दिसंबर में होने वाले भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की, वहीं रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पत्रुशेव ने नई दिल्ली में NSA अजीत डोभाल से बातचीत की.
दोनों मुलाकातें राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 4–5 दिसंबर को प्रस्तावित भारत यात्रा की तैयारी का अहम हिस्सा हैं. मॉस्को में जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध अंतरराष्ट्रीय स्थिरता का एक "मजबूत स्तंभ" रहे हैं, और इस साझेदारी का विस्तार दोनों देशों तथा वैश्विक व्यवस्था, दोनों के लिए ज़रूरी है.
वार्ता में 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियां और बदलते वैश्विक माहौल से जुड़े मुद्दे प्रमुख रहे. जयशंकर ने कहा कि पुतिन की यात्रा के दौरान कई द्विपक्षीय समझौते, पहल और परियोजनाएं विचाराधीन हैं, जिनके अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूती मिलेगी.
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वैश्विक संकटों पर खुलकर चर्चा
जयशंकर और लावरोव ने यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और अफगानिस्तान की स्थिति पर बातचीत की. जयशंकर ने कहा कि भारत किसी भी पहल का समर्थन करता है जो स्थाई शांति की दिशा में आगे बढ़ती हो. उन्होंने कहा, “संघर्ष का शीघ्र अंत और टिकाऊ शांति पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के हित में है.”
वहीं दिल्ली में डोभाल और पत्रुशेव की बैठक में भी रणनीतिक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई. पत्रुशेव पुतिन के सबसे भरोसेमंद सुरक्षा सलाहकारों में गिने जाते हैं और उनकी यात्रा शिखर सम्मेलन के महत्व को और बढ़ाती है.
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दिसंबर में पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात में रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, अंतरिक्ष और रणनीतिक सहयोग पर व्यापक समीक्षा होगी. यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस–भारत ऊर्जा संबंधों पर दबाव बढ़ा रहे हैं और यूक्रेन युद्ध के कारण भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं.