भारत को डिलीवरी के लिए आ रहा रूसी कच्चा तेल सोकोल का 1.5 करोड़ बैरल मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तटों पर पिछले कई दिनों से पड़ा हुआ है. आने वाले समय में भी रूसी तेल से भरे जहाजों के अपने स्थान से हटने के संकेत कम दिख रहे हैं. दोनों देशों के तटों पर सोकोल क्रूड से भरे 12 टैंकर लंगर डाले हुए हैं.
ब्लूमबर्ग ने पोत ट्रैकिंग डेटा से हासिल जानकारी के आधार पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इन टैंकरों में से अधिकांश एक महीने से भी अधिक समय से तट पर लंगर डाले हैं.
रूसी तेल से भरे टैंकरों ने मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तट पर डेरा डालना तब शुरू किया जब पिछले साल के अंत में भारतीय तटों के आसपास के बंदरगाहों पर कच्चे तेल ले जाने वाले जहाजों ने अचानक अपना रास्ता बदल लिया और दिसंबर आते-आते वो दक्षिण चीन सागर की तरफ मुड़ गए.
तब से, हर हफ्ते लगभग दो नए कार्गो मलेशिया और दक्षिण कोरिया के तटों पर आकर रुक रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में जब तेल के तीन कार्गो वापस भारत की तरफ बढ़ने लगे तब लगा कि शायद चीजें आसान हो जाएंगी. वहीं, चौथा कार्गो अब विशाखापत्तनम बंदरगाह पर जाने का संकेत दे रहा है. हालांकि, अधिकांश कार्गो अभी भी अटके हुए हैं.
हर तीसरे-चौथे दिन आ रहा एक तेल जहाज
इधर, तटों पर हर तीसरे या चौथे दिन एक कार्गो का आना भी जारी है. एक कार्गो पर औसतन 7 लाख बैरल कच्चा तेल लदा है.
रूसी तेल से भरे जहाज दक्षिण कोरिया के बंदरगाह येओसु पर जमा हो रहे हैं जहां वो आम तौर पर भारत में आगे की शिपमेंट के लिए अपने माल को दूसरे जहाजों पर उतारते हैं. अगर रूसी तेल से भरे जहाज दक्षिण कोरियाई तटों पर ऐसे ही जमा होते रहे और उनका तेल भारत ले जाने के लिए दूसरे जहाजों में खाली नहीं हुआ तो रूस से भारत के तेल निर्यात की गति रुक सकती है.
भारत को रूसी तेल की आपूर्ति में क्यों आ रही रुकावट?
भारत को रूसी तेल की आपूर्ति में आ रही रुकावट को लेकर सूत्रों के हवाले से कई तरह की बातें कही जा रही हैं. तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जनवरी के महीने में कहा था कि रूसी तेल पर अब ज्यादा छूट नहीं मिल रही इसलिए भारतीय रिफाइनरों ने रूस से तेल खरीद में कमी कर दी है. उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया था कि रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भुगतान में दिक्कतों की वजह से खरीद पर असर पड़ा है.
कुछ रिफाइरों का भी यही कहना है कि सोकोल तेल से उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है. रिफाइनरी के एक सूत्र ने बताया कि सोकोल को खरीदने की उनकी कोई योजना नहीं है क्योंकि यह यूराल की तुलना में 2-3 डॉलर महंगा है जिसे खरीदने का कोई मतलब ही नहीं है.
हालांकि, तेल मंत्री पुरी ने बाद में कहा था जी-7 देशों के रूसी तेल पर लगाए गए 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप और शिपिंग की चुनौतियों के कारण भारत में सोकोल की कुछ डिलीवरी में बाधा आई हैं.
प्राइस कैप से ज्यादा कीमत पर अपना तेल बेच रहा रूस
रूस अपने सोकोल तेल को प्राइस कैप से ऊपर बेच रहा है जिस पर अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की कड़ी नजर है. अमेरिका ने प्राइस कैप से ऊपर बेचे जा रहे रूसी तेल पर नए प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है जिस कारण भारत को इस तेल की डिलीवरी में दिक्कत आ रही है.
अमेरिका ने अब सोकोल तेल ढो रहे उन जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया है जो 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर का तेल बेच रहे हैं. भारत में हाल के दिनों में जो सोकोल तेल से भरे कार्गो पहुंचे हैं, वो उन जहाजों में हैं जिन पर अमेरिका ने प्रतिबंध नहीं लगाया था.
एनालिटिक्स फर्म केप्लर और कुछ भारतीय तेल रिफाइनरी अधिकारियों का कहना है कि प्रतिबंधित जहाजों पर लाए गए रूसी तेल की पेमेंट बैंकों द्वारा अस्वीकार की जा रही है. भारत को हाल में सोकोल की जो डिलीवरी हुई है, उससे संकेत मिलता है कि भारत की कुछ रिफाइनरों ने इन मुश्किलों पर पार पा लिया है.