बिहार में मां के दूध में मिला यूरेनियम, 6 जिलों में मिले 40 केस... नवजातों पर मंडराया कैंसर का खतरा

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि बिहार की 40 स्तनपान कराने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम का अत्यधिक उच्च स्तर पाया गया है. महावीर कैंसर संस्थान, एम्स दिल्ली और अन्य संस्थानों की संयुक्त टीम द्वारा किए गए इस शोध में भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा की महिलाओं के नमूनों में U-238 मिला, जिसमें खगड़िया और कटिहार में स्तर सबसे अधिक थे.

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शोधकर्ताओं के अनुसार 70 प्रतिशत शिशुओं में गैर-कार्सिनोजेनिक स्वास्थ्य जोखिम की आशंका है. (Photo: Representational) शोधकर्ताओं के अनुसार 70 प्रतिशत शिशुओं में गैर-कार्सिनोजेनिक स्वास्थ्य जोखिम की आशंका है. (Photo: Representational)

मिलन शर्मा

  • पटना,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नई वैज्ञानिक स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. अध्ययन के अनुसार, स्तनपान कराने वाली 40 मांओं के ब्रेस्ट मिल्क के सैंपल में यूरेनियम का अत्यधिक उच्च स्तर पाया गया है. यह अध्ययन पटना के महावीर कैंसर संस्थान की ओर से डॉ. अरुण कुमार और प्रो. अशोक घोष की अगुवाई में किया गया, जिसमें एम्स, नई दिल्ली के बायोकैमिस्ट्री विभाग से डॉ. अशोक शर्मा की टीम भी शामिल थी.

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अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच किए गए इस शोध में भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा की 17 से 35 वर्ष आयु की 40 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क के नमूनों का विश्लेषण किया गया. सभी नमूनों में यूरेनियम (U-238) पाया गया, जिसकी मात्रा 0 से 5.25 g/L के बीच दर्ज की गई. ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम के लिए दुनिया में कोई अनुमेय सीमा निर्धारित नहीं है. 

खगड़िया में यूरेनियम का स्तर सबसे ज्यादा

खगड़िया में औसत स्तर सबसे अधिक, नालंदा में सबसे कम और कटिहार में एकल-नमूने में सबसे अधिक मात्रा पाई गई. लगभग 70 प्रतिशत शिशुओं में ऐसे स्तरों के संपर्क का जोखिम पाया गया, जो संभावित गैर-कार्सिनोजेनिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं. एम्स के को-ऑथर डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि यूरेनियम का स्रोत अभी स्पष्ट नहीं है. 

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उन्होंने बताया, 'हम अभी नहीं जानते कि यूरेनियम कहां से आ रहा है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भी इसकी जांच कर रहा है. दुर्भाग्य से यूरेनियम फूड चेन में प्रवेश कर जाता है और कैंसर, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं तथा बच्चों के विकास पर गंभीर प्रभाव डालता है, जो अत्यंत चिंता का विषय है.'

पर्यावरणीय स्थिति ने बढ़ाई समस्या

बिहार की पर्यावरणीय स्थिति ने समस्या को और बढ़ा दिया है. राज्य में पेयजल और सिंचाई के लिए भूजल पर अत्यधिक निर्भरता, बिना ट्रीटमेंट वाले औद्योगिक अपशिष्टों का निस्तारण और लंबे समय से रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग ने पहले ही जीववैज्ञानिक नमूनों में आर्सेनिक, लेड और मरकरी जैसी धातुओं का स्तर बढ़ा दिया है. अब ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम की मौजूदगी यह संकेत देती है कि प्रदूषण राज्य की सबसे कमजोर आबादी- शिशुओं- तक पहुंच गया है.

कैंसर का जोखिम

शिशु यूरेनियम के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनके अंग अभी विकसित हो रहे होते हैं, वे विषैले धातुओं को अधिक अवशोषित करते हैं और उनके हल्के शरीर के कारण जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. यूरेनियम किडनी को नुकसान पहुंचाता है, न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें पैदा करता है और आगे चलकर कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है.

पानी में मिलता था यूरेनियम, अब ब्रेस्ट मिल्क में भी मिला

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वैश्विक स्तर पर कनाडा, अमेरिका, फिनलैंड, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, बांग्लादेश, चीन, कोरिया, मंगोलिया, पाकिस्तान और मेकांग डेल्टा में भूजल में यूरेनियम की ऊंची मात्रा की रिपोर्ट मिल चुकी है. लेकिन बिहार में इसका ब्रेस्ट मिल्क में पाया जाना इस समस्या को एक नए, गंभीर स्तर पर ले जाता है. चौंकाने वाले नतीजों के बावजूद शोधकर्ताओं ने जोर देकर कहा है कि स्तनपान जारी रखना चाहिए.

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