अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अब लगभग 100 दिन ही शेष हैं. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले ने पूरे चुनाव कैंपेन को नया मुद्दा और नई दिशा दे दी है. ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने बाइडेन प्रशासन पर सुरक्षा के मोर्चे पर फेल होने का आरोप लगाया है. साथ ही बाइडेन के चुनाव कैंपेन में उकसावे वाली भाषा का आरोप लगाते हुए इसे ट्रंप पर हुए हमले से जोड़ दिया है. आइए जानते हैं कि अमेरिका में राजनीतिक हिंसा का इतिहास क्या रहा है? कौन-कौन से नेता हिंसा का निशाना बने हैं और ट्रंप पर हुए हमले का इस चुनाव पर क्या और किस तरह का असर हो सकता है?
तारीख- 13 जुलाई 2024 (भारतीय समय के मुताबिक 14 जुलाई)...
समय- शाम करीब 6:15 बजे
जगह- अमेरिका का पेंसिल्वेनिया...
मौका- राष्ट्रपति चुनाव की एक रैली...
लेकिन...
अचानक धांय-धांय गोलियां चलने लगती हैं! चारों ओर अफरातफरी मच जाती है... यहां वो भयावह नजारा दिखा जिसने न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को दहला दिया. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और अगले चुनाव में फिर से मजबूत उम्मीदवार दिख रहे रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप पर गोलियां चलाई गईं. गोली ट्रंप के दाहिने कान में लगी और कान के ऊपरी हिस्से को छेदते हुए पार हो गई. तुरंत सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स ने ट्रंप को घेरकर अपनी निगरानी में ले लिया. पूरी दुनिया ने खून से लथपथ ट्रंप के चेहरे की तस्वीर देखी. फायरिंग के ठीक बाद जब ट्रंप को घेरकर सीक्रेट सर्विस के एजेंट ले जा रहे थे तब खून से लथपथ चेहरे के साथ ट्रंप ने अपना कसा हुआ मुक्का ऊपर उठाकर जनता के बीच लहराया और चुनाव में और मजबूती से लड़ने का अपने समर्थकों को संदेश दिया.
ट्रंप भले ही इस हमले में सुरक्षित बच गए लेकिन एफबीआई ने इस हमले को कत्ल की कोशिश के रूप में ही घोषित किया है. इस हमले के बाद एक तरफ जहां सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं तो वहीं अमेरिकी गन कंट्रोल की फिर से मांग तेज हो रही है. हो भी क्यों न. अमेरिका में सियासी हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. अब तक 4 अमेरिकी राष्ट्रपतियों की हत्या हो चुकी है तो दो दर्जन से अधिक बड़े नेताओं पर जानलेवा हमले हो चुके हैं.
अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस हमले से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव का रुख बदल जाएगा? क्या बाइडेन के मुकाबले ट्रंप के समर्थन में तेजी से बढ़ोत्तरी होगी? क्या अमेरिका में ट्रंप के पक्ष में नई लहर चल पड़ेगी. वैसे भी अब तक के चुनाव प्रचार में ट्रंप अपने प्रतिद्वंदी बाइडेन से आगे ही दिख रहे थे. आखिर इस हमले की तस्वीरों से अमेरिकी जनमानस और वोटर्स के मन पर क्या असर हो सकता है?
क्या हुआ था रैली में?
पेंसिल्वेनिया की रैली में ट्रंप पर हुई इस गोलीबारी की घटना का वीडियो इंटरनेट पर वायरल है. इसमें देखा जा सकता है कि ट्रंप भाषण दे रहे हैं, तभी दनादन गोलियां चलने लगती हैं. डोनाल्ड ट्रंप अपने दाहिने हाथ से कान को ढकते हैं और डायस के पीछे झुक जाते हैं. सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स तुरंत उनके पास पहुंचकर घेर लेते हैं. ट्रंप डायस के पीछे से उठते हैं और रैली में आए लोगों की ओर मुट्ठी भींचकर साहस का संदेश देते हैं. उनका दाहिना कान और चेहरा खून से लथपथ नजर आता है.
यूएस सीक्रेट सर्विस के प्रवक्ता के अनुसार ये घटना स्थानीय समय के अनुसार शाम करीब 6:15 बजे हुई जब संदिग्ध शूटर ने रैली स्थल के बाहर एक ऊंचे स्थान से मंच की ओर कई गोलियां चलाईं. यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स ने हमलावर को मार गिराया. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप सुरक्षित हैं.
ट्रंप की जुबानी हमले की कहानी...
