परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच जाने-माने पत्रकार और जियो पॉलिटिकल एक्सपर्ट फरीद जकारिया ने कहा है कि भारत को सिर्फ नैतिक स्तर पर ही नहीं बल्कि रणनीतिक स्तर पर भी अपनी स्थिति को मजबूत रखना होगा ताकि मौजूदा स्थिति को बड़े युद्ध में तब्दील होने से रोका जा सके.
इंडिया टुडे टीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में जकारिया ने चेताया कि पिछले 25 वर्षों से भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को एक नियोजित और नियंत्रित प्रक्रिया के तहत संभाला जाता रहा है, लेकिन मौजूदा स्थिति ऐसी नजर नहीं आ रही.
मौजूदा स्थिति पर बात करते हुए जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान में फिलहाल सरकार की विश्वसनीय स्तर पर स्वीकार्यता नहीं है. पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान जेल में हैं. पाकिस्तान की सेना पर भी वहां की जनता का विश्वास कमजोर हुआ है. ऐसे में पड़ोसी मुल्क में स्थिति ठीक नहीं है.
इस बीच पाकिस्तान के हमलों के जवाब में भारत की प्रतिक्रिया पर बात करते हुए जकारिया ने कहा कि भारत के हमले नपे-तुले और संयमित रहे हैं और भारत ने इस तनाव को बढ़ाया नहीं है. उन्होंने जोर दिया कि भारत को लंबे समय के लिए रणनीति बनाने की जरूरत है. भारत को नैतिक और रणनीतिक दोनों स्तर पर मजबूती बनाए रखनी होगी. इसके लिए शांति और समृद्धि की अधिक जरूरत है क्योंकि अभी जो हालात हैं, उससे भारत की उच्च विकास दर (High Growth Trajectory) और वैश्विक प्रतिष्ठा दांव पर है.
जकारिया का मानना है कि पहले अमेरिका जैसे देश मध्यस्थता करते थे, लेकिन अब कोई विश्वसनीय मध्यस्थ नहीं है. इससे स्थानीय संघर्ष के अनियंत्रित होने का खतरा बढ़ा है. भारत और पाकिस्तान के मौजूदा तनाव को कम करने के लिए कोई विश्वसनीय और प्रभावी मध्यस्थ नहीं है. अमेरिका की मौजूदा सरकार का ध्यान खुद को ग्रेट बनाने पर है. ऐसे में अमेरिकी सरकार का फोकस बाहर के बजाए अंदर ज्यादा है. ये एक नई दुनिया है. हम अब ऐसी दुनिया में हैं, जहां कोई सुपरपावर नहीं है, इसलिए इस तरह के स्थानीय संघर्ष और गहरा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत का कद अब ज्यादा बड़ा हो गया है, यह ज्यादा ताकतवर हुआ है, संपन्न भी हुआ है और भारत के पास खोने को सबसे ज्यादा है. ऐसे में भारत को इस संकट को खुद ही मैनेज करना होगा.
पाकिस्तान द्वारा आतंकी समूहों को लंबे समय से समर्थन देने पर जकारिया ने चिंता जताते हुए कहा कि आतंकी संगठनों को सपोर्ट करना पाकिस्तान के लिए खतरनाक सौदा है. पाकिस्तानी सेना अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए इन कट्टरपंथियों का समर्थन कर रही है. कोई भी युद्ध शुरू करना आसान है, लेकिन इसे खत्म करना उतना ही मुश्किल है.
बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते रसातल तक पहुंचे हैं. भारत सरकार ने पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. 7 मई को सरकार ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, जिसके बाद पाकिस्तान ने संघर्ष को और बढ़ा दिया और पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों में ड्रोन और मिसाइलों से सैन्य और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया है.