
"जब मैं बच्चा था तो टीवी स्क्रीन पर मुझे जो अफ्रीका दिखाया गया वहां हर जगह एक ही तस्वीर थी. भिनभिनाते मक्खियों के साथ बच्चे, सूखी जमीन, हथियार, मृत्यु... उन्होंने कहा- यही अफ्रीका है. और हमने इस पर विश्वास किया. हम स्वंय पर शर्मिंदा थे. हम अपनी जमीन को लेकर, अपने लोगों को लेकर शर्मिंदगी महसूस करते थे."
"लेकिन मैं बड़ा हुआ. मैंने रिसर्च किया, मैंने प्रश्न किया. और मैं समझा कि जो अफ्रीका आपने दिखाया था वास्तविक नहीं था. जो कहानी आपने हमें बताई वो झूठ थी. जो भाग्य आपने हमारे ऊपर थोपने की कोशिश की वो स्क्रिप्टेड था. जिसे आपने लिखा था. सालों से आपने अफ्रीका को कैसे दिखाया, इसे आपने अपने दर्शकों को कैसे बेचा. "
"जैसा कि हम वैसे लोग थे जिन्हें पास मानवता का कोई हिस्सा नहीं बचा था. जैसे कि हम जंगली-वहशी थे जो कि सभ्यता की रेस में छोड़ दिए गए थे. जैसे कि हम वे लोग थे जो आपका इंतजार कर थे ताकि आप हमें बचा सकें."
"हर दिन, हर घंटे, हर मिनट एक ही कहानी आपके स्क्रीन पर चल रही थी- भूख, युद्ध, बीमारी, भ्रष्टाचार, आतंक, बदहवासी, ये कुछ ऐसे शब्द हैं जब अफ्रीका की चर्चा होती है तो दिमाग में आते हैं. आपकी अफ्रीका डिक्शनरी में कोई और शब्द नहीं हैं."
"कोई उम्मीद नहीं, कोई सफलता नहीं, कोई विकास नहीं, कोई प्रतिरोध नहीं, कोई गर्व नहीं, कोई स्वाभिमान नहीं, कोई विजय नहीं..."
विद्रोह, बगावत और कोफ्त से भरे ये शब्द एक युवा अफ्रीकी सैन्य कमांडर के हैं. जो तख्तापलट कर अपने देश के राष्ट्रपति बन चुके थे. नाम था इब्राहिम ट्रोरे. तब 34 साल के रहे इब्राहिम ट्रोरे अफ्रीकी देश बुर्किना फासो के राष्ट्रपति हैं. उनका ये भाषण भाषण न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित 78वें सत्र के दौरान दिया गया था.
इस भाषण की चर्चा इसलिए क्योंकि यह एक युवा सैनिक की क्रांतिकारी सोच का उद्घोष था, जो अफ्रीका के भविष्य को फिर से परिभाषित करने का सपना देखता था.
37 साल का हो चुका ये नौजवान राष्ट्रपति अब अफ्रीका की इंकलाब का आवाज है.
मई 2025 में ट्रोरे ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में मुलाकात की, जहां उन्होंने सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर चर्चा की. इसने पश्चिमी देशों को चिंतित किया, क्योंकि ट्रोरे ने फ्रांस और अमेरिका जैसे पारंपरिक सहयोगियों को हटाकर रूस की ओर रुख किया है. यह कदम अफ्रीका में भू-राजनीतिक बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है.
इब्राहिम ट्रोरे की राजनीतिक यात्रा अफ्रीका की उथल-पुथल भरी राजनीतिक जमीन पर एक नवोदित नेता के सपने देखने, फिर उसे सच में बदलने की कोशिश करने की कहानी है.
बचपन का इब्राहिम ट्रोरे एक साधारण अफ्रीकी बालक ही था. जिसकी जिंदगी बोन्डोकुई में सामान्य अफ्रीकियों मजबूरियां देखते हुए गुजरी थी.
शांत और प्रतिभाशाली छात्र के रूप में पहचाने जाने वाले ट्रोरे ने बोबो-डियोलासो, देश के दूसरे सबसे बड़े शहर में हाई स्कूल की पढ़ाई की. 2006 में उन्होंने वागाडुगु विश्वविद्यालय में भूविज्ञान की पढ़ाई शुरू की.
बुर्किना फासो की सूखी जमीन में सोने का भंडार पड़ा है. लिहाजा इस देश में भूविज्ञान को लेकर आकर्षण है. लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद जब ये लड़का खोने की खदान के बजाय आर्मी की नौकरी करने गया तो आसपास के लोगों का माथा ठनका.
ये संकेत था, ये इस बात का संदेश था कि इब्राहिम वही सब कुछ नहीं करने वाला था जो गांव के दूसरे बच्चे करते हैं.
मोरक्को में विमान-रोधी प्रशिक्षण और माली में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में हिस्सेदारी ने उन्हें युद्ध और नेतृत्व का अनुभव दिया. ट्रोरे 2014 में लेफ्टिनेंट और 2020 में कैप्टन बने, उत्तरी बुर्किना में जिहादी विद्रोह के खिलाफ अभियानों में भाग लेते हुए, सैनिकों के लिए संसाधनों की कमी और शीर्ष नेतृत्व के भ्रष्टाचार ने उन्हें निराश किया. इन्ही परिस्थितियों में उनके अंदर क्रांतिकारी सोच पनपी.
