राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर कहा कि वहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं और हालात काफी कठिन हैं. हालात कठिन होने के बावजूद अधिकतम सुरक्षा के लिए वहां के हिंदुओं को एकजुट रहना होगा. दुनियाभर के हिंदुओं को उनकी मदद करनी चाहिए.
भागवत ने कहा कि हम अपनी सीमाओं के भीतर रहकर जितनी मदद कर सकते हैं, उतनी मदद करनी चाहिए. हमें जो कुछ भी संभव है, वह करना होगा और हम कर भी रहे हैं. हिंदुओं के लिए एकमात्र देश भारत है. भारत सरकार को इस पर संज्ञान लेना होगा. उसे कुछ न कुछ करना पड़ेगा. संभव है कि वह पहले से ही कुछ कर रही हो. कुछ बातें सार्वजनिक की जाती हैं, कुछ नहीं की जा सकतीं. कभी नतीजे निकलते हैं, कभी नहीं निकलते. लेकिन कुछ न कुछ तो करना ही होगा.
उन्होंने कहा कि अगर हिंदू समाज एकजुट होकर खड़ा हो जाए, तो बंगाल में हालात बदलने में देर नहीं लगेगी. जहां तक राजनीतिक बदलाव को लेकर मेरे विचारों का सवाल है, तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि राजनीतिक परिवर्तन के बारे में सोचना मेरा काम नहीं है. हम संघ के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं.
हिंदू राष्ट्र के सवाल पर मोहन भागवत ने कहा कि सूरज पूर्व से उगता है, हमें नहीं पता यह कब से हो रहा है. तो क्या इसके लिए भी संविधान की मंजूरी चाहिए? हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है, जो भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है और भारतीय संस्कृति का सम्मान करता है, जब तक हिंदुस्तान की धरती पर एक भी ऐसा व्यक्ति जीवित है जो भारतीय पूर्वजों की गौरवशाली परंपरा में विश्वास रखता है और उसे संजोता है तब तक भारत एक हिंदू राष्ट्र है. यही संघ की विचारधारा है.
उन्होंने कहा कि अगर कभी संसद संविधान में संशोधन करके वह शब्द जोड़ दे, या न भी जोड़े, तो भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. हमें उस शब्द की परवाह नहीं है, क्योंकि हम हिंदू हैं और हमारा राष्ट्र हिंदू राष्ट्र है. यही सत्य है. जन्म के आधार पर बनी जाति-व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं है.
मोहन भागवत ने कोलकाता में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक झगड़ा चल रहा था, जो बाद में कोर्ट पहुंचा. अदालत ने लंबा समय लगाकर उस पर फैसला दिया तो वहां राम मंदिर बन गया. राम मंदिर बनते ही झगड़ा वहीं समाप्त हो गया. लेकिन अब फिर से बाबरी मस्जिद बनाकर उस झगड़े को दोबारा शुरू करने का ये पॉलिटिकल षडयंत्र है और ये सब वोट के लिए हो रहा है. इससे ना तो हिंदुओं का फायदा होगा और ना ही मुसलमानों का. मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर यह धारणा है कि हम मुस्लिम-विरोधी हैं, तो जैसा कि मैंने कहा, आरएसएस का काम पूरी तरह पारदर्शी है. आप कभी भी आकर स्वयं देख सकते हैं. देखने के बाद लोगों ने कहा है कि आप कट्टर राष्ट्रवादी हैं. आप हिंदुओं को संगठित करते हैं और हिंदुओं की रक्षा की बात करते हैं, लेकिन आप मुस्लिम-विरोधी नहीं हैं. बहुत से लोगों ने इसे स्वीकार किया है और जो लोग और अधिक जानना चाहते हैं, उन्हें खुद आकर आरएसएस को देखना चाहिए.
मोहन भागवत ने बेलडांगा में टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखे जाने के सवाल पर कहा कि अब यह बाबरी मस्जिद को फिर से बनाकर विवाद को दोबारा शुरू करने की एक राजनीतिक साज़िश है. यह वोटों के लिए किया जा रहा है, इससे न तो मुसलमानों का भला है और न ही हिंदुओं का. ऐसा नहीं होना चाहिए. मेरी यही राय है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकारी पैसे से धार्मिक स्थल बनाना सही है, तो उन्होंने कहा कि सरकार को मंदिर या किसी भी धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं करना चाहिए. यही नियम है. सोमनाथ मंदिर का निर्माण हुआ था. उस समय सरदार वल्लभभाई पटेल गृह मंत्री थे. उसके उद्घाटन में राष्ट्रपति शामिल हुए थे, लेकिन सरकारी धन का उपयोग नहीं हुआ. राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुआ. सरकार से ट्रस्ट बनाने को कहा गया और उसने ट्रस्ट बनाया. सरकार ने पैसा नहीं दिया. हम सबने मिलकर योगदान दिया.