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भीषण गर्मी और कम बारिश के संकेत, फसलों पर पड़ेगा बुरा असर! किसान जान लें मौसम पर क्या है अपडेट

अल नीनो की वजह से इस बार बारिश कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. माना जा रहा है कि इसकी वजह से इस बार कई राज्यों में सूखे की स्थिति रह सकती है. किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ सकती है. आइए जानते हैं मौसम पर क्या है अपडेट.

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Heat wave Weather Prediction: मौसम की जानकारी
Heat wave Weather Prediction: मौसम की जानकारी

मौसम का मिजाज कई बार समझ नहीं आता. दरअसल, प्रकृति के कई स्वरूप ऐसे होते हैं जिसको समझना बेहद मुश्किल है. शायद यही वजह है कि हम हर बार सोचते हैं कि आखिर इस बार प्रकृति कौन सा रंग दिखा रही है. सर्दियों में गर्मी के जैसे हालात तो वहीं गर्मियों में और ज्यादा गर्मी दिखाती है कि प्रकृति में कुछ तो बदलाव हो रहा है. अल नीनो की वजह से इस बार बारिश कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. असल में अल नीनो प्रशांत महासागर में आने वाला एक तरह का मौसमी परिवर्तन या बदलाव है इसकी वजह से सर्दियों में गर्मी और गर्मी में और जायदा गर्मी रहती है. वहीं, बारिश की संभावना भी इसमें कम हो जाती है.  

अल नीनो की वजह से कम हुई बारिश और बर्फबारी
स्काईमेट के वैज्ञानिक महेश पलावत कहते हैं इस बार मौसम को अगर आप समझें तो फरवरी के महीने में ही 122 साल का रिकॉर्ड टूटा है. वहीं, इस बार अगर एक रिपोर्ट को आधार मानें तो करीब 119 जिलों में बारिश कम हुई है और सूखे जैसे हालात बने हैं. अल नीनो की वजह से इस बार सर्दियों के मौसम में पहाड़ी इलाकों में बर्फ बारी कम हुई और कुछ इलाको में तो हुई ही नहीं.

वहीं, मैदानी इलाकों में बारिश का कम पड़ना और गर्मी का बढ़ना अल नीनो की तरफ इशारा करते हैं. पिछले 20 साल में दुनिया भर में सूखा अगर पड़ा है तो उसके पीछे का कारण अल नीनो है. मार्च, अप्रैल और मई के महीने में गर्मी इस बार नए नए रिकॉर्ड बना सकती है. हालांकि, महेश पलावत ने कहा है कि मॉनसून के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. 

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जीडीपी पर पड़ सकता है असर!
अर्थशास्त्री विजय सरदाना कहते हैं अल नीनो का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर होगा. असल में कम बारिश का असर कृषि उत्पादन में होता है. अगर उदाहरण के तौर पर समझें तो मान लीजिए अगर तापमान में 1 डिग्री की वृद्धि होती है तो गेहूं के उत्पादन में करीब 3 से 4 फीसदी की कमी आएगी. वहीं, अगर तापमान 4 से 5 डिग्री बढ़ता है तो 15 से 20 प्रतिशत तक उत्पादन में कमी आ सकती है. ऐसे में हमें अभी से फसलों की सिंचाई के लिए व्यवस्था करनी होगी. ग्राउंड वाटर सिंचाई पर ध्यान देना होगा और वैकल्पिक सिंचाई व्यवस्था के लिए कदम उठाने होंगे, क्योंकि इसका सीधा असर जीडीपी पर पड़ेगा. असल में जीडीपी में करीब 19 प्रतिशत की हिस्सेदारी कृषि की है. ऐसे में उत्पादन में कमी आने से कहीं न कहीं इसका सीधा असर होगा. 

आईएमडी की वैज्ञानिक सोमा सेन रॉय कहती हैं कि पिछले कुछ समय से पश्चिमी विक्षोभ की वजह से मौसम में कई परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. पहाड़ों में सर्दियों में कम बर्फ देखने को मिली तो वहीं मैदानी इलाकों में बारिश न के बराबर हुई. ऐसे में इस बार फरवरी में जहां गर्मी रिकॉर्ड बनाती नजर आ रही है. वहीं, मार्च में भी ऐसे ही गर्मी से लोगों को रूबरू होना होगा. 

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क्या होता है अल नीनो? 
आमतौर पर प्रशांत महासागर में हवाएं भूमध्य रेखा से होते हुए पश्चिम की तरफ बहती हैं. इसका सीधा असर ये होता है कि दक्षिण अमेरिका से गर्म पानी एशिया की तरफ आता है. गर्म पानी बहने से खाली हुई जगह को महासागर की गहराई से ठंडा पानी ऊपर आकर भरता है. इसे अपवेलिंग कहते हैं और अल नीनो और ला नीना इसी पैटर्न को तोड़ते हैं. अल नीनो के हालत तब बनते हैं जब एक जगह से दूसरी जगह जाने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं.  इससे गर्म पानी पूर्व दिशा में अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर आने लगता है. 

 

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