जब इब्राहिम ने किया तख्तापलट
सितंबर 2022 की एक ठंडी सुबह, बुर्किना फासो की राजधानी वागाडुगु में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजी. 34 वर्षीय कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने अपने साथी सैनिकों के साथ मिलकर तख्तापलट कर दिया. उन्होंने अंतरिम राष्ट्रपति पॉल-हेनरी सांडाओगो दामिबा को सत्ता से हटा दिया और खुद को देश का नया नेता घोषित किया. यह सिर्फ सत्ता की अदला-बदली नहीं थी; दशकों से करप्शन, गरीबी से जूझ रहे अफ्रीका में एक नए बदलाव की आहट थी.
बुर्किना फासो के राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभुत्व
बुर्किना फासो के लोगों की दो सबसे बड़ी समस्याएं थीं. एक- भ्रष्ट लोकतांत्रिक सरकार के प्रति नाराजगी. दूसरा- विदेशी हस्तक्षेप. ट्रोरे ने अपने पहले ही भाषण में इन दो समस्याओं के समूल विनाश का वादा किया.
सत्ता संभालने के बाद ट्रोरे ने तेजी से सुधार शुरू किए. उन्होंने बुर्किना फासो पर पर शासन करने वाले फ्रांस के खिलाफ बड़े कदम उठाए. उनके राज में बुर्किना फासो ने फ्रांस से रिश्ते तोड़ लिए. फ्रांसीसी सैनिकों को देश से बाहर निकाला गया और फ्रांस 24, रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल जैसे पश्चिमी मीडिया को प्रतिबंधित कर दिया गया.
इब्राहिम ने इन साधनों को नव-उपनिवेशवाद का प्रतीक बताया. इसके बजाय, उन्होंने रूस, तुर्की और क्यूबा जैसे देशों के साथ साझेदारी बढ़ाई. की नीतियों में आत्मनिर्भरता पर जोर था—उन्होंने दो स्वर्ण खदानों का राष्ट्रीयकरण किया और देश का पहला स्वर्ण शोधन संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की, ताकि कच्चे माल के बजाय परिष्कृत सोना निर्यात हो.
थॉमस संकारा को गुरु माना
ट्रोरे ने 1980 के दशक के बुर्किना फासो के मार्क्सवादी क्रांतिकारी थॉमस संकारा को अपना आदर्श बताया. उन्होंने संकारा की तरह विदेशी सहायता को खारिज किया. ये नौजवान शासक कहता है, “जो आपको खिलाता है, वही आपको नियंत्रित करता है.” उन्होंने किसानों को मुफ्त ट्रैक्टर वितरित किए, नागरिकों की वेतन वृद्धि की, और बुनियादी ढांचे जैसे नए हवाई अड्डे और ग्रामीण सड़कों पर निवेश किया. उनकी ये नीतियां, खासकर युवाओं के बीच उन्हें एक मसीहा की छवि दे गई.
आतकंवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस
इब्राहिम ट्रोरे ने इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ कड़ा और जटिल रुख अपनाया है, जो उनकी सैन्य पृष्ठभूमि और पैन-अफ्रीकी विचारधारा से प्रभावित है. सत्ता संभालने के बाद से उन्होंने जिहादी समूहों विशेष रूप से अल-कायदा से संबद्ध जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमीन (JNIM) और इस्लामिक स्टेट इन ग्रेटर सहारा (ISGS) के खिलाफ सैन्य अभियानों को तेज किया.
2022 में सत्ता हासिल करने से पहले एक सैन्य अधिकारी के रूप में, उन्होंने उत्तरी बुर्किना में इन समूहों के खिलाफ कई ऑपरेशन में हिस्सा लिया. जहां हिंसा ने हजारों लोगों की जान ली. ट्रोरे ने सैन्य बलों को मजबूत करने के लिए स्वयंसेवी रक्षा बलों (VDP) का गठन किया और स्थानीय समुदायों को हथियारबंद किया. हालांकि, उनकी रणनीति विवादास्पद रही है. मई 2025 में ह्यूमन राइट्स वॉच ने उनकी सेना पर आतंकवाद विरोधी अभियानों में 100 से अधिक नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया. लेकिन ट्रोरे ने इसे पश्चिमी प्रोपगैंडा करार दिया.
पश्चिमी उपनिवेशवाद का कट्टर विरोध
ट्रोरे का सबसे बड़ा योगदान उनकी पैन-अफ्रीकी विचारधारा और पश्चिमी उपनिवेशवाद के खिलाफ खुला विरोध है. ट्रोरे ने फ्रांस द्वारा नियंत्रित मुद्रा को “अफ्रीका को गुलामी में रखने का हथियार” बताया और नई मुद्रा बनाने की योजना बनाई. माली और नाइजर के साथ मिलकर उन्होंने साहेल राज्यों का गठबंधन (AES) बनाया, जो पश्चिमी समर्थित ECOWAS से अलग होकर अफ्रीकी एकता और स्वतंत्रता का प्रतीक बना.
