श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने चीनी राजदूत की जासूसी पोत को लेकर टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया है. कोलंबो में भारतीय दूतावास ने ट्विटर पर श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग को फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि चीनी राजदूत ने ऐसा बयान देकर बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन किया है. यह उनकी व्यक्तिगत सोच हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय दृष्टिकोण को दर्शाती है.
श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट और कर्ज को लेकर चीन की टिप्पणियों पर चेतावनी देते हुए भारतीय दूतावास ने कहा कि श्रीलंका को मदद की जरूरत है, लेकिन समर्थन की आड़ में किसी दूसरे देश के एजेंडे को पूरा करने के लिए अवांछित दबाव या किसी भी तरह के विवाद की जरूरत नहीं है. भारतीय दूतावास की ओर से ट्वीट किया गया, "श्रीलंका के बारे में उनका दृष्टिकोण उनके अपने देश के व्यवहार से मिलाजुला हो सकता है, लेकिन भारत उन्हें आश्वस्त करता है कि हम बहुत अलग हैं."

चीन का अनुसंधान पोत युआन वांग-5 11 अगस्त को चीनी द्वारा निर्मित बंदरगाह हंबनटोटा पर हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी भाग में अंतरिक्ष ट्रैकिंग, उपग्रह नियंत्रण करने के लिए पहुंचा था. लेकिन इसकी आड़ में वह भारतीय मिसाइलों पर नजर रखना चाहता था. भारत ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था.
चीनी राजदूत ने नहीं लिया था सीधा नाम
श्रीलंका में चीनी राजदूत ने भारत की ओर से युआन वांग-5 को लेकर जताई गई आपत्ति पर बयान में सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन कहा गया कि कुछ ताकतों की ओर से बिना प्रमाण के तथाकथित सुरक्षा चिंताओं पर आधारित बाहरी अवरोध वस्तुत: श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह हस्तक्षेप हैं.
श्रीलंका की मदद कर रहा है भारत
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में इन दिनों हालात बेहद खराब हैं. आर्थिक संकट के कारण यहां लोगों के लिए रोजमर्रा की चीजें जुटाना भी मुश्किल हो गया है. लोग पेट्रोल-डीजल और खाने-पीने की चीजों के लिए भी तरस रहे हैं. सिर्फ भारत ही खुले तौर पर श्रीलंका की मदद के लिए आगे आया है. ऐसे में चीनी पोत को हंबनटोटा बंदरगाह पर रुकने की इजाजत देना भारत के लिए झटके जैसा ही था. हालांकि श्रीलंका के नए फैसले से लग रहा है कि वह वर्तमान समय में भारत को नाराज नहीं करना चाहता है.