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'पहले उत्पीड़न झेले लेकिन अब...' सऊदी अरब से समझौते के बाद ईरान के हज यात्रियों के लिए क्या बदला?

सऊदी अरब और ईरान ने सात वर्षों की दुश्मनी भुलाकर मार्च में शांति समझौता कर लिया. इस समझौते के बाद से ही मध्य-पूर्व में शांति की कोशिशें तेज हुई हैं. साथ ही ईरान के हज यात्रियों के लिए भी बड़ा बदलाव आया है. ईरान के हज यात्री जो पहले सऊदी में उत्पीड़न झेलते थे, अब वहां उनका स्वागत हो रहा है.

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इस बार भारी संख्या में ईरानी हज के लिए पहुंचे हैं (Photo- Reuters)
इस बार भारी संख्या में ईरानी हज के लिए पहुंचे हैं (Photo- Reuters)

खाड़ी के दो प्रतिद्वंद्वी मुस्लिम देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते ने क्षेत्र में तनाव को काफी कम कर दिया है साथ ही ईरानियों के हज यात्रा पर छाए काले बादल भी छंट गए हैं. अब ईरानियों को ऐसा महसूस हो रहा है कि हज यात्रा के दौरान सऊदी अरब में उनका स्वागत बहुत किया जा रहा है.

शिया बहुल ईरान और सुन्नी बहुल सऊदी अरब के बीच सात सालों तक दुश्मनी चली. इस अवधि में हज के लिए आए ईरानियों को वो स्वागत नहीं मिलता था जो दुनियाभर से आ रहे हज यात्रियों को मिलता था. लेकिन सऊदी-ईरान के बीच शांति समझौते के तीन महीने बाद आयोजित किए जा रहे हज में इस बार ईरानियों के लिए माहौल अचानक बदल गया है. 

कई बार हज में शामिल हो चुके ईरान के एक टूर ऑपरेटर ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि वह पहली बार सऊदी अरब में आरादायक और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

'वो पहले नहीं चाहते थे कि हम हज करें'

55 साल के टूर ऑपरेटर ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'हां, हमें उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था.'

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मक्का में ग्रैंड मस्जिद के पास टूटी-फूटी अरबी में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'हमें ऐसा लगता था कि वो (सऊदी अरब) चाहते ही नहीं थे कि हम उनके देश में आकर हज करें. लेकिन दोनों पक्षों में सुलह के बाद अब सबकुछ बदल गया है.'

क्यों दुश्मन बन गए थे ईरान और सऊदी?

इस्लाम के अलग-अलग पंथ को मानने वाले दोनों मुस्लिम देशों में धर्म को लेकर विवाद होता आया है. साल 2016 की शुरुआत में भी धर्म को लेकर विवाद के कारण ही दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे.

दरअसल, सऊदी अरब ने एक प्रमुख शिया धर्मगुरु अल-निम्र समेत 46 लोगों को आतंकवाद के आरोप में फांसी दे दी थी. इस घटना का शिया ईरान ने पुरजोर विरोध किया था. ईरान में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए और प्रदर्शनकारियों ने राजधानी तेहरान स्थित सऊदी दूतावास पर हमला कर दिया. इसे देखते हुए सऊदी अरब ने ईरान से अपने संबंध तोड़ लिए थे.

इसी साल मार्च के महीने में दोनों देशों ने शांति समझौता कर पूरी दुनिया को चौंका दिया. चीन की मदद से दोनों देशों के बीच शांति समझौता हुआ जिसके तहत इसी महीने ईरान ने सऊदी की राजधानी रियाद स्थित अपने दूतावास को दोबारा खोला है. 

सऊदी और ईरान के बीच दोबारा रिश्ते बहाल होने से मध्य-पूर्व में काफी प्रभाव पड़ा है. दोनों ही देशों ने कई क्षेत्रीय संघर्षों और विवादों में विरोधी पक्ष का समर्थन किया है जिससे क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ा रहता था. लेकिन अब सऊदी ने शांति के प्रयास तेज किए हैं.

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सऊदी अरब यमन के ईरान समर्थित हूती विदोद्रियों के खिलाफ साल 2015 से ही लड़ रहा था लेकिन अब इस दोनों पक्ष बातचीत की मेज पर आ गए हैं. सऊदी ने सीरिया के साथ भी अपने संबंधों में सुधार किया है और उसे फिर से अरब लीग में शामिल कर लिया गया है. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने मई की महीने में सऊदी की यात्रा भी की थी.

हज दोनों देशों के बीच रिश्तों का एक अहम हिस्सा रहा है. साल 2016 में जब दोनों देशों ने अपने संबंध तोड़ लिए थे, तब किसी भी ईरानी को हज करने की इजाजत नहीं दी गई थी.

Photo- Reuters

साल 2015 में हज के दौरान मची भगदड़ में 2,300 लोग मारे थे जिसमें 464 ईरानी नागरिक भी शामिल थे. इसके लिए ईरान और सऊदी अरब के बीच आरोप-प्रत्यारोप का एक लंबा दौर चला था.

वहीं, साल 1987 में हज के लिए आए ईरानियों ने अनाधिकृत तरीके से विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद सऊदी सुरक्षा बलों से उनकी भिड़ंत हो गई थी. आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, इस भिड़ंत में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.

ईरानियों के लिए सजे सऊदी के होटल और बस

लेकिन अब स्थिति बदली नजर आ रही है. मक्का में अन्य मुस्लिम देशों की तरह ही ईरान की झंडा लहरा रहा है और ईरानी हज यात्रियों के लिए सऊदी के होटल और बस खूब सजे दिख रहे हैं.

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ईरानी टूर ऑपरेटर बदले हालात पर कहते हैं, 'अब चीजें सामान्य हो गई हैं. मैं यहां सुरक्षित और अच्छा महसूस कर रहा हूं. मेरे साथ मेरा परिवार भी हज के लिए आया है.'

ईरानी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, इस बार हज में 86,000 से अधिक ईरानी शामिल हो रहे हैं जिसमें 80 साल से अधिक उम्र के 300 लोग शामिल हैं.

34 साल के सरवा अल-बौबसी ने मक्का में ईरानियों के ठहरने के लिए आरक्षित एक होटल की लॉबी में कहा, 'हमें थोड़ा डर था, लेकिन लोग भगवान के पवित्र घर में आना पसंद करते हैं. सुलह हो गई है, हम दोस्त बन गए हैं. स्थिति पहले से बेहतर है. '

'दोनों देशों के बीच शांति बनी रहे'

दोनों सरकारों के अधिकारियों का कहना है कि वो ईरानियों के उमराह करने पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर काम कर रहे हैं. उमराह हज के उलट साल में कभी भी किया जा सकता है. 

सऊदी के एक व्यापारी अल-वलीद ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों का बहाल होना एक अच्छी बात है क्योंकि ईरानी हज यात्री बड़ी संख्या में सऊदी आते हैं. उन्होंने अपनी दुकान पर एक महिला को सामान बेचते हुए कहा, 'दोनों देशों के बीच शांति बनी रहे, यह सभी के हित में है.'

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दक्षिणी ईरान से आईं जैनब मगली ने सऊदी के मेहमाननवाजी की तारीफ की. उमराह करने के लिए पहले भी सऊदी आ चुकी 47 वर्षीय महिला ने कहा, 'इस साल वो बड़े सुंदर तरीके से हमारा स्वागत कर रहे हैं. जब से मैं यहां आई हूं मेरे साथ कुछ गलत नहीं किया गया. न तो हम उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं और न ही वो हमारा नुकसान कर रहे हैं.' 

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