एक साल से ज्यादा कतर की जेल में गुजारने के बाद भारत वापस आए पूर्व नेवी ऑफिसर संजीव गुप्ता ने अपनी आपबीती सुनाई है. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया है कि क्या जासूसी के आरोप में उन्हें और उनके अन्य साथियों को कतर की पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
कमांडर संजीव गुप्ता (रिटायर्ड) भारत के उन आठ पूर्व नौसैनिकों में से एक हैं जिन्हें अगस्त 2022 में कतर में गिरफ्तार कर लिया गया था. कई मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में इन सभी को गिरफ्तार किया था. हालांकि, आधिकारिक तौर पर अभी भी नहीं बताया गया है कि इन्हें किस आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
अक्टूबर 2023 में वहां की अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए आठों नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि, कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसी बीच भारत सरकार और कतर सरकार के बीच उच्च स्तरीय बातचीत के बाद 11 फरवरी को सभी को रिहा कर दिया गया है. कतर में फंसे आठ पूर्व नौसैनिकों में से सात वापस भारत भी आ चुके हैं.
मुझे लगा यहीं मर जाऊंगाः संजीव गुप्ता
कतर से रिहा हुए रिटायर्ड कमांडर संजीव गुप्ता कहते हैं कि 12 फरवरी को जब मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा तो सबसे पहले अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए अपनी नम आंखों से साष्टांग प्रणाम किया.
उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में आगे कहा कि दोहा जेल में गुजारे गए 17 से अधिक महीने बहुत ही भयावह थे. शुरुआती छह महीने तो और भी बुरे थे. उन दिनों में तो मैं यही सोचता रहता था कि आगे क्या होगा. कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं यहीं मर जाऊंगा.
रिहाई की जानकारी फोन पर मिलीः संजीव गुप्ता की पत्नी
संजीव की वतन वापसी पर उनकी पत्नी रेखा कहती हैं, "मैं अपने माता-पिता से मिलने के लिए आगरा गई थी. 12 फरवरी की सुबह मुझे फोन आया. सुबह के करीब तीन बजे थे. मैं वापस नोएडा जा रही थी. फोन पर कतर में भारत के राजदूत विपुल थे. उन्होंने कहा- बधाई हो, रेखा जी. संजीव जी भारत वापस आ गए हैं."
संजीव गुप्ता 1991 में भारतीय नौसेना का हिस्सा बने थे. भारतीय नौसेना से रिटायर्ड होने के बाद संजीव गुप्ता और उनका परिवार 2018 में दोहा शिफ्ट हो गया था. संजीव गुप्ता को कतर की राजधानी दोहा में एक प्राइवेट फर्म दहरा ग्लोबल में नौकरी लगी थी. इस फर्म का काम कतरी नौसेना को ट्रेनिंग देना था. संजीव गुप्ता को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था.
रिहाई से चंद घंटे पहले का अनुभव किया शेयर
रिहाई से पहले के घटनाक्रम को लेकर संजीव गुप्ता कहते हैं, "कतर के स्थानीय समय के अनुसार सुबह के 10 बज रहे थे. जेल गार्ड ने आकर मुझे अपना बैग पैक करने के लिए कहा. इसके अलावा उन्होंने कुछ नहीं कहा. हालांकि, मुझे लग गया कि यह शायद रिहाई का संकेत है. भारत के राजदूत जेल के बाहर हमारा इंतजार कर रहे थे. उन्होंने मुझे कहा कि आप सभी भारत जा रहे हैं. हमें यह पता था कि हमारी रिहाई के लिए दोनों सरकारों के बीच उच्चतम स्तर पर बातचीत हो रही है. लेकिन हमने यह कभी नहीं सोचा था कि हमें इतनी जल्दी रिहा कर दिया जाएगा.उस वक्त ऐसा लगा जैसे कि मैं सातवें आसमान पर हूं."
गिरफ्तारी को लेकर संजीव गुप्ता ने क्या कहा?
संजीव गुप्ता अपनी गिरफ्तारी को लेकर कहते हैं, "लगभग सत्रह महीने पहले 29 अगस्त 2022 को कतर की पुलिस ने आधी रात को हमें घरों से गिरफ्तार कर लिया था. रात के 11 बज रहे थे. कुछ देर पहले ही मैंने मिर्जापुर वेब सीरीज के कुछ एपिसोड देखकर खत्म किया था. इसके कुछ ही मिनट बाद हमें और अन्य साथियों को हिरासत में ले लिया गया."
उन्होंने आगे कहा, "यह एक प्रकार का झटका था. हमें हिरासत में लेने के लिए कई पुलिसकर्मी आए थे. हमें ना तो यह पता था कि वे क्यों आए हैं और हमें कहां ले जा रहे हैं. जिस तरह से हमें ले जाया गया, वह काफी भयावह था. मैं अपनी पत्नी या किसी को भी कॉल नहीं कर सका. 35 दिनों के बाद मैं अपनी पत्नी से बात कर पाया. शुरुआती महीने में हम पूरी तरह ब्लैकआउट थे. बाहरी दुनिया में क्या चल रहा है. हमलोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी.
शुरुआती छह महीने चिंता और अवसाद में गुजरा. अनहोनी का डर हमें अंदर ही अंदर खाए जा रहा था. छह महीने के बाद हमें पता चला कि दोनों सरकारों के बीच बातचीत हो रही है. इसके बाद कुछ राहत मिलने की उम्मीद होने लगी. हमें अपने परिवारों से मिलने की अनुमति दी गई. कांसुलर एक्सेस की अनुमति मिली."
जेल में सुविधा को लेकर संजीव ने कहा कि जेल कोठरी वैसी नहीं थी, जैसे हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता है. डिटेंशन सेंटर में अच्छी सुविधाएं थीं. इन सत्रह महीनों में मैंने 42 किताबें पढ़ीं. प्रतिदिन चार घंटे ध्यान और योग करता था.
जासूसी के आरोपों को लेकर क्या कहा?
संजीव गुप्ता और उनके अन्य साथियों को क्यों गिरफ्तार किया गया था? इस पर टिप्पणी करते हुए संजीव गुप्ता ने कहा, "हमारे ऊपर क्या आरोप थे. यह हमें कभी नहीं बताया गया. मुझे आज भी यह नहीं पता है कि हमें क्यों गिरफ्तार किया गया था. जासूसी करने के आरोपों से हमलोगों का कोई संबंध नहीं है. किसी सैन्य अधिकारी या अनुभवी व्यक्ति पर इस तरह के आरोप लगाना आसान है. लोगों को इस तरह के आरोपों पर विश्वास करना भी आसान होता है. यह केवल अफवाह और अनुमान था."