पपीते की खेती करते समय किसान अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो कम लागत में ही अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. पपीते के पौधे को खाद और उर्वरकों की भारी मात्रा में जरूरत होती है. इसकी पूर्ति के लिए किसानों को अलग-अलग खाद डालना चाहिए. आइए जान लेते हैं कि पपीते की खेती में अधिक पैदावार पाने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए.
पपीते के पौधों में ऐसे डालें खाद
पपीते में खाद की पूर्ति के लिए 400 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 400 ग्राम पोटैशियम प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए. खाद की यह मात्रा छह अलग-अलग हिस्से में देनी चाहिए. हर पौधे को साल में एक बार 20-25 किलो गोबर की खाद भी दी जानी चाहिए. साल में एक बार पपीते के पौधे में 20-25 किलोग्राम गोबर की खाद भी दी जानी चाहिए. सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक सल्फेट (0.5 परसेंट) और बोरेक्स (0.1 परसेंट) का छिड़काव वृद्धि और उपज को बढ़ाने के लिए किया जाता है.
ऐसे करें सिंचाई
आमतौर पर पपीते के पौधों में सर्दियों के मौसम में हर 2 हफ्ते में और गर्मियों में 9 से 10 दिनों में सिंचाई की जरूरत होती है. पानी की समस्या वाले क्षेत्रों में पानी के बेहतर उपयोग के लिए ड्रिप सिंचाई की जा सकती है.
ऐसे रोकें खरपतवार
पपीते के खेत में खरपतवार को रोकने के लिए रोपाई के पहले गहरी निराई-गुड़ाई करें. खरपतवार को रोकने के लिए फ्लूक्लोरालिन 45 परसेंट का प्रयोग 1.5-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से कम से कम 4-5 महीनों में किया जाना चाहिए.
ऐसे करें फलों की तुड़ाई
पपीते के छिलके का रंग गहरे हरे से हल्के हरे रंग में बदलने के बाद फल की तुड़ाई की करना चाहिए, क्योंकि फल पकने के अंतिम चरण के दौरान शर्करा जमा करता है. व्यापार के लिए पपीते की कटाई तब की जाती है, जब छिलके का रंग एक चौथाई पीले रंग के बीच होता है, जो बाजारों की दूरी पर निर्भर करता है. पपीते की खेती से एक सीजन में 75-100 टन प्रति हेक्टेयर उपज पाई जा सकती है. बाजार में उचित मूल्य पर बेचने पर शुद्ध लाभ 12-15 लाख रुपये पाया जा सकता है.