बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले जारी हैं. कट्टरपंथियों ने मंगलवार को चटगांव में एक हिंदू परिवार के घर में तोड़फोड़ की और आग लगा दिया. इस आगजनी में हिंदू परिवार के पालतू जानवरों की जलकर मौत हो गई. घटनास्थल के पास हिंदू समुदाय को निशाना बनाते हुए एक धमकी भरा बैनर भी मिला है, जिसमें हिंदुओं पर इस्लाम विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी.
एक बांग्लादेशी हिंदू व्यक्ति ने आजतक से बातचीत में वहां के हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार को लेकर अपना दर्द बयां किया. उसने कहा, 'हम जिंदा तो हैं... लेकिन चलती-फिरती लाशों की तरह जी रहे हैं.' अपनी पहचान उजागर होने के डर से उसने अपना चेहरा छिपा रखा था. उसने कहा, 'अगर आज मेरी पहचान हो गई तो कल की सुबह शायद मेरी आखिरी सुबह हो.' कट्टरपंथी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़की, जिसके बाद चरमपंथी समूहों ने दूरदराज के गांवों तक हिंदू घरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.
पूरे बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले
हाल के हफ्तों में चटगांव से मयमनसिंह तक हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं. चटगांव के दूरस्थ इलाकों से सबसे गंभीर मामले रिपोर्ट हुए हैं. पीड़ित ने 20 दिसंबर को चटगांव में हुई एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि वहां हिंदुओं को खुलेआम धमकियां दी जा रही थीं. उसने दावा किया कि धमकी भरे पर्चे मिले, जिनमें हिंदुओं को मारने और इलाके से खदेड़ने की बात लिखी थी. उसने बताया, 'लोगों को घरों में बंद कर आग लगा दी गई. परिवार जान बचाने के लिए झाड़ियों में छिपकर भागे.'
यह भी पढ़ें: 'भारत बड़ा देश... बांग्लादेश नहीं चाहता खराब संबंध', मोहम्मद यूनुस प्रशासन ने जताई सुलह की इच्छा
हिंदू समुदाय में डर और हताशा का माहौल है
पीड़ित व्यक्ति ने हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और अदालती कार्यवाही में लगातार हो रही देरी का हवाला दिया. उसने बताया कि बांग्लादेश का हिंदू समुदाय डर में जी रहा है. उनके घर जलाए जा रहे हैं, उनके साथ लूटपाट और हत्याएं हो रही हैं. कट्टरपंथियों की भीड़ खुलेआम हिंदुओं के खिलाफ हिंसा कर रही है, यह पूरी दुनिया ने देखा है. उसने कहा, 'हिंसा मुख्य रूप से गांवों और दूर-दराज के इलाकों में केंद्रित है, जहां शाम के बाद हालात और भी खतरनाक हो जाते हैं. हम जिंदा हैं, लेकिन असल में मर चुके हैं.'
महिलाएं और लड़कियां सबसे ज्यादा असुरक्षित
पीड़ित हिंदू व्यक्ति ने आजतक को बताया कि महिलाएं और लड़कियां सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. कई लड़कियों ने सुरक्षा कारणों से पढ़ाई छोड़ दी है और किसी अनहोनी के डर से माता-पिता कम उम्र में उनकी शादी कर रहे हैं. हिंदू महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाया जा रहा है. सांस्कृतिक गतिविधियों और नृत्य-संगीत में उनकी रुचि को उनके खिलाफ यौन हिंसा का दोषी ठहराया जा रहा है. कट्टरपंथी हमारी महिलाओं और लड़कियों को बुर्का पहनाना चाहते हैं. वे कहते हैं कि गीत-संगीत इस्लाम विरोधी है. हम सब डर के जी रहे हैं. उसने कहा कि हमलावर स्थानीय नेताओं से जुड़े होते हैं और पुलिस शिकायत दर्ज करने से इनकार कर देती है. उल्टा पीड़ितों पर ही अवामी लीग समर्थक होने का आरोप लगाकर कार्रवाई की जाती है.