अमेरिका और रूस के बीच एक बार फिर जुबानी जंग छिड़ गई है. दरअसल, रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कह दिया कि कुछ देश ईरान पर अमेरिका के हवाई हमलों के जवाब में उसे परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हो सकते हैं. रूसी नेता की इस टिप्पणी पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए और रूस को चेतावनी दे डाली.
ट्रंप ने 23 जून को ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'क्या मैं ये सुन रहा हूं कि रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव 'एन'(Nuclear) शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं. क्या वो ये कह रहे हैं कि रूस और बाकी देश ईरान को परमाणु हथियारों की आपूर्ति करेंगे? क्या उन्होंने सच में ऐसा कहा या यह मात्र मेरी कल्पना है? अगर उन्होंने ऐसा कहा है, और यह बात सही तो कृप्या मुझे तुरंत इस बारे में बताएं.'
ट्रंप ने आगे कहा, 'एन शब्द का इस्तेमाल हल्के में नहीं किया जाना चाहिए. मुझे लगता है कि इसीलिए पुतिन बॉस हैं.'
पूर्व रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेव, जो अब रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं, ने 22 जून को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'हम साफ तौर से कह सकते हैं कि परमाणु सामग्री का संवर्धन और परमाणु हथियारों का भविष्य में उत्पादन जारी रहेगा. कई देश ईरान को अपने परमाणु हथियार सप्लाई करने के लिए तैयार हैं.'
मेदवेदेव ने यह भी कहा कि इजरायली और अमेरिकी हमले में ईरान के परमाणु ईंधन का महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रभावित नहीं हुआ है.
अमेरिकी सैन्य क्षमता की ट्रंप ने की तारीफ और रूस को दी धमकी
मेदवेदेव पर निशाना साधने के साथ ही ट्रंप ने 21 जून को किए गए अमेरिकी हवाई हमले की तारीफ भी की जिसमें ईरान के फोर्डो यूरेनियम संवर्धन फैसिलिटी पर बंकर बस्टिंग बम गिराए गए थे. ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपने सबसे शक्तिशाली हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है.
ट्रंप ने अपनी आधुनिक रक्षा तकनीक का जिक्र करते हुए रूस को परमाणु धमकी भी दी. उन्होंने कहा कि अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियां दूसरे देशों की पनडुब्बियों से 20 साल आगे हैं. उन्होंने ईरान पर हाल ही में हुए हमलों में शामिल पनडुब्बी चालक दल की तारीफ भी की.
ट्रंप की प्रतिक्रिया पर बोले मेदवेदेव
ट्रंप की इस प्रतिक्रिया पर दिमित्री मेदवेदेव का जवाब भी आया है. ट्रंप के तीखे तेवर देख मेदवेदेव ने कहा, 'मैं ईरान पर अमेरिकी हमले की निंदा करता हूं. अमेरिका अपने मकसद में नाकामयाब रहा है. हालांकि, रूस का ईरान को परमाणु हथियार सप्लाई करने का कोई इरादा नहीं है, क्योंकि इजरायल के उलट, हम परमाणु अप्रसार संधि के पक्ष में हैं.'
उन्होंने आगे कहा, 'राष्ट्रपति रहते हुए मैंने हमारे परमाणु बलों की देखरेख की है जिसके कारण मैं अच्छी तरह जानता हूं कि इसका क्या परिणाम होगा. और हमें निश्चित रूप से इस बात पर बहस नहीं करनी चाहिए कि किसके पास अधिक परमाणु हथियार हैं. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नई परमाणु अप्रसार संधि, जिस पर मैंने एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ हस्ताक्षर किए थे, अभी भी लागू है.'