दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के एक युवा किसान शब्बीर अहमद ने कमाल कर दिया है. उन्होंने खट्टे-मीठे स्वाद वाला नारंगी रंग का चीनी मूल फल पर्सिमोन को उगाया है. इस फल को डायोस्पायरोस नाम से जाना जाता है. वहीं, भारत में इसे खुरमा नाम से पहचाना जाता है. मान्यता है कि इस फल का इतिहास चीन में 2,000 साल से अधिक पुरानी है. चीन, जापान और दक्षिण कोरिया इस स्वादिष्ट फल के मुख्य उत्पादक हैं. यह खुरमा का राष्ट्रीय फल है.
हिमाचल प्रदेश से मंगवाई थी नर्सरी
शब्बीर अहमद ने राज्य पात्रता परीक्षा में भी सफलता प्राप्त कर रखी है. शब्बीर अहमद ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में बताया कि, “हमने यहां एक नया फल उगाया है. इसे पर्सिमोन या जापानी फल भी कहा जाता है. मेरे पिता इसे हिमाचल प्रदेश से लाए थे और हमने घर पर ही इसकी नर्सरी बनाई.
इस फल की खेती में ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं
शब्बीर अहमद ने बताया कि दो साल बाद बंपर फसल देखने को मिल सकती है. इस फल की खेती करने में न तो ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है और न ही कीटनाशकों की, जैसे सेब के बगीचों में चाहिए होती है. इस फल का औषधीय महत्व बहुत अच्छा है और इसमें विटामिन-सी मौजूद होता है. यह फल गर्भवती महिलाओं के लिए भी उपयोगी है, इसमें ऐसे गुण हैं जो रक्त परिसंचरण को बढ़ाते हैं और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाते हैं.
अन्य किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है
उन्होंने बताया कि बोने से शुरुआत की और बाद में बहुमूल्य मार्गदर्शन और ग्राफ्टिंग सामग्री प्राप्त की. इसमें हमें लगभग दो साल लगे और अब इसका फल मिल रहा है. ये पौधे काफी हद तक सेब के पेड़ों की तरह बढ़ते हैं. इन फलों का एक किलोग्राम सौ रुपये से अधिक में बिकता हैं. हम अन्य किसानों को इस फल की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
यह फसल किसानों की बढ़ा सकती आय
बागवानी क्षेत्र कश्मीर में अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और घाटी की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बागवानी उपज से जुड़ी हुई है और नई फसल पर्सिमोन की शुरुआत निश्चित रूप से कश्मीर में किसानों को उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी.