विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका चीन के बीच चल रहे टैरिफ वॉर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अब सिर्फ ट्रेड कुछ भी नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व उस दौर में आ चुका है जब शुद्ध बिजनेस कुछ भी नहीं है. सब कुछ निजी भी है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चेतावनी दी कि टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच दुनिया गहरी उथल-पुथल और आर्थिक अनिश्चितता की ओर बढ़ रही है और भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए.
गुरुवार को नई दिल्ली में कार्नेगी इंडिया ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में बोलते हुए जयशंकर ने विश्व की दो सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैरिफ को लेकर पैदा हुए टकराव के असर पर चर्चा की.
विदेश मंत्री की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत सहित कई देशों पर अस्थायी रूप से टैरिफ कम करने के कुछ दिनों बाद आई है. इसके बाद ट्रंप ने चीन पर भारी (टैरिफ) शुल्क लगा दिया गया. इस कदम से वैश्विक बाजार में उथल-पुथल मच गई और पूर्ण व्यापार युद्ध की आशंकाएं फिर से बढ़ गई.
ट्रंप की कार्रवाई के बाद बीजिंग के रुख में कहीं से भी नरमी दिखी. अमेरिका चीन पर अबतक 145 प्रतिशत टैरिफ लगा चुका है. ट्रंप के कदम के बाद चीन ने अवज्ञा और जवाबी टैरिफ के साथ उत्तर दिया और "अंत तक लड़ने" का वचन दिया.
इस वक्त दोनों देश को इंतजार है कि कौन पहले झुकेगा. जबकि बाकी दुनिया लंबे समय तक आर्थिक गतिरोध का सामना कर रही है. शेयर बाजार गोते लगा रहा है. सामानों की कीमतें बढ़ रही है.
जयशंकर ने अतीत में अमेरिका-चीन संबंधों में आए तनाव के बाद इससे उबर निकलने के भारत के अनुभवों को साझा किया.
उन्होंने कहा, "हमारे अनुभव (अमेरिका-चीन संबंधों के संबंध में) बहुत अलग हैं. हमने वास्तव में दोनों चरम सीमाओं को देखा है."
"स्वतंत्रता के बाद के पहले कुछ दशकों में, अमेरिका और चीन के बीच बहुत तीखी प्रतिस्पर्धा थी, और हम इसके बीच में फंस गए. और फिर, इससे भी बदतर स्थिति आई. और फिर अमेरिका और चीन के बीच गहरा सहयोग हुआ और इस समय हम समय के गलत किनारे पर थे."
विदेश मंत्री ने कहा कि तो यह एक तरह से गोल्डीलॉक्स समस्या की तरह है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, "दोनों में से कोई भी स्थिति भारत के पक्ष में काम नहीं करती है."
ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक और आर्थिक सीमाएं तेजी से धुंधली हो रही हैं जयशंकर ने कहा कि भारत को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चीजों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है.
एस जयशंकर ने कहा कि अतीत में, 'हम क्षेत्रों को अलग-अलग चश्मे से देख सकते थे. हम यह कह सकते थे कि कोई बात नहीं यह केवल व्यापार है, यह राजनीतिक नहीं है, यह रक्षा से जुड़ा मसला नहीं है. यह संवेदनशील नहीं है. मुझे लगता है कि संवेदनशील क्या है, इसकी हमारी परिभाषा का विस्तार हुआ है.'
विदेश मंत्री ने कहा कि ट्रंप जैसा कि टैरिफ पर आगे-पीछे जा रहे हैं, भारत वाशिंगटन के साथ तेजी से वार्ता कर रहा है और टैरिफ पर किसी नतीजे पर पहुंचने की कोशिश कर रहा है ताकि द्विपक्षीय व्यापार पर एक विस्तृत नीति को अंतिम रूप दिया जा सका. उन्होंने कहा कि भारत इस कोशिश पर तब से ही लगा है जब से इस साल ट्रंप ने सत्ता संभाली है.
एस जयशंकर के अनुसार वास्तव में भारत के पास वैचारिक रूप से एक ऐसा विचार है जो कहता है कि हम एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता करेंगे और
हम एक ऐसा समाधान खोजेंगे जो दोनों के लिए काम करेगा.
विदेश मंत्री के अनुसार ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान व्यापार समझौता विफल होने और अमेरिका की व्यापार नीति पर अनिश्चितता गहराने के बाद, नई दिल्ली अब इस सौदे को पक्का करने के लिए जोर लगा रही है. हालांकि अमेरिकी पक्ष की हिचकिचाहट के कारण अब वार्ता की गति बाधित हो रही है.
एस जयशंकर ने भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, "हम निश्चित रूप से किसी भी संभावना के लिए पूरी तैयारी के साथ काम कर रहे हैं, हम जहां भी एक अवसर देखते हैं और हम उस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं. हमारी वार्ताकारों की टीम वास्तव में उत्साहित हैं."
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रम्प ने वाशिंगटन में ट्रम्प के साथ फरवरी में हुई बैठक के दौरान जल्द द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की थी. सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने इस डील की रुपरेखा तय करने के लिए पिछले महीने दिल्ली का दौरा किया था.