कुछ देर बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'ट्रूथ सोशल' पर इस हमले को लेकर पहली प्रतिक्रिया दी-
'मुझे एक गोली मारी गई जो मेरे दाहिने कान के ऊपरी हिस्से को छेदती हुई निकल गई. मुझे तुरंत पता चल गया कि कुछ गड़बड़ है, मैंने एक घरघराहट की आवाज सुनी, गोली चली, और तुरंत महसूस हुआ कि गोली मेरी स्कीन को चीरकर चली गई. बहुत खून बह रहा था, तब मुझे लगा यह क्या हो रहा है.
मैं पेंसिल्वेनिया के बटलर में हुई गोलीबारी पर क्विक रिएक्शन के लिए सीक्रेट सर्विस और सभी लॉ एंफोर्समेंट एजेंसियो को धन्यवाद देना चाहता हूं. सबसे महत्वपूर्ण कि मैं रैली में मारे गए व्यक्ति के परिवार और बुरी तरह घायल हुए एक अन्य व्यक्ति के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. यह अविश्वसनीय है कि ऐसा कृत्य हमारे देश में भी हो सकता है.'
हमलावर के बारे में क्या जानकारी मिली है?
बंदूकधारी ने जिस इमारत से गोलीबारी की थी वह रैली वाली बटलर फार्म शो ग्राउंड से सटी हुई है और दोनों के बीच केवल कंटीले तार की बाड़ लगी हुई है. ट्रंप पर गोली चलते ही तुरंत सुरक्षाबलों ने एक्शन लिया और शूटर को मार गिराया है. उसकी पहचान थॉमस मैथ्यू क्रुक्स के रूप में हुई है. उसकी उम्र 20 साल है. वह रैली स्थल बटलर से 70 किलोमीटर दूर स्थित बेथल पार्क का रहने वाला था, जो पेंसिल्वेनिया में ही पड़ता है.
क्रुक्स ने 2022 में बेथल पार्क हाई स्कूल से ग्रेजुएशन किया था. अमेरिकी वोटर डेटा बेस के अनुसार उसने खुद का रजिस्ट्रेशन रिपब्लिकन वोटर के रूप में कराया हुआ था. रिपब्लिकन पार्टी से ही ट्रंप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. उसने ट्रंप पर हमले को अंजाम क्यों दिया, उसका मकसद अभी साफ नहीं हो पाया है. घटनास्थल से एक AR-15 सेमी-ऑटोमेटिक राइफल बरामद हुई है.
समर्थक-विरोधी क्या कह रहे?
ट्रंप पर हुए इस जानलेवा हमले की हर राजनीतिक दल और नेता ने आलोचना की है और सुरक्षा पुख्ता करने की मांग की है. राष्ट्रपति बाइडेन, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत तमाम दलों के नेताओं ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि अमेरिकी समाज में या पॉलिटिक्स में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. विपक्षी दल यानी ट्रंप की पार्टी ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. ट्रंप के समर्थक माने जाने वाले अरबपति शीर्ष बिजनेसमैन एलॉन मस्क ने सीक्रेट सर्विस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए एजेंसी की चीफ के इस्तीफे की मांग की है.
चुनाव पर क्या असर हो सकता है?
नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अब बस 100 दिन का ही समय बच गया है. ऐसे में ट्रंप पर हुए इस जानलेवा हमले का चुनाव पर क्या असर होगा इसे लेकर चर्चा-परिचर्चा शुरू हो गई है. इस हमले ने अमेरिका में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. इसके साथ ही सीक्रेट सर्विस की सिक्योरिटी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं कि आखिर ट्रंप जैसे अहम नेता के सभा स्थल के 200 मीटर के अंदर की इमारत कैसे सुरक्षा एजेंसियों के दायरे में नहीं आई और एक बंदूकधारी आराम से छत पर आकर सीधे ट्रंप पर निशाना साध सके. गोली ट्रंप के कान में लगी. एक-दो इंच भी निशाना इधर-उधर हुआ होता तो ये ट्रंप के लिए जानलेवा साबित हो सकता था.
अब ये मुद्दा पूरे चुनाव कैंपेन को नई दिशा दे सकता है. बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर घिरे डेमोक्रेट्स प्रशासन के ऊपर ये हमला सवालों को और तीखा कर सकता है. विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब इतना अहम नेता अमेरिका में सुरक्षित नहीं है तो फिर कौन सुरक्षित है. हमले के तुरंत बाद खून से लथपथ चेहरे वाली ट्रंप की तस्वीर को बेटे एरिक ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लिखा- 'This is the fighter America needs.'
