अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ टैरिफ वार पर एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. अमेरिका में ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी के खिलाफ सड़क पर निकले लोग, जापान-कोरिया में गिरते शेयर बाजार, ब्रिटेन के पीएम का ग्लोबलाइजेन के खिलाफ बयान के बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि जबतक वे चीन के साथ व्यापार घाटे (Trade deficit) को खत्म नहीं कर लेते हैं तब तक वे कोई डील नहीं करेंगे.
बता दें कि अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, और इनके बीच व्यापार वॉल्यूम बहुत बड़ा है. 2023 के आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों के बीच कुल व्यापार (निर्यात और आयात का टोटल) लगभग 657 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
2024 और 2025 में यह आंकड़ा टैरिफ और व्यापार नीतियों के कारण बदलाव के दौर से गुजर रहा है. और इसमें कमी आ सकती है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि, "हमें चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को हल करना होगा.चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा एक ट्रिलियन डॉलर है, चीन के साथ हम हर साल सैकड़ों बिलियन डॉलर खो देते हैं. और जब तक हम उस समस्या को हल नहीं कर लेते, मैं कोई डील नहीं करने जा रहा हूं" उन्होंने कहा, "मैं चीन के साथ सौदा करने के लिए तैयार हूं, लेकिन उन्हें अपने सरप्लस को हल करना होगा."
चीन के पक्ष में रहा है ट्रेड सरप्लस
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड बैलेंस लंबे समय से चीन के पक्ष में रहा है. अमेरिकी वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2024 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा (ट्रेड डेफिसिट) लगभग 295.4 बिलियन डॉलर था, यानी अमेरिका ने चीन से जितना आयात किया, उससे कहीं कम निर्यात किया.
चीन अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कपड़े और उपभोक्ता सामान जैसे उत्पादों का बड़ा निर्यातक है, जबकि अमेरिका से चीन को मुख्य रूप से सोयाबीन, विमान, तेल और कुछ हाई-टेक उत्पाद जाते हैं.
अगर कोरोना काल से चर्चा की जाए तो अमेरिका के साथ चीन का ट्रेड सरप्लस इस तरह रहा है.
| वर्ष | अमेरिका के साथ चीन का ट्रेड सरप्लस |
|---|---|
| 2020 | 308 बिलियन डॉलर |
| 2021 | 352 बिलियन डॉलर |
| 2022 | 382 बिलियन डॉलर |
| 2023 | 279 बिलियन डॉलर |
| 2024 | 295 बिलियन डॉलर |
ट्रंप ने कहा है कि चीन के साथ अमेरिका का जो ट्रेड सरप्लस है वो अब सहन करने योग्य नहीं रह गया है. दुनिया भर के गिरते शेयर बाजार पर ट्रंप ने कहा कि ये जानबूझकर ऐसा नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बाजार का क्या होगा ये वो नहीं बता सकते हैं. बाजार के बारे में उन्होंने कहा कि कभी-कभी आपको दवा लेनी ही पड़ती है.
34 परसेंट बनाम 54 बनाम परसेंट
बता दें कि ट्रंप ने बुधवार को चीन से अमेरिका में आयात किए जाने वाले सभी वस्तुओं पर एक्स्ट्रा 34% फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद चीन ने ऐसे ही टैरिफ की घोषणा की. इससे पहले ट्रंप ने चीन पर 20 फीसदी टैरिफ लगाया था. अब कुल मिलाकर ट्रंप ने चीन पर 54 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. इसकी वजह से चीनी सामान अमेरिकी मार्केट काफी महंगे हो गए हैं.
चीन पर ने शुक्रवार को कहा कि वह 10 अप्रैल से अमेरिका से आयातित सभी वस्तुओं पर 34% टैरिफ लगाएगा.
दोनों देशों के इस घोषणा के बाद चीन, जापान, कोरिया के शेयर बाजार गिरे हैं. इसके अलावा दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंधों में बड़े पैमाने पर व्यापार तनाव बढ़ने की आशंका है.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा, "चीन, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारे पास बहुत बड़ा वित्तीय घाटा है. इस समस्या का समाधान केवल टैरिफ़ के ज़रिए हो सकता है, जो अब यू.एस.ए. में अरबों डॉलर ला रहा है. वे पहले से ही प्रभावी हैं, और ये अच्छी बात है. किसी दिन लोगों को एहसास होगा कि टैरिफ़, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए, एक बहुत ही सुंदर चीज है."
ट्रंप की ओर से इस नए टैरिफ की घोषणा के बाद चीन के स्टेट काउंसिल टैरिफ कमीशन ने जवाबी टैरिफ की घोषणा करते हुए एक बयान में कहा, "अमेरिका का यह व्यवहार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है, यह चीन के वैध अधिकारों और हितों को गंभीर रूप से कमजोर करता है, तथा यह एकतरफा धमकाने वाला व्यवहार है."
ट्रंप की ओर से टैरिफ बढ़ाने से अमेरिकी उपभोक्ता भी परेशान हैं. चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और अन्य आयातित उत्पादों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. स्टील और एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी उत्पादकों को कुछ फायदा हुआ है, क्योंकि आयात सस्ता नहीं रहा. हालांकि, ऑटोमोबाइल और टेक जैसे क्षेत्रों में लागत बढ़ी है, क्योंकि वे चीनी पुर्जों पर निर्भर हैं.