नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को तगड़ा झटका लगा है. वह सदन में बहुमत साबित करने में विफल हो गए हैं. अब उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. नेपाल में कैबिनेट मीटिंग जारी है. ओली को निचले सदन में बहुमत साबित करना था.
नेपाल की संसद प्रतिनिधि सभा में विश्वास का मत लेने के लिए हुए मतदान में ओली के पक्ष में सिर्फ 93 वोट ही पड़े.जबकि विपक्ष में 124 सांसदों ने मतदान किया.ओली की अपनी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी यूएमएल के 28 सांसदों ने व्हीप का उल्लंघन करते हुए सदन में अनुपस्थित हो गए थे.
ओली को मतदान के नाम पर जनता समाजवादी पार्टी में भी विभाजन हो गया. उनके आधे सांसदों ने तटस्थ रह कर ओली को एक तरह से सहयोग किया जबकि 15 सांसदों ने विरोध में मतदान किया. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन के तीन महीने बाद जब माओवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रचण्ड ने सरकार से अपना समर्थन वापस लिया तो पीएम ओली को विश्वासमत का सामना करना पड़ा.
हालांकि इस मतदान के दौरान विपक्षी दलों के पास भी बहुमत नहीं होने के कारण उनको सरकार बनाने में दिक्कतें आएगी. कहा जा रहा है कि ओली ने रणनीति के तहत सदन में विश्वास मत लिया था. यह जानते हुएकि बहुमत उनके पक्ष में नहीं है लेकिन इस प्रक्रिया के बाद अब राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता के रूप में ओली को ही प्रधानमंत्री बनने के लिए आमंत्रित करने वाली है.
बता दें कि पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) ने ओली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद ओली सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा. राजनीतिक खींचतान के बीच नेपाल में सोमवार को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था. फ्लोर टेस्ट से पहले सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल ने अपने सभी सांसदों को एक व्हिप जारी किया था जिसमें उनसे प्रधानमंत्री के पक्ष में वोट देने का आग्रह किया गया था. प्रचंड की अगुवाई वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र ) के समर्थन खींच लेने के बाद ओली की सरकार अल्पमत में आ गई थी.