भारत में कई किस्मों के पान के पत्तों की खेती होती है. इसमें मसाला पान, बनारसी पान, कलकत्ता पान प्रमुख हैं. इन पत्तों का उपयोग खाने के अलावा धार्मिक आयोजनों में भी होता है. महाराष्ट्र के सांगली में पान की ऐसी ही एक किस्म की खेती कर किसान अपनी किस्मत बदल रहे हैं. यहां के किसान नागवेली पान की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में भी काम आते हैं पान के पत्ते
नागवेली पान के पत्ते अपने औषधीय गुण के चलते लोकप्रिय है. इनका इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में किया जाता है. इससेनागवेली पान के पत्तों का व्यवसायिक महत्व भी बढ़ गया है. इन पत्तों का निर्यात देश के अन्य राज्यों में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसके चलते किसानों सालभर ठीक-ठाक आय की भी मिल जाती है.
पूरे देश में नागवेली पान के पत्तों की डिमांड
नागवेली पान के पत्तों का बाजार पूरे देश में उपलब्ध है. यहां रेट व्यापारी नहीं बल्कि किसान तय कर सकता है. इन पत्तों की डिमांड इतनी है कि इन्हें खुद व्यापारी किसानों के खेतों में पहुंचकर खरीदते हैं. हालांकि, पान की खेती करना थोड़ा मुश्किल माना जाता है. इनके पत्तों को तोड़ने के लिए किसी अनुभवी श्रमिक की जरूरत होती है. ऐसा नहीं करने पर पान के पत्तों को नुकसान पहुंच सकता है. इन सबके बावजूदन इसकी खेती किसानों को बढ़िया मुनाफा दे जाती है.
सहजन और मिर्च के पौधों के साथ की जाती है पान के पत्तों की खेती
सांगली में पान के पत्तों को सहजन या फिर मिर्च के पौधों के सहारे उगाया जाता है. जब तक पान के पत्ते परिपक्व और तोड़ने लायक नहीं हो जाते हैं, तब तक किसान मिर्च और सहजन के पौधों से मुनाफा कमाता है. इससे किसानों को दोगुना मुनाफा मिलता है. साथ ही किसानों को प्रतिदिन ठीक-ठाक आय भी हासिल हो जाती है. सांगली में बड़ी संख्या में किसान पान की खेती की खेती की तरफ रूख कर अपनी किस्मत बदल रहे हैं.
( सांगली से स्वाति चिखलकर की रिपोर्ट)