बांग्लादेश में सोमवार का दिन भीषण हिंसा और आगजनी से भरा रहा. प्रदर्शनकारियों और सरकार के समर्थकों के बीच झड़प से छात्रों का आंदोलन हिंसा में बदल गया. भीड़ इतनी उग्र हो गई कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश से भागना पड़ा. वह भारत पहुंच चुकी हैं और फिलहाल हिंडन एयरबेस में ही रुकी हुई हैं. प्रदर्शनकारी पीएम हाउस में घुस गए और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीब की प्रतिमा को बुलडोजर से गिरा दिया. पड़ोसी मुल्क के हालात पर भारत सरकार नजर बनाए हुए है. बांग्लादेश की अस्थिरता से भारत पर क्या असर पड़ सकता है और बांग्लादेश में अब आगे क्या होने वाला है, इसे लेकर विशेषज्ञों ने आजतक से बात की.
भारत विरोधी सरकार आई तो बढ़ जाएगा तनाव
सामरिक विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने कहा, 'ऐसे हालात तभी पैदा होते हैं जब कोई कल्पना नहीं करता है. अगर पहले से कल्पना कर लें तो ऐसे कदम उठाए जाएंगे जिनसे आपको ऐसे हालात नजर नहीं आएंगे. जब से बांग्लादेश का जन्म हुआ है, हर 5-10 साल में इस तरह की उथल-पुथल होती है, वो कुछ समय तक रहती है और फिर चीजें ठीक हो जाती हैं. लेकिन ये उबाल जो असर छोड़कर जाता है वो हर बार अच्छा नहीं होता.'
उन्होंने कहा, 'भारत को भी कहीं न कहीं चिंता होगी कि कहीं चीन, पाकिस्तान के बाद कोई तीसरा फ्रंट तो नहीं खुल रहा. अगर बांग्लादेश में कोई ऐसी सरकार आ जाए जो भारत के प्रति नफरत की निगाह रखती हो... जैसे जमात-ए-इस्लामी दहशतगर्दी के लिए मशहूर है. पिछली बार जब उन्होंने बीएनपी के साथ सरकार बनाई थी तो उनकी तरफ से भारत में बहुत दहशतगर्दी हुई थी, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल था. ऐसे में अगर उसकी सरकार आती है तो देखना होगा कि क्या हालात पैदा होते हैं. वहां तनाव बढ़ जाएगा.'
'बांग्लादेश में नाजुक बने रहेंगे हालात'
सुशांत सरीन ने कहा, 'क्या सेना, जिसने 2007 और 2009 में वहां केयरटेकर सरकार बनाई थी, क्या उस तरीके की सरकार होगी. हालांकि उसकी संभावना कम है. फौज अगर सीधे तौर पर सरकार बनाती है तो प्रभाव अलग होगा. वह बहुत ज्यादा लोगों के लिए मान्य नहीं होगी. वो सरकार कितने समय के लिए होगी, फिर चुनाव होगा, सरकार बनेगी, उसका क्या स्वरूप होगा ये तो बांग्लादेश के लोग भी नहीं जानते हैं. बांग्लादेश में कुछ समय के लिए हालात नाजुक रहेंगे लेकिन बांग्लादेश पूरी तरह तितर-बितर नहीं होगा. उपद्रव शांत हो जाएगा लेकिन वो किस करवट बैठेगा ये कहना अभी मुश्किल है.'
बांग्लादेश के सामने कई सवाल
सुशांत सरीन ने कहा, 'ताजा खबर जो आ रही है उसके अनुसार कुछ नामों की घोषणा हुई है. जो अंतरिम सरकार बनेगी उसमें तीन-चार फौजी अफसर हैं, कुछ जज हैं, कुछ ऐकेडेमिक्स हैं, एक हिंदू को भी रखा गया है. कोई कट्टरपंथी छवि का नहीं है. जिन्हें चुना गया है अंतरिम सरकार के लिए क्या वे स्वीकार्य होंगे. अगर ये हो जाते हैं तो चुनाव कब तक होंगे. क्या चुनाव होंगे या यही सरकार एक-दो साल के लिए चलेगी.'
'बांग्लादेश के लिए अच्छे दिन नहीं हैं'
उन्होंने कहा, '10 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. वो भी एक ऐसे समय में जब बांग्लादेश पहले से एक आईएमएफ प्रोग्राम में है. आर्थिक दिक्कतें आ रही थीं. महंगाई थी, बेरोजगारी भी बढ़ रही थी. आर्थिक हालात अभी संभलेंगे नहीं क्योंकि बांग्लादेश एक एक्सपोर्ट इकॉनमी है जिस पर असर पड़ेगा. क्योंकि अब बहुत सारा माल जो भेजना है, नहीं भेज पाएंगे. इंडस्ट्री ठप हो जाती है, सारा कारोबार रुक जाता है, डेडलाइंस मिस हो जाती हैं. वो एक अलग उथल-पुथल होगी जो आगे चलकर नजर आएगी. तो हालात अच्छे नहीं हैं और आने वाले हफ्तों और महीनों के लिए अच्छे नहीं रहेंगे. इसका असर काफी अरसे तक रहेगा. बांग्लादेश के लिए अच्छे दिन नहीं हैं.'
'बांग्लादेश पर पैनी नजर रखेगा भारत'
भारत सरकार के रोल पर पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा, 'अभी तक बहुत अनिश्चितता बनी हुई है. मेरा मानना है कि भारत का रवैया यही होगा कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है. ये बात सही है कि शेख हसीना के भारत के साथ अच्छे संबंध रहे हैं. उनके पिता के समय से दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध रहे हैं. 2009 से जब शेख हसीना सत्ता में आई थीं भारत और बांग्लादेश के संबंधों के लिए यह स्वर्णिम समय था. हम तो यही कहेंगे कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है. भारत वहां के घटनाक्रम पर बहुत पैनी नजर रखेगा. वहां के आर्मी चीफ ने अपने संबोधन में बार-बार 'अंतरिम सरकार' का जिक्र किया. सेना खुद अपने हाथ में सत्ता लेकर सरकार नहीं चलाना चाहती है. इसीलिए हमें इसे देखना होगा कि कौन अंतरिम प्रधानमंत्री बनता है.'