हमले के थोड़ी देर बाद डोनाल्ड ट्रंप खुद टीवी पर आए और उन्होंने कहा- अमेरिका में इस तरह की राजनीतिक हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. ट्रंप ने कहा कि वे अपनी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
इस हमले का असर बाइडेन पक्ष के चुनाव प्रचार पर भी दिखने लगा है. हमले के बाद ट्रंप पर हमला करने वाले सारे टीवी कैंपेन ऐड हटा दिए गए ताकि ट्रंप पर हमला कर जनता में सहानुभूति पैदा होने का मौका न दिया जाए. बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बिल क्लिंटन और जिमी कार्टर जैसे नेताओं ने एक सुर में ट्रंप पर हुए हमले की निंदा की. लेकिन विपक्ष के कई नेताओं ने इस हिंसा के लिए बाइडेन को सीधे निशाने पर लिया.
सीनेटर जेडी वांस जिन्हें कि ट्रंप के जीतने की स्थिति में उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है ने आरोप लगाया कि बाइडेन की सभाओं में उकसावे के कारण ट्रंप पर इस हमले को अंजाम दिया गया. वांस के अलावा बाकी रिपब्लिकन नेता भी बाइडेन प्रशासन के हमलावर रुख को ट्रंप पर हुए इस हमले से जोड़कर सोशल मीडिया पर जनता से संवाद कर रहे हैं. इस मामले ने ट्रंप पक्ष को प्रचार अभियान में लचर सुरक्षा पर फोकस कर बाइडेन को घेरने का मौका दे दिया है. चुनाव नजदीक है ऐसे में अब सबकी निगाहें आगे के चुनाव कैंपेन पर टिकी रहेंगी.
इन चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों की हुई हत्या
अमेरिका में अगर सियासत और हिंसा के कनेक्शन के इतिहास को देखें तो एक लंबा काला अध्याय दिखता है. कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस द्वारा संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में राष्ट्रपतियों, निर्वाचित राष्ट्रपतियों और उम्मीदवारों के खिलाफ अलग-अलग मौकों पर 15 बार हमले किए गए. 4 जुलाई, 1776 को ब्रिटिश उपनिवेश से आजाद हुए संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के अब तक के 248 साल के इतिहास में चार राष्ट्रपतियों की पद पर रहते हत्या कर दी गई, जबकि दो दर्जन से अधिक बड़े नेताओं या पूर्व राष्ट्रपतियों पर जानलेवा हमले हुए. इसमें कई दास प्रथा को खत्म करने या अश्वेत लोगों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का पक्ष लेने वाले नेता थे जो दक्षिणपंथी संगठनों का निशाना बने लेकिन ट्रंप तो खुद दक्षिणपंथ समर्थक हैं. ऐसे में उन पर हमले के पीछे किसी संगठन का हाथ है या ये लोन वुल्फ अटैक का मामला है ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा. जानिए किन अमेरिकी राष्ट्रपतियों को बनाया गया निशाना.
अब्राहम लिंकन
दास प्रथा के खिलाफ लड़ने वाले अमेरिकी इतिहास के सबसे सम्मानित नेता और तब के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या 14 अप्रैल, 1865 को गोली मार कर कर दी गई. लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे. आरोपी जॉन विल्क्स बूथ ने उस समय लिंकन को निशाना बनाया जब वे वाशिंगटन के फोर्ड थिएटर में कॉमेडी 'अवर अमेरिकन कजिन' के एक स्पेशल परफॉर्मेंस में शामिल होने गए थे.
उनके सिर के पिछले हिस्से में गोली लगी और अगली सुबह उनकी मौत हो गई. एजेंसियों की जांच के बाद बताया गया कि अश्वेत अधिकारों के लिए उनका समर्थन ही उनकी हत्या का कारण बना. हत्यारा जॉन विल्क्स उस समय घटनास्थल से भागने में कामयाब रहा, लेकिन उसे वर्जीनिया से गिरफ्तार कर लिया गया.
जेम्स ए. गारफील्ड
जेम्स गारफील्ड दूसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे जिनकी हत्या की गई. 2 जुलाई, 1881 को वाशिंगटन में उन्हें गोली मार दी गई थी, जब वे न्यू इंग्लैंड जाने वाली ट्रेन पकड़ने की कोशिश में ट्रेन स्टेशन से गुजर रहे थे. चार्ल्स गुइटो ने उन्हें सीने में गोली मार दी थी. हमले के करीब 2 महीने बाद 19 सितंबर 1881 को उनकी मौत हो गई.
