पाकिस्तान के इतिहास में फौज और सियासतदान आपस में लड़े बहुत हैं. लेकिन ऐसा निजी, ऐसा ज़हरीला और ऐसा खुला बैर पहले कभी नहीं देखा गया. एक तरफ पूर्व प्रधानमंत्री और क्रिकेट के विश्व विजेता इमरान ख़ान – जो आज अदियाला जेल की सलाखों के पीछे है.
दूसरी तरफ पाकिस्तान के सबसे ताकतवर शख्स, आर्मी चीफ जनरल सैयद आसीम मुनीर – जिनका नाम लेते ही इमरान के समर्थक आग उगलने लगते हैं. कहानी शुरू हुई थी 2019 में एक फोन टैपिंग और 'बीवी की जासूसी' के इल्ज़ाम से…
फिर चली आर्मी चीफ की कुर्सी के खेल, साइफर, अविश्वास मत, 9 मई के दंगे, जेल, सजाएं और आज तक चल रही खूनी सियासी जंग तक. ये सिर्फ दो लोगों की दुश्मनी नहीं है – ये पूरी पाकिस्तानी फौज और एक पूर्व प्रधानमंत्री के बीच का युद्ध है. जिसमें एक ने दूसरे को 'गद्दार' कहा तो दूसरे ने पहले को 'देशद्रोही'. आइए, चलते हैं उस कहानी की गहराई में… जो जासूसी के खेल से शुरू हुई और तख्तापलट की कोशिशों तक पहुंच गई.
यह भी पढ़ें: राफेल में लगने वाली मिसाइल से लेकर फाइटर जेट के इंजन तक भारत में बनाएगी ये विदेशी कंपनी
2018 के चुनाव में इमरान ख़ान की पार्टी PTI सत्ता में आई. इमरान को फौज का पूरा साथ मिला था. उसी साल अक्टूबर में इमरान ने लेफ्टिनेंट जनरल आसीम मुनीर को ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) का डायरेक्टर जनरल बनाया. इमरान उस समय कहते थे – जनरल मुनीर हाफ़िज़-ए-कुरान हैं. बहुत नेक और ईमानदार अफसर हैं. दोनों की मुलाकातें होती थीं. फोटो खिंचवाते थे, सब कुछ बहुत अच्छा लगता था.
सिर्फ 8 महीने बाद जून 2019 में इमरान ने आसीम मुनीर को ISI से अचानक हटा दिया. पाकिस्तानी मीडिया और PTI के बड़े नेताओं के अनुसार असली वजह थी – इमरान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी ने शिकायत की थी कि ISI उनके और उनके रिश्तेदारों की जासूसी कर रही है.
बुशरा बीबी ने इमरान से कहा – आपके ISI चीफ मेरी बहनों और दोस्तों के फोन टैप करवा रहे हैं. मेरी निजी ज़िंदगी की हर बात उन तक पहुंच रही है. इमरान को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने तुरंत आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को बुलाया और मुनीर को हटाने का ऑर्डर दिया. मुनीर को गुजरांवाला कोर कमांडर बना कर साइड कर दिया गया. तब से मुनीर के दिल में इमरान के खिलाफ आग लगी हुई थी.
नवंबर 2022 में आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा रिटायर होने वाले थे. इमरान ख़ान उस समय भी प्रधानमंत्री थे (अप्रैल 2022 में अविश्वास मत से हटने से पहले तक). इमरान अपने दोस्त जनरल फैज़ हमीद (जो उस समय ISI चीफ थे) को आर्मी चीफ बनाना चाहते थे. लेकिन बाजवा ने आखिरी समय में सीनियॉरिटी लिस्ट में सबसे ऊपर आसीम मुनीर का नाम डाल दिया.
यह भी पढ़ें: PAK नेवी ने नई एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, उड़ाया जहाज
24 नवंबर 2022 को आसीम मुनीर पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ बने. इमरान ने इसे अपना सबसे बड़ा धोखा माना. उन्होंने खुलेआम कहा – मुनीर मुझसे पुराना बदला लेने के लिए आर्मी चीफ बना है.
