि F-35 की ताकत इज़रायल के पास थी. सऊदी-अमेरिका रिश्ते सुधारने के लिए यह कदम है, लेकिन अभी सौदा पक्का नहीं.

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अमेरिका पर क्या असर पड़ रहा है?

ये रद्द सौदे F-35 प्रोग्राम को 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान पहुंचा रहे हैं. पेंटागन ने 2026 के लिए खरीद कम कर दी. अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी बोझ – हर घर पर 1,200 डॉलर का अतिरिक्त टैक्स पड़ेगा. सहयोगी देश अब मेक इन यूरोप पर जोर दे रहे हैं. ट्रंप की नीति से NATO रिश्ते खराब हो रहे हैं. लॉकहीड मार्टिन को नौकरियां कम होने का डर है. कुल मिलाकर अमेरिका फर्स्ट- अमेरिका के ही हितों पर चोट कर रही है.

आगे क्या होगा?

वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि ऐसे टैरिफ महंगाई बढ़ाएंगे और व्यापार युद्ध छेड़ेंगे. F-35 का भविष्य अनिश्चित है. ट्रंप को शायद अपनी नीति बदलनी पड़े. उम्मीद है कि अमेरिका और उसके सहयोगी मिलकर समाधान निकालें, ताकि सुरक्षा और व्यापार दोनों मजबूत रहें.

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