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'तालिबान से रिश्ते बनाने की कोशिशें नाकाम... पूरा गेम पलटा!' अफगान से रिश्ते पर छलका ख्वाजा आसिफ का दर्द

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुलासा किया है कि 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद इस्लामाबाद द्वारा अफगान तालिबान से संबंध सुधारने के प्रयास पूरी तरह असफल रहे. उन्होंने बताया कि तालिबान अब पाकिस्तान की बात नहीं मान रहे और कई मामलों में उसकी खिलाफत कर रहे हैं.

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तालिबान संग पाकिस्तान के रिश्ते पर बोले ख्वाजा आसिफ. (File Photo: ITG)
तालिबान संग पाकिस्तान के रिश्ते पर बोले ख्वाजा आसिफ. (File Photo: ITG)

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहली बार खुलकर स्वीकार किया है कि 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद इस्लामाबाद ने अफगान तालिबान से रिश्ते सुधारने के लिए जितने भी प्रयास किए, वे पूरी तरह असफल रहे हैं.

ख्वाजा आसिफ ने एक पाकिस्तानी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, 'मैंने खुद काबुल में तालिबान का स्वागत किया था. कई बार अफगानिस्तान का दौरा किया, संबंधों को स्थिर करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन इन सबका कोई फायदा नहीं हुआ, कोई सफलता नहीं मिली.'

'पूरा गेम पलट गया'

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि पाकिस्तान को उम्मीद थी कि तालिबान उस पर निर्भर रहेंगे, लेकिन पूरा समीकरण ही पलट गया है. अब तालिबान न सिर्फ पाकिस्तान की बात नहीं मान रहा, बल्कि कई मामलों में उसकी खिलाफत कर रहा है.

उन्होंने तालिबान को अराजक समूह करार देते हुए कहा कि उन पर (तालिबान) भरोसा करना मूर्खता होगी. हमने उसके साथ शालीनता बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन उन्होंने उस धरती का उतना एहसान नहीं चुकाया, जिसने उनकी दो पीढ़ियों को रहने की जगह दी.

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PAK लंबे वक्त तक तालिबान को दी पनाह

 

 

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पाकिस्तान ने दशकों तक अफगान तालिबान को पनाह, हथियार और ट्रेनिंग दी थी और 2021 में अमेरिकी सेना की वापसी के बाद उसे लगता था कि काबुल में उसकी पसंद की सरकार आएगी जो इस्लामाबाद के हितों की रक्षा करेगी. पर सत्ता में आने के बाद तालिबान ने पाकिस्तान की उम्मीदों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है.

खासकर टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) को लेकर दोनों देशों के बीच गहरे मतभेद हैं. पाकिस्तान चाहता है कि अफगान तालिबान टीटीपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, लेकिन तालिबान ने स्पष्ट इनकार कर दिया है. इसके अलावा सीमा विवाद, डूरंड लाइन और व्यापारिक मुद्दों पर भी तनाव बढ़ता जा रहा है.

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