पाकिस्तान में शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर मिलकर एक ऐसी सरकार चला रहे हैं जिसमें सभी विरोधी आवाजे बेदर्दी से कुचली जा रही हैं. पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता पीटीआई प्रमुख इमरान खान अदियाला जेल में बंद हैं और बीते तीन हफ्तों से अधिक समय से उनकी स्थिति का कोई अता-पता नहीं है. उनके परिवार और पार्टी के लोग कह रहे हैं कि अधिकारी जरूर कुछ छिपा रहे हैं और वो इमरान खान के जिंदा होने के सबूत मांग रहे हैं. पीटीआई शासित खैबर पख्तूनख्वा (KP) के मुख्यमंत्री ने इमरान खान के परिवार और समर्थकों के साथ अदियाला जेल के बाहर रातभर धरना दिया जिससे शहबाज सरकार भड़क गई है.
खबर है कि पाकिस्तान सरकार खैबर पख्तूनख्वा (KP) में गवर्नर का शासन लागू करने पर विचार कर रही है. पाकिस्तान के एक मंत्री ने कहा कि यह गवर्नर रूल प्रशासनिक ढांचा बनाए रखने के लिए एक संवैधानिक प्रावधान है जिसे 'जब बेहद जरूरी हो' तब लागू किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि गवर्नर का शासन लागू करने का अंतिम फैसला राष्ट्रपति लेंगे.
केपी के मुख्यमंत्री सुहैल अफरीदी के सेंट्रल जेल रावलपिंडी (अदियाला जेल) के बाहर रातभर धरना देने के कुछ दिन बाद, पाकिस्तान के जूनियर कानून और न्याय मंत्री बैरिस्टर अकील मलिक ने कहा है कि सरकार गवर्नर राज पर विचार कर रही है.
उन्होंने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि केपी में 'सुरक्षा और शासन से जुड़े मुद्दे' गंभीर हैं. जियो न्यूज से बातचीत में मलिक ने कहा कि अफरीदी और उनकी टीम किसी भी तरह की काम करने लायक स्थिति बनाने में बुरी तरह नाकाम रही है.
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक, 'वो (केपी के मुख्यमंत्री) न तो केंद्र सरकार से तालमेल चाहते हैं और न ही जहां जरूरत है, वहां कार्रवाई करते हैं.'
मलिक ने दोहराया कि गवर्नर शासन लगाना संविधान के तहत केवल 'पूरी तरह जरूरी होने' की स्थिति में उठाया जाने वाला कदम है. उन्होंने कहा, 'केपी की स्थिति खुद ही यह मांग करती है कि प्रशासनिक ढांचे की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया जाए.'
मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार इस विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है. पाकिस्तान में गवर्नर राज प्रधानमंत्री की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 232 और 234 के तहत लगाया जाता है और अंतिम अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है.
जब यह पूछा गया कि अनुच्छेद 234 के तहत गवर्नर केंद्र सरकार से स्वतंत्र रूप से भी सिफारिश कर सकता है, तो मलिक ने कहा कि यह सिर्फ एक ऑप्शन है फिलहाल.
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति भी खुद यह कदम उठा सकते हैं, जिसके बाद संसद के संयुक्त सत्र से मंजूरी ली जा सकती है.' उन्होंने बताया कि गवर्नर राज शुरू में दो महीने तक लागू किया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सकता है.
मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि केपी सरकार 'रास्ते बंद करने और प्रांत को देश के बाकी हिस्सों से अलग करने' की योजना बना रही है. इस बीच, रिपोर्ट के अनुसार केपी के गवर्नर फैसल करीम कुंडी ने गवर्नर राज की अटकलों का खंडन किया है लेकिन कहा कि अगर पार्टी फैसला लेती है तो वो उसे स्वीकार करेंगे.
खैबर पख्तूनख्वा में गवर्नर राज की सुगबुगाहट के साथ ही लोगों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है. लोग कह रहे हैं कि अगर ऐसा होता है तो सरकार को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी.
पाकिस्तान के पत्रकार इमरान रियाज खान ने कहा, 'खैबर पख्तूनख्वा में पीटीआई सरकार, इस्टैब्लिशमेंट के लिए जीवनरेखा है. अगर खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार खत्म की गई या वहां गवर्नर राज लगाया गया, तो याद रखना, ऐसी आग भड़केगी जिसे कोई बुझा नहीं सकेगा.'