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कश्मीर को अमेरिका ने बताया द्विपक्षीय मसला, मध्यस्थता से अब ट्रंप का इनकार

वैश्विक स्तर पर एक बार फिर पाकिस्तान को झटका लगा है. कश्मीर पर किसी भी तरह की मध्यस्थता करने के अमेरिकी प्रशासन ने इनकार कर दिया है. अमेरिका ने कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो- रॉयटर्स)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो- रॉयटर्स)

  • पाकिस्तान को अमेरिका से भी मिली निराशा
  • कश्मीर पर अमेरिका नहीं देगा दखल
  • ट्रंप प्रशासन का मध्यस्थत से इनकार
  • वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान

कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका ने अपना रूख पूरी तरह साफ कर दिया है. अमेरिकी प्रशासन ने कह दिया है कि कश्मीर भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है और अमेरिका इसमें कतई दखल नहीं देगा. अमेरिका ने मध्यस्थता करने से साफ इंकार कर दिया है.

भारतीय राजदूत हर्षवर्धन सिंगला के हवाले से ये खबर आई है. अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन सिंगला ने कहा कि अमेरिका अपनी पुरानी नीति पर चलना चाहता है. अमेरिका चाहता है कि भारत और पाकिस्तान एक साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करें.

राजदूत हर्षवर्धन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहते हैं कि वे मध्यस्थता करें तो वे मध्यस्थता कर सकते हैं. लेकिन भारत का रुख साफ है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है, जिस पर फैसला केवल दोनों देश कर सकते हैं.

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भारत का कश्मीर पर हमेशा से रुख स्पष्ट रहा है कि यह एक आंतरिक मुद्दा है, जिस पर किसी तीसरे देश की दखल स्वीकार नहीं की जाएगी.

जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दुनिया के सामने मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा को किसी देश में तवज्जो नहीं मिल रही है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन दौरे पर मदद मांगने गए थे लेकिन वहां भी पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी है.

बता दें कि इमरान के आरोपों से इतर जम्मू-कश्मीर में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं. श्रीनगर में शनिवार और रविवार बकरीद की जमकर खरीदारी हुई. राज्य में लोग बकरीद परंपरागत हर्ष और उल्लास से मना सकें इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कई कोशिशें की हैं.

भारत को दुनिया के कई देशों से जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसला का समर्थन मिल चुका है. इस फैसले पर भारत का समर्थन रूस ने भी किया है.

रूस ने साफ शब्दों में कहा कि जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया गया था. रूस ने कहा था, मॉस्को को उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर राज्य पर दिल्ली द्वारा लिए गए फैसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में वृद्धि नहीं होगी.

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