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पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कानून होगा सख्त, सुरक्षा बलों को दी जाएगी और ताकत

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को संसद में एक विधेयक पेश किया जिसमें देश के आतंकवाद-रोधी कानूनों में संशोधन की मांग की गई है. इस संशोधन का उद्देश्य सेना और अर्धसैनिक बलों को आतंकवाद और अन्य गंभीर अपराधों के संदिग्धों को तीन महीने तक हिरासत में रखने का अधिकार देना है.

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पाकिस्तान आर्मी (फाइल फोटो)
पाकिस्तान आर्मी (फाइल फोटो)

पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने शुक्रवार को नेशनल असेंबली में 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया. इस संशोधन के बाद सुरक्षा बलों को अधिकार मिलेगा कि वे जबरन वसूली, टारगेट किलिंग, और अपहरण से जुड़े अपराधों के संदिग्धों को गिरफ्तार और हिरासत में रखने की पावर मिलेगी.

इस विधेयक में कहा गया है कि तीन महीने से ज्यादा की किसी भी हिरासत के लिए पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 10-A के तहत ट्रांसपेरेंट ट्रायल जरूरी होंगे. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संदिग्धों को अचित कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरने का अधिकार मिले.

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आरोपों की जांच के लिए बनेगी जांच टीम

संदिग्धों के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) गठित किया जाएगा, जिसमें कानून प्रवर्तन, सशस्त्र बलों, खुफिया एजेंसियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अधिकारी शामिल होंगे. यह टीम संदिग्धों के खिलाफ सभी आरोपों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करेगी.

शहबाज कैबिनेट ने दी थी मंजूरी

पिछले महीने, शहबाज शरीफ कैबिनेट ने 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम में एक संशोधन को मंजूरी दी थी, जिसमें बलूचिस्तान में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार दिए गए थे. यह कदम देश में बढ़ती आतंकवाद की घटनाओं के चलते उठाया गया है, खासतौर पर बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों में, जो अफगानिस्तान से सटा हुआ है.

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पाकिस्तान आरोप लगाता है कि ये पड़ोसी देश अपनी धरती का इस्तेमाल हमला करने के लिए करने वाले आतंकवादियों को आश्रय दे रहा है. इस कदम को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों में मतभेद है. कुछ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इसे अहम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन भी मान रहे हैं.

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