अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सऊदी अरब के दौरे में एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है. डील के तहत सऊदी अमेरिका में 600 अरब डॉलर का निवेश करेगा जिसमें अमेरिका से 142 अरब डॉलर के हथियारों की खरीद भी शामिल है. इस समझौते से अगर किसी देश को सबसे अधिक झटका लगा है तो वो अमेरिका का प्रिय देश रहा इजरायल है.
सऊदी अरब के साथ इसी डील के लिए अमेरिका जहां पहले मांग कर रहा था कि वो इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करे, अब इस डील के दौरान उसने इजरायल का जिक्र तक नहीं किया.
मंगलवार को व्हाइट हाउस ने अमेरिका और सऊदी अरब के बीच अरबों डॉलर के रक्षा सौदे की जानकारी दी लेकिन इस घोषणा में कहीं भी इजरायल की चर्चा नहीं थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बस इतना भर कहा है कि सऊदी अरब और इजरायल के बीच औपचारिक संबंध बनाना सपना है लेकिन वो चाहते हैं कि सऊदी ये तभी करे जब उसे लगे कि करना चाहिए.
ट्रंप के इस बयान ने साफ हो गया है कि अमेरिका इजरायल के ऊपर सऊदी अरब को तवज्जो दे रहा है और अब सऊदी-इजरायल के बीच सामान्यीकरण समझौता ठंडे बस्ते में चला गया है.
थिंक टैंक अरब गल्फ स्टेट्स इंस्टिट्यूट के फेलो एन्ना जेकोब्स ने अलजजीरा से बात करते हुए कहा, 'ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वो सऊदी अरब के साथ अहम समझौतों पर बिना सऊदी-इजरायल सामान्यीकरण की शर्त के आगे बढ़ रहे हैं. यह बताता है कि क्षेत्र, खासकर गाजा में इजरायल की बढ़ती सैन्य कार्रवाई से ट्रंप प्रशासन में नाराजगी बढ़ती जा रही है.'
हमास के हमले से पहले होने वाला था इजरायल-सऊदी समझौता
इजरायल एक वक्त मध्य-पूर्व में पूरी तरह से अलग-थलग पड़ा हुआ था. फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर किसी भी अरब देश ने उसके साथ राजनयिक रिश्ते स्थापित नहीं किए थे. लेकिन 2017 में जब ट्रंप पहली बार सत्ता में आए तो उन्होंने इजरायल और अरब देशों के रिश्तों के बीच सामान्यीकरण के प्रयास शुरू कर दिए.
ट्रंप के प्रयासों के कारण ही 2020 में अब्राहम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर कर यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने इजरायल के साथ अपने राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. लेकिन सऊदी अरब से इजरायल का समझौता रुका हुआ था जिसे ट्रंप के बाद जो बाइडेन प्रशासन ने गति देने की कोशिश की.
7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले से पहले ऐसी खबरें आ रही थीं कि जल्द ही सऊदी-इजरायल के बीच सामान्यीकरण समझौता हो जाएगा. सामान्यीकरण की हलचलें तेज थीं कि तभी हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया और फिर जवाब में इजरायल ने गाजा में हमले शुरू किए जो अब तक जारी हैं.
दोनों देशों के बीच प्रस्तावित समझौता रुक जाने से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बेहद नाराज हुए और उन्होंने दावा किया कि सऊदी-इजरायल समझौता रोकने के लिए ही हमास ने इजरायल पर हमला किया था.
हमास और इजरायल की लड़ाई शुरू होने के बाद सऊदी अरब ने साफ कह दिया कि जब तक फिलिस्तीनियों के लिए अलग फिलिस्तीन देश नहीं स्थापित होता, वो इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य नहीं करेगा.
विश्लेषकों का कहना है कि मध्य-पूर्व में अभी जैसे हालात हैं, उसे देखकर नहीं लगता कि सऊदी-इजरायल समझौता संभव है और इसलिए ट्रंप प्रशासन ने इस मुद्दे को फिलहाल के लिए छोड़ने का फैसला किया है.
इजरायल से नाराज हैं ट्रंप?
ट्रंप के पद ग्रहण करते ही फरवरी में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप से मुलाकात की थी. अप्रैल में वो फिर अमेरिका पहुंचे और पहले ऐसे नेता बने जिसने ट्रंप के टैरिफ घोषणा के बाद अमेरिका से व्यापार समझौता शुरू करने की कोशिश की. हालांकि, नेतन्याहू को ट्रंप ने निराश भेज दिया और दोनों देशों के बीच कोई व्यापार समझौता नहीं हुआ. इसी के साथ ही ट्रंप ने एक ऐसी घोषणा भी की जिससे इजरायल काफी निराश हुआ.
ट्रंप ने इजरायल को चौंकाते हुए घोषणा की कि अमेरिका ईरान के साथ एक नए परमाणु समझौते पर बातचीत शुरू करने जा रहा है.
पूर्व इजरायली राजनयिक एलन पिंकास का कहना है कि नेतन्याहू की दिक्कत ये है कि अमेरिका में उनके पास काफी कम प्रभाव बचा है. पिंकस ने सीएनएन से कहा, 'नेतन्याहू के पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो ट्रंप चाहते हों, जिसकी उन्हें जरूरत हो या जो वे उन्हें दे सकें, जैसा कि सऊदी, कतर या अमीरात के पास है.'
डोनाल्ड ट्रंप के मध्य-पूर्व दौरा प्रोग्राम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने अमेरिकी न्यूज वेबसाइट सीएनएन को बताया था कि इजरायली अधिकारियों ने ट्रंप की यात्रा के दौरान उनके यरुशलम या तेल अवीव में रुकने की संभावना के बारे में पूछा था. लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले हफ्ते यह कहकर उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया कि इजरायल में रुकने का उनका कोई प्लान नहीं है.
ट्रंप ने कहा, 'हम कभी और वहां जाएंगे. लेकिन इस यात्रा के दौरान वहां नहीं जाएंगे.'
सूत्र का कहना है कि इजरायल गाजा में हमले जारी रखे हुए है और वो मानवीय मदद पहुंचने से भी रोक रहा है. ट्रंप इस बात से नाराज हैं और उनका कहना है कि हमास के साथ युद्ध का जब तक कोई नतीजा नहीं निकलता, वो इजरायल नहीं जाएंगे.