रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के ऐतिहासिक दौरे पर हैं. उनका यह दौरा भारत और रूस दोनों के लिए खास है और पूरी दुनिया की नजरें इस पर बनी हुई हैं. पाकिस्तान में तो पुतिन के दौरे की खासी चर्चा हो रही है. पाकिस्तान में इस बात को लेकर निराशा भी है कि पुतिन इतनी बार भारत आते हैं लेकिन एक बार भी पाकिस्तान नहीं आए. पुतिन ही नहीं बल्कि रूस का कोई भी राष्ट्रपति आजतक पाकिस्तान नहीं गया और पाकिस्तानियों को इस बात का भारी मलाल है.
अब जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन पश्चिमी दबावों के बीच भी भारत दौरे पर हैं तो पाकिस्तान के लोगों के मन में फिर ये सवाल उठ रहे हैं कि पुतिन कभी पाकिस्तान क्यों नहीं आते. हालांकि, पाकिस्तान के बहुत से लोगों को अपने देश की असली सच्चाई पता है और उनके प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तक कह चुके हैं कि हमारे मुल्क दोस्त नहीं चाहते कि हम उनके सामने भीख का कटोरा लेकर जाएं.
पुतिन के भारत दौरे के बीच पाकिस्तान की पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता आरजू काजमी ने भी अपने देश की हालत पर निराशा जताई है और कहा है कि पुतिन अपनी जेब कटवाने पाकिस्तान क्यों आएंगे.
काजमी ने यह टिप्पणी पाकिस्तान के रक्षा विश्लेषक कमर चीमा के साथ इंटरव्यू के दौरान की. कमर चीमा ने आरजू काजमी से सवाल किया, 'पुतिन साहब पाकिस्तान क्यों नहीं आते? बहुत बार हमारे ऊपर से गुजर जाते हैं...हम सीटियां भी मारते हैं... लेकिन हमसे ताल्लुक ही नहीं बनाते. वो आते क्यों नहीं हैं पाकिस्तान? मोदी साहब के साथ तो बड़ा हंसते हैं.'
कमर चीमा के सवाल पर आरजू काजमी ने कहा, 'हमें क्या काम है, हम उन्हें किसलिए बुलाएंगे? वो यहां आएंगे तो हम उन्हें क्या कहेंगे कि फाइटर जेट दे दें, तेल दे दें... उधार पर दे दें या किस्तों पर दे दें. क्या ये बात करेंगे हम उनसे? भारत जाएंगे तो कैश पर बात होगी...जाहिर है इसलिए वो भारत चले जाते हैं. हमारी तरफ आएंगे तो चीजें तो हम भी सब ले लेंगे... जो जो भारत लेगा, हम भी ले लेंगे दिखाने के लिए. थोड़ा सा फर्क है कि हम पैसा नहीं देंगे, उधार पर लेंगे या फिर कहेंगे कि हमें तो वैसे ही दे दो, हम अच्छे लोग हैं.'
आरजू काजमी ने अपने देश की खस्ता आर्थिक हालत पर व्यंग्य करते हुए आगे कहा, 'पुतिन शायद मूड में नहीं हैं हमें फ्री में चीजें देने के लिए इसलिए वो भारत चले गए कि कैश दो और सामान लो. इसलिए वो हमारे यहां नहीं आते. जिस दिन हम अपनी अर्थव्यवस्था ठीक कर लेंगे और इस काबिल हो जाएंगे कि कैश से सामान लेने लगे तो उस दिन से लोग हमारे यहां भी आने लगेंगे. अभी तक जो हमारे यहां आता है, उसे हम कभी बाढ़ दिखाते हैं, कभी भूकंप दिखाते हैं. हमेशा कहते रहते हैं कि हमारा हाल खराब है. अपनी जेब कटवाने कौन आएगा यहां.'
पाकिस्तानी पत्रकार ने शहबाज शरीफ सरकार की खिल्ली उड़ाते हुए आगे कहा, 'लोग अपने लेवल के लोगों से मिलते हैं... उनको पता है कि मैं वहां जाऊंगा तो भारत तेल लेगा, ट्रंप मना करेंगे तो भी भारत तेल खरीदेगा. भारत अगर फाइटर जेट लेगा तो भी पेमेंट करेगा. हमारा क्या है? हम तो जाते वक्त उनकी प्लेन के टायर भी उतार लेंगे... वो बेचारे कहेंगे कि क्या करूं?'
पाकिस्तान की बदहाल आर्थिक स्थिति के बीच वहां के लोगों का यह गुस्सा जायज है. शहबाज शरीफ सरकार सऊदी अरब, चीन जैसे देशों से मिले कर्ज के बल पर देश चला रही है.
हाल के सालों में पाकिस्तान ने रूस से अपने संबंधों को बढ़ाने की कोशिश भी की है और इसका सबसे अच्छा उदाहरण फरवरी 2022 में देखने को मिला था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान रूस पहुंचे थे. इमरान खान ने पुतिन से मुलाकात की थी और रूसी तेल की खरीद की दिशा में कोशिशें तेज की थीं. लेकिन पाकिस्तान-रूस संबंध आगे नहीं बढ़ पाएं.
पुतिन कभी पाकिस्तान नहीं गए लेकिन अक्टूबर 2012 में पाकिस्तान में आयोजित होने वाले चार देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और रूस) के एक शिखर सम्मेलन के लिए वो पाकिस्तान जाने वाले थे. पाकिस्तान इस दौरे को ऐतिहासिक बताते हुए जोर-शोर से तैयारियां कर रहा था.
लेकिन सम्मेलन से ठीक पहले पुतिन ने पाकिस्तान को बताया कि वो नहीं आ रहे हैं. पाकिस्तान की और बेइज्जती तब हुई जब रूस की तरफ से कहा गया कि रूस ने कभी ये नहीं कहा कि शिखर सम्मेलन के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रपति पुतिन करेंगे. पुतिन के न आने की खबर के बाद पाकिस्तान ने शिखर सम्मेलन ही टाल दिया था.
पाकिस्तान में रूस के तत्कालीन राजदूत अलेक्सई देदोव ने तब कहा था, 'यहां दिक्कत ये है कि यात्रा की कोई ठोस वजह होनी चाहिए. अगर ऐसा कुछ रहा तो दौरा जरूर होगा. इसके लिए तैयारी और समझौतों का होना जरूरी है.'