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'ताइवान का फायदा उठा रहे पश्चिमी देश... वो चीन का हिस्सा है', जिनपिंग के समर्थन में उतरा रूस

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ताइवान को चीन का अभिन्न हिस्सा बताते हुए उसकी किसी भी तरह की स्वतंत्रता का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि रूस ताइवान को चीन का आंतरिक मामला मानता है और बीजिंग को अपनी संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा का पूरा अधिकार है.

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लावरोव ने पश्चिमी देशों पर ताइवान का सैन्य और आर्थिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. (File Photo: Reuters)
लावरोव ने पश्चिमी देशों पर ताइवान का सैन्य और आर्थिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. (File Photo: Reuters)

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक बार फिर ताइवान को चीन का 'अभिन्न हिस्सा' बताया है और इस द्वीप की किसी भी तरह की स्वतंत्रता का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर रूस का रुख बिल्कुल साफ और स्थिर है.

न्यूज एजेंसी TASS को दिए एक इंटरव्यू में लावरोव ने कहा कि रूस ताइवान के मुद्दे को चीन का आंतरिक मामला मानता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजिंग को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का पूरा अधिकार है.

'ताइवान की बहस में अनदेखे कर दिए जाते हैं तथ्य'
 
लावरोव ने कहा कि ताइवान को लेकर अंतरराष्ट्रीय बहस अक्सर वास्तविकता से हटकर होती है और तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की जाती है. उनके मुताबिक, इन चर्चाओं में पूरे संदर्भ को नजरअंदाज कर दिया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि कई देश सार्वजनिक रूप से 'वन चाइना पॉलिसी' का समर्थन करते हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति बनाए रखने के पक्ष में खड़े रहते हैं. लावरोव ने इसे चीन के 'राष्ट्रीय एकीकरण के सिद्धांत' से असहमति करार दिया.

ताइवान का फायदा उठा रहे पश्चिमी देश

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लावरोव ने कहा कि ताइवान को तेजी से बीजिंग के खिलाफ सैन्य और रणनीतिक दबाव बनाने के एक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि कुछ पश्चिमी देश ताइवान के वित्तीय संसाधनों और तकनीकी क्षमताओं से फायदा उठाना चाहते हैं, जिसमें अमेरिका के महंगे हथियारों की ताइपे को बिक्री भी शामिल है.

2001 का मॉस्को-बीजिंग समझौता

रूस के लंबे समय से चले आ रहे रुख को दोहराते हुए लावरोव ने याद दिलाया कि ताइवान मुद्दे पर चीन के लिए रूस का समर्थन जुलाई 2001 में मॉस्को और बीजिंग के बीच हुए गुड नेबरलीनेस और फ्रेंडली कोऑपरेशन समझौते में दर्ज है. इस संधि का एक अहम सिद्धांत राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में आपसी समर्थन है.

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