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'पुतिन-जेलेंस्की से तभी मिलूंगा जब...', ट्रंप ने बताया कहां तक पहुंची रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता

डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो रूस–यूक्रेन युद्ध शुरू ही नहीं होता. उन्होंने बताया कि उनकी टीम ने पिछले हफ्ते शांति योजना पर काफी प्रगति की है और 28-बिंदुओं वाले प्रस्ताव में अब केवल कुछ मुद्दे बचे हैं.

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पुतिन और यूक्रेन पक्ष से ट्रंप के दूतों की बैठकें जल्द होंगी (Photo: AP)
पुतिन और यूक्रेन पक्ष से ट्रंप के दूतों की बैठकें जल्द होंगी (Photo: AP)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपनी शांति योजना का जिक्र करते हुए दावा किया कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो यह लड़ाई शुरू ही नहीं होती. उन्होंने बताया कि उनके समूह ने पिछले हफ्ते इस युद्ध को खत्म करने के लिए काफी काम किया है और अमेरिका की ओर से जो 28-बिंदुओं का शांति प्रस्ताव तैयार किया गया है, उसमें अब सिर्फ कुछ मुद्दे ही बचे हैं.

ट्रंप ने अपने दूत स्टीव विटकॉफ को रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिलने भेजा है, जबकि अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी डैन ड्रिस्कोल यूक्रेन के प्रतिनिधियों से बात कर रहे हैं. ट्रंप का कहना है कि वे रूस और यूक्रेन के नेताओं से तभी मिलेंगे जब बातचीत अंतिम चरण में होगी.

उनके शांति प्रस्ताव में रूस को कुछ राहत मिलती दिखती है. इस प्रस्ताव के अनुसार, यूक्रेन को नाटो में शामिल न होने का वादा करना होगा और अपनी सेना की सीमाएं तय करनी होंगी. बदले में रूस कुछ सैन्य गतिविधियां रोक सकता है. 

यही वजह है कि कई विशेषज्ञ इसे यूक्रेन की संप्रभुता और सीमा सुरक्षा के लिए विवादास्पद बता रहे हैं और इसे रूस के पक्ष में झुका हुआ मानते हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध करीब तीन साल से जारी है और भारी जान-माल का नुकसान कर चुका है. ट्रंप चाहते हैं कि फिलहाल दोनों देश मौजूदा स्थिति पर ही रुकें ताकि लड़ाई और न बढ़े. 

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यह भी पढ़ें: जल्द खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध! प्रस्तावित शांति समझौते पर जेलेंस्की ने लगाई मोहर

जबकि यूक्रेन रूस के कब्जे वाले इलाकों को वापस पाने के लिए नाटो और यूरोपीय देशों से मदद मांगता रहा है. यही बात ट्रंप की सोच से अलग है, क्योंकि वे युद्ध को जल्दी रोकने पर ज़ोर देते हैं.

ट्रंप का यह प्रस्ताव उम्मीद भी जगाता है और विवाद भी खड़ा करता है. यूक्रेन जहां अपनी सुरक्षा और सीमाओं की गारंटी चाहता है, वहीं रूस इसे अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को सही ठहराने का मौका मान रहा है. 

विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना दोनों पक्षों को बातचीत की ओर ला सकती है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कई जटिल मुद्दों का हल निकालना जरूरी होगा.

यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप की कोशिशों को यूरोप का समर्थन

वहीं, दूसरी ओर ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने अपनी ‘कोएलिशन ऑफ द विलिंग’ बैठक के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन युद्ध खत्म करने की कोशिशों का समर्थन किया है. तीनों देशों ने साफ कहा कि किसी भी समाधान में यूक्रेन की पूरी भागीदारी जरूरी है.

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर और जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि वे इस मूल सिद्धांत पर एकमत हैं कि “सीमाओं को बलपूर्वक बदला नहीं जा सकता.” नेताओं ने कहा कि यह सिद्धांत यूरोप ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है.

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ट्रंप इस युद्ध को खत्म करने वाली एक निर्णायक शख्सियत के तौर पर खुद को पेश कर रहे हैं, लेकिन यूक्रेन की आज़ादी और सीमाओं को लेकर बहस जारी है और यही इस लंबे युद्ध को सुलझाने की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.

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