
उत्तर ईरान में स्थित माजंदरान हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा एक प्रदेश है. इसी प्रदेश का एक शहर है सारी. सारी नाम का ये शहर ईरान के खूबसूरत इलाकों में गिना जाता है. यह प्रदेश समय के लिए ईरान की राजधानी थी. अल्बोरज पर्वत की उत्तरी ढलानों और माजंदरान सागर के दक्षिणी तट के बीच स्थित सारी माजंदरान का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है.
ईरान और इजरायल की जंग इस शहर के लिए कहर बनकर आई. अब इस शहर में सन्नाटा पसरा है. बारूद की गंध फिजाओं में आम है. पिछले नौ दिनों से अक्सर यहां की सड़कों पर जनाजे निकलते रहते हैं. ये उनकी मौत है जो इजरायली मिसाइल, ड्रोन और गोले बारूद की चपेट में आए हैं. ईरान के राष्ट्र ध्वज में लिपटे ताबूत को छूकर महिलाएं सलाम पेश करती हैं. और दहाडें मार मारकर रोती हैं. समाचार एजेंसी रायटर्स ने इसके वीडियो और फोटो जारी किए हैं.
इनके लबों पर यहूदी इजरायल के खिलाफ तीव्र गुस्सा है. जबर्दस्त नारेबाजी होती है. सारी शहर की ये सड़क अपने शहीदों को विदा देने के लिए भीड़ से पट चुकी है. य शहर अपने अपने कमांडरों, साइंसदानों, जवानों को आखिरी बार विदा कहने के लिए सड़क पर निकल चुका है.

हर शख्स भीड़ से निकलकर किसी तरह इस ताबूत को छू लेना चाहता है. कुछ युवा जोश मर्द और ख्वातीन भीड़ को झटका देकर पूरे जोश में निकलते हैं और ताबूत पर सिर टिकाकर उसे चूम लेते हैं. नौजवान और अधेड़ किसी भी तरह अपने 'शहीद' को कंधा देकर अपनी खास चाहत पूरा कर लेना चाहते हैं.

ईरान का बंद-बंद सा दिखने वाला समाज भी आज पूरी ताकत के साथ सड़क पर है और इस आखिरी यात्रा में शामिल है.
ईरान का कोम शहर से भी हमले में मारे गए लोगों को विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा है. काले हिजाब में लिपटी महिलाओं का झुंड एक तरफ है तो, सफेद पगड़ी और कपड़ा बांधे पुरुषों का समूह दूसरी ओर. तपती गर्मी में ईरान के लोग अपने सपूत को विदा देने के लिए हर कष्ट उठा लेने को तैयार हैं.
इजरायल की होलोन शहर की गलियों कहा-सुनी भी कुछ ऐसी है. बस यहां की सड़कों पर भीड़ कम है. ईरान के हमले में मारे गए एक शख्स के शव को लेकर एक अघेड़ अकेला ही उस स्थान को आता है जहां यहूदियों समाज के लोग अपने मृतकों का अंतिम संस्कार करते हैं. एक महिला रोते-रोते, हिचकते हिचकते श्रद्धांजलि संदेश पढ़ती है. लोग डबडबायी आंखों से अपने प्रिय को विदा करते हैं. इसके बाद धर्म गुरु कुछ धार्मिक क्रियाएं करते हैं. फिर मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है.

चाहे ईरान हो या फिर इजरायल. कॉफिन की ये मूक चीखें एक ही बात कह रही हैं, वो ये कि युद्ध कोई हल नहीं. न माजंदरान की गलियां जीत रही हैं, न तेल अवीव की सड़कें. हर मिसाइल, हर बम सिर्फ जिंदगियां छीनता है, सपने कुचलता है.
बता दें कि ईरान और इजरायल जंग का आज नौवां दिन है. इस हमले में अबतक ईरान के 639 और इजरायल के 24 लोगों की मौत हो चुकी है.