प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी7 समिट में हिस्सा लेने के लिए कनाडा गए हुए हैं. इसके बाद बुधवार को वह क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा पर रवाना होंगे. भारत के किसी भी प्रधानमंत्री का यह पहला क्रोएशिया दौरा होगा. पीएम मोदी के क्रोएशिया दौरे से दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे साथ ही और काराबोरी रिश्तों को भी मजबूती मिलने की उम्मीद है.
एनर्जी सेक्टर की उभरती ताकत
क्रोएशिया पारंपरिक रूप से भारत के लिए एनर्जी और आईटी सेक्टर में साझेदार नहीं रहा है. लेकिन हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रगति और वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव की वजह से पीएम मोदी का यह दौरा अहम माना जा रहा है. दक्षिण-पूर्व यूरोप में एड्रियाटिक सागर के किनारे बसा यह देश एनर्जी सेक्टर में एक उभरती हुई ताकत बन रहा है. खास तौर पर गैस हब के लिहाज से भारत जैसे एनर्जी इंपोर्टर देश के लिए क्रोएशिया के साथ साझेदारी अहम हो सकती है.
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रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप रूसी गैस पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक सोर्स तलाश रहा है. क्रोएशिया का LNG टर्मिनल कतर, अमेरिका और अन्य गैस निर्यातक देशों से सप्लाई को यूरोप तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है. भारत, जो LNG का एक प्रमुख इंपोर्टर है, क्रोएशिया के जरिए यूरोपीय गैस बाजारों तक पहुंच सकता है और ऊर्जा व्यापार में सहयोग बढ़ा सकता है.
यूरोप में बन सकता है एंट्री गेट
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए प्राकृतिक गैस पर निर्भरता बढ़ा रहा है और क्रोएशिया उसमें बड़ा मददगार साबित हो सकता है. क्रोएशिया के साथ गैस व्यापार समझौते भारत मध्य और पूर्वी यूरोप में ऊर्जा बाजारों तक अपनी पहुंच बना सकता है. भारत की कंपनियां, जैसे गेल (GAIL) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL), वैश्विक स्तर पर LNG आपूर्ति के लिए नई डेस्टिनेशन की तलाश कर रही हैं. क्रोएशिया का LNG टर्मिनल भारत के लिए यूरोप में गैस व्यापार का एक एंट्री गेट हो सकता है.
क्रोएशिया यूरोपीय संघ (EU) का सदस्य है, और भारत-EU फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर बातचीत कर रहा है. ऐ्रसे में क्रोएशिया के साथ ऊर्जा सहयोग भारत को यूरोपीय बाजारों में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा. मिडिल ईस्ट और रूस जैसे पारंपरिक गैस सप्लायर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को वैकल्पिक साझेदारों की जरूरत है और ऐसे में क्रोएशिया की रणनीतिक जगह इसे एक अहम मध्यस्थ बनाती है.
भारतीय कंपनियों का नया ठिकाना?
इसके अलावा भारत ग्लोबल आईटी इंडस्ट्री का पावरहाउस बन गया है और उसके लिए क्रोएशिया जैसे देशों की साझेदारी बहुत अहम हो सकती है, जहां हाल के दिनों में कई स्टार्टअप्स और टेक कंपनियां उभर रही हैं. सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, साइबर सिक्योरिटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे क्षेत्रों में क्रोएशिया की कंपनियों से समझौता इस दिशा में नया कदम साबित हो सकता है.
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दूसरी तरफ क्रोएशिया में उच्च शिक्षित और तकनीकी रूप से कुशल वर्कफोर्स उपलब्ध है, जो भारत की आईटी कंपनियों के लिए आकर्षक है. भारतीय कंपनियां जैसे Infosys, TCS, और Wipro यूरोप में अपना विस्तार कर रही हैं और क्रोएशिया एक अहम डेस्टिनेशन बन सकता है. भारत और क्रोएशिया ने हाल के वर्षों में आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर साइन किए हैं. 2020 में दोनों देशों ने डिजिटल परिवर्तन और स्टार्टअप सहयोग पर चर्चा की थी, जो आईटी सेक्टर में साझेदारी को मजबूत करने का संकेत देता है.
भारत और क्रोएशिया के बीच बीते साल करीब 306 मिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है. क्रोएशिया में भारत ने 250 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था, जबकि भारत में क्रोएशियाई निवेश 55 मिलियन डॉलर के करीब रहा. बता दें कि यूरोपीय देश क्रोएशिया की आबादी करीब 40 लाख है और क्षेत्रफल के लिहाज से यह भारत के राज्य उत्तराखंड से थोड़ा ही बड़ा है. इस देश में दुनिया का सबसे छोटा शहर हुम स्थित है जहां सिर्फ 20-30 लोग रहते हैं. इसी वजह से हुम का नाम सबसे छोटे शहर के तौर पर गिनीज बुक में दर्ज है.