उनके भाषणों में पश्चिमी शक्तियों खासकर फ्रांस और अमेरिका के खिलाफ तीखा तेवर दिखता है. बता दें कि बुर्किना फासो 1896 से 1960 तक फ्रांस की कॉलोनी रहा है. यहां प फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन की शुरुआत 1896 में हुई, जब फ्रांस ने मॉसी साम्राज्य को हराकर क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित किया. यह नियंत्रण 5 अगस्त 1960 तक रहा. इस दौरान, फ्रांस ने क्षेत्र के संसाधनों का दोहन किया और प्रशासनिक ढांचा स्थापित किया, जिसका प्रभाव आज भी वहां की अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर देखा जा सकता है.
पुतिन के साथ दोस्ती
37 साल के इस नौजवान राष्ट्रपति की रूस के राष्ट्रपति के साथ खूब जमती है. मई 2025 में जब मॉस्को जर्मन नाजी को शिकस्त देने का 80वां वर्षगांठ मना रहा था तो पुतिन ने इब्राहिम को अपना मेहमान बनाया. इस दौरान इब्राहिम ने अच्छी सुर्खियां बटोरीं.
इस दौरान इब्राहिम ने अफ्रीकी युवाओं को “मानसिक उपनिवेशवाद” से मुक्त करने का आह्वान किया. उनकी यह बात पूरे अफ्रीका में गूंजी. क्योंकि इस महादेश की युवा पीढ़ी आज भी नव-उपनिवेशिक शोषण और आर्थिक असमानता से त्रस्त है.
विश्लेषकों और स्थानीय लोगों का मानना है कि इब्राहिम की युवा उम्र, इस इलाके की परिस्थितियों ने युवा अफ्रीकी लोगों के बीच ट्रोरे की अपील में योगदान दिया है,
बुर्किना फासो की सीमा के पास रहने वाले घाना के रिचर्ड अलंडू कहते हैं, "देश और विदेश में अफ्रीकी युवाओं के बीच यह चेतना बढ़ रही है कि उन्हें महाद्वीप की प्रगति की कमी के बारे में कुछ करने की जरूरत है, ऐसा लगता है कि ट्रोरे उस चेतना का चेहरा बन गए हैं."
ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म कंट्रोल रिस्क की वरिष्ठ शोधकर्ता बेवर्ली ओचिएंग बीबीसी के साथ बात करते हुए कहती हैं," ट्रोरे का प्रभाव बहुत बड़ा है. मैंने केन्या जैसे देशों में राजनेताओं और लेखकों को यह कहते हुए सुना है- 'यही है, वो एक व्यक्ति जो वो बदलाव कर सकता है.'
बेवर्ली कहती हैं, "उनके संदेश उस युग को दर्शाते हैं जिसमें हम रह रहे हैं, जब कई अफ्रीकी देश पश्चिम के साथ संबंधों पर सवाल उठा रहे हैं कि क्यों इतने संसाधन संपन्न महाद्वीप में अभी भी इतनी गरीबी है."
क्राउन प्रिंस सलमान के 200 मस्जिदों के ऑफर को ठुकराया
कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे का एक फैसला काफी साहसिक और दूरदर्शी बताया गया. हाल ही में ट्रोरे ने सऊदी अरब की तरफ से देश में 200 मस्जिदों के निर्माण के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. ट्रोरे ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से आग्रह किया है कि वह मस्जिदों की बजाय स्कूलों, अस्पतालों और रोजगार सृजन करने वाले व्यवसायों में निवेश करें जिससे देश की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जा सके.
राष्ट्रपति ट्रोरे ने यह स्पष्ट किया कि बुर्किना फासो में पहले से ही पर्याप्त मस्जिदें हैं, जिनमें से कई का उपयोग सीमित है. उनके इस फैसले के पीछे वही फलसफा है जो कहता है कि जो आपको खिलाता है, वही आपको कंट्रोल करता है.
इब्राहिम ट्रोरे के रूप में बुर्किना फासो को केवल एक नेता नहीं मिला है बल्कि वर्षों से पश्चिमी साम्राज्यवाद के तले रौंदे जा रहे युवाओं को एक सपना मिल गया है. एक ऐसा सपना जो अफ्रीकी स्वाभिमान की बात करता है, जो वैसे अफ्रीका की बात करता है जो अपने शर्तों पर जिए.
उनकी क्रांतिकारी नीतियों और पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ बेबाक रुख ने उन्हें पूरे महाद्वीप में एक प्रतीक बना दिया है. लेकिन ट्रोरे की राह आसान नहीं है. बुर्किना फासों में आतंकी हिंसा बढ़ी है. 2024 में 6,389 लोग मारे गए, जो 2022 की तुलना में दोगुना है. उनकी सरकार पर नागरिकों और पत्रकारों के खिलाफ दमन और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगे हैं. कुछ आलोचक उन्हें एक और सत्ता का भूखा नेता मानते हैं, जो लोकतंत्र की बहाली में देरी कर रहे हैं.