अप्रैल 2022 में इमरान ख़ान को अविश्वास मत से हटा दिया गया. इमरान ने संसद में एक कागज लहराते हुए कहा – मेरे पास लिखित सबूत है कि अमेरिका ने आर्मी के कुछ लोगों के साथ मिलकर मुझे हटवाया है. उस कागज को साइफर कहा गया. इमरान का दावा था कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने पाकिस्तानी राजदूत को धमकी दी थी कि अगर इमरान हटे नहीं तो परिणाम बुरे होंगे. इमरान के समर्थक आज भी कहते हैं कि उस साजिश में आसीम मुनीर (तब सीनियर जनरल) और बाजवा शामिल थे.
9 मई 2023 को इमरान ख़ान को अल-कादिर ट्रस्ट केस में इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया. उसी दिन पूरे पाकिस्तान में PTI वर्कर्स ने बवाल काट दिया. लाहौर में कॉर्प्स कमांडर हाउस (जिन्ना हाउस) को जलाया गया. रावलपिंडी में आर्मी हेडक्वार्टर के गेट तोड़े गए. कई सैन्य ठिकानों पर पत्थरबाजी हुई.
इमरान ने जेल से मैसेज भिजवाया – ये सब आसीम मुनीर ने मेरे खिलाफ करवाया है. वो मुझे खत्म करना चाहते हैं. आर्मी ने इसे ब्लैक डे कहा और साफ कहा कि इसके पीछे इमरान ख़ान का हाथ है.
यह भी पढ़ें: US मिसाइल डिफेंस सिस्टम, बंपर डिफेंस बजट... चीन से भिड़ने को ऐसे तैयार हो रहा ताइवान
जनवरी 2024 में स्पेशल कोर्ट ने इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी को साइफर केस में 10-10 साल की सजा सुनाई. आर्मी का कहना था कि साइफर कोई गोपनीय दस्तावेज नहीं था, इमरान ने उसे राजनीतिक फायदा लेने के लिए लहराया. इमरान ने कहा – ये आसीम मुनीर का बदला है. वो मुझे जेल में सड़ाना चाहते हैं.
2024 के चुनाव में PTI समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरे. लेकिन रातों-रात नतीजे बदल दिए गए और शहबाज़ शरीफ फिर प्रधानमंत्री बन गए. इमरान और उनकी पार्टी ने खुलेआम आसीम मुनीर पर धांधली का इल्ज़ाम लगाया. PTI वाले मुनीर को 'मिर्ज़ा जाफर' और 'गद्दार नंबर-1' कहने लगे.
इमरान खान अभी भी अदियाला जेल, रावलपिंडी में बंद हैं. उनके ऊपर 190 से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं. नवंबर 2025 में आसीम मुनीर का कार्यकाल 2 साल और बढ़ा दिया गया है (अब 2027 तक रहेंगे). हर जेल से इमरान का एक ही मैसेज आता है – मेरा एक ही दुश्मन है – आसीम मुनी. PTI के सोशल मीडिया पर हर पोस्ट में मुनीर को गाली दी जाती है.
इमरान ख़ान का पक्ष: मुनीर ने मेरी बीवी की जासूसी की थी, इसलिए मैंने हटाया. अमेरिका ने मुनीर के हाथों मुझे हटवाया. 9 मई का बवाल मुनीर ने करवाया ताकि मुझे बदनाम किया जाए.
आसीम मुनीर और आर्मी का पक्ष: जासूसी का इल्ज़ाम बेबुनियाद है. इमरान ने फौज को राजनीति में घसीटा. 9 मई को फौज पर हमला हुआ, इसके लिए इमरान ज़िम्मेदार हैं.
पाकिस्तान के इतिहास में फौज और प्रधानमंत्री के बीच झगड़े होते रहे हैं, लेकिन इमरान और आसीम मुनीर की दुश्मनी सबसे निजी और सबसे खतरनाक है. एक तरफ जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री, दूसरी तरफ सबसे ताकतवर आर्मी चीफ. जब तक इनमें से कोई एक पूरी तरह हार नहीं मान लेता या सत्ता से बाहर नहीं हो जाता, ये जंग चलती रहेगी.
ऋचीक मिश्रा