अमेरिका ने वैश्विक व्यापार असंतुलन के लिए चीन को कठघरे में खड़ा करते हुए उसे "बेड एक्टर्स" करार दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर 125% आयात शुल्क लगाने और अन्य दर्जनों देशों पर लगाए गए टैरिफ पर अस्थायी विराम की घोषणा के बाद यह बयान आया है.
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह कोई ट्रेड वार नहीं है, बल्कि वैश्विक व्यापार में "बेड एक्टर्स" से निपटने की रणनीति है. स्कॉट बेसेंट ने कहा कि "हमने देखा है कि कुछ देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में असंतुलन पैदा कर रहे हैं, और चीन उनमें सबसे प्रमुख है."
ट्रंप प्रशासन द्वारा हाल ही में घोषित व्यापक टैरिफों में अधिकांश पर 90 दिनों का विराम दिया गया है, जिसे बेसेंट ने एक सफल "मोलभाव की रणनीति" करार दिया. उन्होंने कहा कि इस रणनीति के चलते अब तक 75 से अधिक देश अमेरिका के साथ बातचीत के लिए आगे आए हैं.
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चीन द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% किए जाने के बाद अमेरिका का यह रुख और सख्त हो गया है. बेसेंट के अनुसार, "राष्ट्रपति ट्रंप व्यक्तिगत रूप से व्यापार वार्ताओं में शामिल होंगे और 90 दिन की समयसीमा के भीतर सभी इच्छुक देशों से बातचीत की जाएगी."
भारत की भूमिका और संभावनाएं
इस बदलते परिदृश्य में भारत की स्थिति अहम होती जा रही है. बेसेंट ने जापान, दक्षिण कोरिया और भारत को व्यापार वार्ता के केंद्र में बताया और कहा कि इन देशों के साथ बातचीत प्राथमिकता पर है. उन्होंने कहा, “मैंने आज वियतनाम को देखा, जापान सबसे आगे है, फिर दक्षिण कोरिया और भारत हैं.”
भारत पर अमेरिका ने 26% टैरिफ लगाया है, हालांकि दवाइयों और सेमीकंडक्टर्स को इससे छूट दी गई है. ट्रंप की घोषणा के बाद भारत को 90 दिनों की राहत मिली है, जो व्यापारिक वार्ताओं को अंतिम रूप देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान घोषित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर पहले ही सहमति बन चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि यह समझौता इस साल के अंत तक अंतिम रूप ले लेगा.
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चीन से निवेश पलायन का लाभ भारत को
चीन पर भारी आयात शुल्क लगने से वहां स्थित कई कंपनियां अब उन देशों की ओर रुख कर सकती हैं जहां टैरिफ कम है. भारत इस अवसर का लाभ उठा सकता है. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि भारत जैसे देश अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी भूमिका मजबूत कर सकते हैं.
अमेरिका की यह नई रणनीति न केवल चीन को झटका देने की कोशिश है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए नए अवसर भी लेकर आई है. अब देखना होगा कि भारत कैसे इस अवसर को किस तरह अपने पक्ष में बदलता है.