रूस से व्यापार को लेकर ट्रंप लगातार दुनिया के देशों पर दबाव बना रहे हैं जिसमें भारत भी शामिल हैं. रूसी तेल की खरीद को लेकर उन्होंने भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया लेकिन भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखी है. यूरोप के एक छोटे से देश हंगरी ने भी ट्रंप के दबाव को ठेंगा दिखाते हुए साफ कर दिया है कि वो रूसी तेल की खरीद जारी रखेगा.
'द गार्डियन' की रिपोर्ट के मुताबिक, हंगरी के विदेश मंत्री पिटर सिज्जारटो ने कहा कि हंगरी रूस से तेल की खरीद बंद नहीं करेगा और न ही एनर्जी के लिए रूस पर अपनी निर्भरता कम करेगा.
ट्रंप ने अपने NATO सहयोगियों से कहा है कि वो रूस से व्यापार सीमित कर दें. उन्होंने नाटो सहयोगियों पर दबाव बढ़ा दिया है और यूरोप से रूस पर तेल की निर्भरता खत्म करने की मांग की है. लेकिन NATO के सदस्य हंगरी ने साफ कर दिया है कि वो ट्रंप के दबाव में नहीं आने वाला है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए न्यूयॉर्क पहुंचे सिज्जारटो ने रूसी तेल खरीद को लेकर कहा, 'हम अपने देश के लिए एनर्जी प्रोडक्ट्स की सप्लाई बनाए रखने के लिए रूस का तेल और गैस खरीदना जरूरी है.'
उन्होंने कहा कि वो ट्रंप के नजरिए को समझते हैं लेकिन 'हम एनर्जी सप्लाई को लेकर पूरी तरह प्रैक्टिकल हैं. यह सपना देखना अच्छा है कि हम कहीं और से तेल और गैस खरीदें … लेकिन हम केवल वहीं से खरीद सकते हैं जहां हमारी इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है. और अगर आप फिजीकल इंफ्रास्ट्रक्चर देखें, तो यह साफ है कि रूसी सप्लाई के बिन हमारी ऊर्जी जरूरतें पूरी नहीं हो सकती हैं.'
सिज्जारटो की इस टिप्पणी से पहले ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया साइट ट्रूथ पर कहा था, 'अगर मेरे सभी नाटो सहयोगी तैयार हैं तो मैं रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हूं. मैं चाहता हूं कि सभी नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद कर दें.'
ट्रंप की इस टिप्पणी पर उनके कुछ सहयोगियों ने सवाल भी उठाया है कि क्या ट्रंप सच में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाने के लिए गंभीर हैं या केवल यूरोप पर जिम्मेदारी डालकर पीछा छुड़ाना चाहते हैं.
हंगरी अपनी अधिकांश ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है. हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की विचारधारा ट्रंप से मेल खाती है लेकिन उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भी मजबूत संबंध बना रखे हैं. हंगरी ने यूरोपीय संघ के अन्य देशों के उलट यूक्रेन को युद्ध के लिए हथियार देने से इनकार कर दिया है और उसने यूक्रेन की ईयू सदस्यता का भी कड़ा विरोध किया है.
हंगरी के साथ-साथ स्लोवाकिया भी रूस से ऊर्जा सप्लाई लेता है जिसे लेकर यूरोपीय नेताओं ने बार-बार कहा है कि वो ऐसा न करें. हालांकि, दोनों ही देशों ने उनकी अपीलों की अनदेखी की है.
ट्रंप के सहयोगी लिंडसे ग्राहम ने दोनों देशों को धमकाते हुए हाल ही में कहा, 'रूस का तेल खरीदने की बात अब लगभग पूरी तरह हंगरी और स्लोवाकिया तक सीमित हो गई है. मुझे उम्मीद है और मैं चाहता हूं कि वे जल्दी कदम उठाएं ताकि इस खून-खराबे को खत्म करने में हमारी मदद हो. अगर नहीं, तो नतीजे भुगतने ही होंगे.'