विलियम मैककिनले
अमेरिका के 25वें राष्ट्रपति विलियम मैककिनले को 6 सितंबर, 1901 को न्यूयॉर्क में भाषण देते समय गोली मार दी गई थी. रैली में मौजूद भीड़ से हाथ मिलाते समय उनके सीने में दो बार गोली मारी गई थी. उम्मीद थी कि मैककिनले इस हत्या के प्रयास में बच जाएंगे, लेकिन आखिरकार आठ दिन बाद उनकी मौत हो गई. मैककिनले की हत्या का दोषी अराजकतावादी लियोन कोजोलगोज को ठहराया गया और उसे मौत की सजा दी गई.
जॉन एफ. केनेडी
रईस खानदान से आने वाले केनेडी अमेरिका में अश्वेत अधिकारों और नस्लीय बराबरी के बड़े समर्थक थे. उनकी हत्या अमेरिकी इतिहास की सबसे चौंकाने वाली हत्याओं में से एक थी. 2 नवंबर 1963 को टेक्सास के डलास में जब जॉन एफ कैनेडी फर्स्ट लेडी जैकलीन कैनेडी के साथ यात्रा पर थे तो इसी दौरान राइफल से लैस एक छिपे हुए हत्यारे ने उन्हें गोली मार दी. डलास में जैसे ही उनका काफिला निकला तो एक इमारत की खिड़की से उनपर गोली चलाई गई. हत्यारे का निशाना एकदम सटीक निकला. कैनेडी को पार्कलैंड मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया, जहां कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई.
इन अमेरिकी नेताओं ने भी जानलेवा हमला झेला
इन चार हत्याओं के अलावा कई टॉप नेताओं पर जानलेवा हमले हुए लेकिन हमलावर अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके. हमले में बच गए राष्ट्रपतियों में गेराल्ड आर. फोर्ड (1975 में दो बार), रोनाल्ड डब्ल्यू. रीगन (1981 में एक लगभग जानलेवा गोलीबारी), बिल क्लिंटन (जब 1994 में व्हाइट हाउस पर गोलीबारी की गई थी), और जॉर्ज डब्ल्यू. बुश (जब 2005 में एक कार्यक्रम के दौरान एक हमलावर ने उन पर ग्रेनेड फेंका था, जो नहीं फटा था) शामिल हैं. इसके अलावा एक चुनावी अभियान के दौरान 1912 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट पर भी हमला हुआ. 14 अक्टूबर 1912 को मिल्वौकी में भाषण देते समय उन्हें गोली मार दी गई लेकिन फिर भी उन्होंने चुनावी भाषण जारी रखा. हालांकि बाद में वह चुनाव हार गए. 1933 में राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी रूजवेल्ट की हत्या का प्रयास किया गया था.
गन कंट्रोल की तेज हो रही डिमांड?
अमेरिका में इन राजनीतिक हत्याओं के अलावा मास शूटिंग के कारण लंबे समय से गन कंट्रोल की मांग हो रही है. वहां बंदूक खरीदने पर कोई पाबंदी नहीं है और न ही कंट्रोल. इसका नतीजा है कि इसी साल अब तक 228 से ज्यादा मास शूटिंग की घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें 300 से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं जबकि 1100 से अधिक लोग घायल हुए हैं. वहां लंबे समय से गन कंट्रोल की मांग इसलिए भी तेज हो रही है कि सेना और पुलिस से भी कई गुना हथियार आम लोगों के पास हो गए हैं और मास शूटिंग की घटनाएं हर हफ्ते हो रही हैं.
गन कंट्रोल का मामला कितना गंभीर?
34 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में कम से कम 42 फीसदी लोगों के पास हथियार हैं और कइयों के पास तो एक से अधिक बंदूकें हैं. पूरे अमेरिका में 40 करोड़ से अधिक वैध-अवैध हथियार जनता के पास हैं यानी वहां की आबादी से भी अधिक. बंदूक और गोलियां खरीदना अमेरिका में इतना आसान है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि अभी पिछले हफ्ते ही में एक कंपनी ने अलबामा, ओक्लाहामा, टेक्सास जैसे शहरों में ग्रॉसरी स्टोर्स पर बुलेट वेंडिंग मशीनें लगाई हैं ताकि लोग सब्जियों और दूध की तरह बंदूक की गोलियां खरीद सकें. ट्रंप पर हमले के बाद एक बार फिर से ये मांग तेज होगी कि गन कंट्रोल के लिए सख्त नियम लाए जाएं या कम से कम हथियार खरीदने के लिए कंट्रोल का कोई सिस्टम तो हो. ताकि मास शूटिंग या ट्रंप जैसे अहम नेता पर गोलीबारी जैसी घटनाओं पर लगाम लगाया जा सके.