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मौलाना वहीदुद्दीन खान को तुर्की के स्कॉलर गुलेन ने दी श्रद्धांजलि, बोले- भारत के सच्चे मुस्लिम नेता थे

प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर मौलाना वहीदुद्दीन खान का कोरोना संक्रमण की वजह से 22 अप्रैल को इंतकाल हो गया था. उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी दुख जताया था. अब तुर्की के इस्लामिक स्कॉलर फेतुल्लाह गुलेन ने भी संदेश जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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मौलाना वहीदुद्दीन (फोटो- facebook/Maulana Wahiduddin Khan)
मौलाना वहीदुद्दीन (फोटो- facebook/Maulana Wahiduddin Khan)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना से मौलाना वहीदुद्दीन का निधन हुआ था
  • तुर्की के फेतुल्लाह गुलेन ने संदेश जारी किया है

प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर मौलाना वहीदुद्दीन खान के निधन पर तुर्की के इस्लामिक स्कॉलर फेतुल्लाह गुलेन ने एक खास संदेश जारी किया है. इस संदेश के जरिए उन्होंने मौलाना वहीदुद्दीन को श्रद्धांजलि दी है. फेतुल्लाह ने उन्हें भारत का सच्चा मुस्लिम नेता बताया है. उन्होंने संदेश में लिखा, "मौलाना वहीदुद्दीन खान के इंतकाल के बारे में सुनकर मुझे गहरा दुख पहुंचा है. वो भारत के प्रसिद्ध इस्लामिक स्कॉलर में से एक थे. वो शांति की वकालत करते थे."

उन्होंने आगे लिखा, "मैं दुआ करता हूं कि अल्लाह उन्हें जन्नत से नवाजे. मैं उनके करीबियों और उनके चाहने वालों के लिए भी दुआ करता हूं, खासतौर से उनके परिवार और उनके छात्रों के लिए."

फेतुल्लाह आगे लिखते हैं. "वहीदुद्दीन खान भारत के सच्चे मुस्लिम नेताओं में से एक थे, जिन्होंने देश के अंदर और बाहर इस्लाम का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने अपनी भाषा और धर्म के ज्ञान से आधुनिक दुनिया को इस्लाम और मानवता का पाठ सिखाया. उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में कुरान को ट्रांसलेट किया, ताकि आसानी से पढ़ा जा सके. उन्होंने भारत में हिंदू और मुसलमान के बीच हमेशा सामाजिक सौहार्द बनाए रखा." फेतुल्लाह ने लिखा कि वो अपने पीछे एक शानदार विरासत छोड़कर गए हैं. इससे आने वाली पीढ़ी को काफी सीखने को मिलेगा.

मौलाना वहीदुद्दीन कोरोना से जूझ रहे थे. 22 अप्रैल को उन्होंने 96 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. मौलाना वहीदुद्दीन को इसी साल राष्ट्रपति द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी पद्म विभूषण से नवाजा गया था. वो दिल्ली के निजामुद्दीन में रहते थे, उनका जन्म यूपी के आजमगढ़ जिले के बधारिया गांव में 1 जनवरी, 1925 को हुआ था. वे गांधीवादी मूल्यों और शांतिप्रिय विचारों के लिए जाने जाते हैं, पूरी दुनिया में उन्होंने इस्लामिक विद्वान के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई. उन्होंने ही कुरान का बेहद आसान अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया था, वहीदुद्दीन ने कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखी है. मोदी सरकार द्वारा दिए गए पद्म विभूषण सम्मान के अलावा उन्हें साल 2000 में वाजपेयी सरकार ने पद्म भूषण से भी सम्मानित किया था.

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