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'न्यूक्लियर ब्लैकमेल' के बाद पाकिस्तान की निकली हेकड़ी, शहबाज शरीफ बोले- हमारा परमाणु कार्यक्रम तो...

शहबाज शरीफ का यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है. इस हमले के बाद नई दिल्ली की ओर से तीखी सैन्य प्रतिक्रिया हुई और पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया.

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पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ (File Photo: AP)
पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ (File Photo: AP)

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को लगातार परमाणु हमले की गीदड़भभकी देने वाले पाकिस्तान की हेकड़ी अब निकल चुकी है. हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने भारत के साथ संभावित परमाणु संघर्ष की आशंकाओं को खारिज कर दिया है. यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य कार्रवाई के कुछ दिनों बाद सामने आया है.

शांति के लिए परमाणु हथियार

इस्लामाबाद में छात्रों को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ़ ने कहा कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांति बनाए रखने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए है. शरीफ़ ने कहा, 'पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों और राष्ट्रीय रक्षा के लिए है, न कि आक्रामकता के लिए.'

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उनका यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है. इस हमले के बाद नई दिल्ली की ओर से तीखी सैन्य प्रतिक्रिया हुई और पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इसके साथ ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करते हुए उसके सैन्य ठिकानों पर भी हमले किए थे.

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पहले परमाणु हमले की धमकी

भारतीय सेना ने नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिनमें बहावलपुर भी शामिल था, जिसे जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी सगंठन का गढ़ माना जाता है. शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान ने चार दिन तक चली इस तनातनी के दौरान 'पूरी ताकत से' जवाब दिया, जिसमें 55 पाकिस्तानी मारे गए.

पहलगाम हमले के बाद के हफ़्तों में, दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ गया. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा था कि देश हाई अलर्ट पर है, लेकिन वह अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल सिर्फ विकट परिस्थितियों में ही करेगा. उन्होंने कहा, 'हमारे अस्तित्व को सीधा ख़तरा हो, तभी हम इस पर विचार करेंगे.'

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परमाणु मुद्दे पर बहस तब और तेज़ हो गई जब पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के पूर्व महानिदेशक जावेद अशरफ़ काज़ी ने एक कड़ी चेतावनी जारी की. उन्होंने कहा, 'दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. युद्ध से परमाणु विनाश हो सकता है, सिर्फ़ हमारे दोनों देशों का ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का. परमाणु युद्ध का असर सैकड़ों मील से भी आगे तक फैल सकता है.'

न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं चलेगा

द्वितीय विश्व युद्ध से तुलना करते हुए जावेद अशरफ काजी ने कहा, 'जापान में सिर्फ दो बम गिराए गए थे और उसके नतीजे आज भी दिखाई दे रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के पास 170-170 से ज्यादा बम हैं. इतने बड़े बेड़े के साथ युद्ध की कल्पना करना भी भयावह है.'

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इस्लामाबाद का कहना है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम प्रिवेंटिव है, भारतीय अधिकारी लगातार इस बात को नकारते रहे हैं और इसे पाकिस्तान का 'न्यूक्लियर ब्लैकमेल' बता चुके हैं. अतीत में भी कई बार ऐसा हुआ है कि जब भी द्विपक्षीय तनाव बढ़ता है, पाकिस्तानी राजनीतिक और सैन्य नेता परमाणु धमकी का सहारा लेते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत के रुख को साफ करते हुए कहा था कि पाकिस्तान का न्यूक्लियर ब्लैकमेल अब नहीं चलेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर को अब जंग माना जाएगा और उसका जवाब पूरी ताकत के साथ दिया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा था कि अगर सीमा पार से कोई भी आतंकी हमला होता है तो उसे देश के खिलाफ जंग ही माना जाएगा.

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