
पीएम मोदी का दो दिवसीय रूस दौरा दौरा खत्म हो चुका है जिसके बाद वो मंगलवार रात को एक दिवसीय दौरे पर वियना पहुंचे हैं. पीएम मोदी के रूस दौरे से भारत-रूस के मजबूत संबंधों की तस्दीक हुई है जिससे पश्चिम में चिंता बढ़ गई है. फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पीएम मोदी का यह पहला रूस दौरा था जिससे अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में चिंता देखने को मिली.
अमेरिका ने सोमवार को कहा कि हम इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि भारत-रूस संबंधों को लेकर हमारी चिंताएं हैं. अमेरिका की इसी चिंता पर चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया है.
ग्लोबल टाइम्स ने लेख को शीर्षक दिया- मोदी-पुतिन ने मॉस्को में अपने संबंध मजबूत किए जिससे रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा अमेरिका हताश है.'
'रूस को अलग-थलग करने की अमेरिका की कोशिश नाकाम'
लेख की शुरुआत में चीनी अखबार ने लिखा, 'विश्लेषकों ने कहा कि रूस और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों का मतलब है कि यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से रूस को दबाने और अलग-थलग करने की अमेरिका की निरंतर कोशिश नाकाम हो गई है. इसी बीच, भारत की संतुलित कूटनीति न केवल उसके अपने हितों के हक में है, बल्कि वैश्विक रणनीतिक संतुलन बढ़ाने में भी मदद कर रही है, जिसे लंबे समय से अमेरिकी आधिपत्य ने चुनौती दी है.'

ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर की मोदी के रूस दौरे पर की गई टिप्पणी भी लेख में शामिल की है जिसमें उन्होंने कहा था, 'हम उम्मीद करते हैं कि रूस के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ा रहा भारत यह साफ शब्दों में कहेगा कि रूस को यूएन चार्टर, यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए.'
भारत की विदेश नीति की तारीफ
अखबार ने चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ली हेइडोंग के हवाले से लिखा कि मोदी का रूस दौरा बड़ी वैश्विक शक्तियों के बीच संतुलित विदेश नीति को दिखाता है. वो कहते हैं कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में सबसे बड़ी चुनौती अमेरिकी आधिपत्य है जिस कारण वो मनमाने ढंग से और बेलगाम होकर काम करता है.
लेख में एक्सपर्ट के हवाले से आगे लिखा गया, 'पिछले साल मोदी जब स्टेट विजिट पर अमेरिका गए थे तब वहां उनका शानदार स्वागत हुआ था बावजूद इसके यह साफ है कि अमेरिका भारत को रूस के खिलाफ उकसाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत उसकी इस कोशिश में नहीं फंस रहा है.'
भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'रणनीतिक रूप से स्वतंत्र रहने की परंपरा वाला देश भारत अमेरिकी कूटनीति के झूठ से पूरी तरह वाकिफ है. भारत-अमेरिका रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दोनों को वही मिलता है जो उन्हें चाहिए. अमेरिका जहां लुभाने वाला रवैया रखता है, इसके उलट भारत व्यावहारिक रहा है.'
'अमेरिका के पीछे-पीछे नहीं जाएगा भारत'
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत-रूस के मजबूत संबंध रूस को अलग-थलग करने की अमेरिका की विफल कूटनीति को दिखाता है जिसका मतलब है कि अमेरिका में इसे लेकर गहरी हताशा है.
लेख में अंत में चीनी अखबार ने लिखा, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुछ महीनों बाद अमेरिका में राष्ट्रपति कौन बनेगा, भारत-रूस संबंध स्थिर रहेंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो भारत अमेरिका के पीछे-पीछे नहीं जाएगा और रूस को अलग-थलग नहीं करेगा.'