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हमला, आगजनी.. हादी की हत्या के बाद मीडिया दफ्तरों को क्यों बनाया गया निशाना?

ढाका में उस्मान हादी की हत्या के बाद भड़की हिंसा में भीड़ ने प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर हमला किया. पत्रकार घंटों तक फंसे रहे. आरोप है कि राजनीतिक उकसावे और भारत विरोधी नैरेटिव के चलते स्वतंत्र मीडिया को निशाना बनाया गया.

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भीड़ ने मीडिया हाउस पर मचाया तांडव (Image: Social Media)
भीड़ ने मीडिया हाउस पर मचाया तांडव (Image: Social Media)

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक गंभीर और चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां भीड़ ने दो प्रमुख समाचार संस्थानों Prothom Alo और The Daily Star के दफ्तरों पर हमला कर दिया. यह हिंसा कट्टर नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई. भीड़ ने दफ्तरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, जिससे कई पत्रकार और कर्मचारी घंटों तक इमारत के अंदर फंसे रहे.

यह पहला मौका था जब प्रोथोम आलो अपने लॉन्च के बाद शुक्रवार का अखबार प्रकाशित नहीं कर सका. गुरुवार देर रात सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी करवान बाजार स्थित प्रोथोम आलो के दफ्तर में घुस गए. उन्होंने वहां रखे सामान को नुकसान पहुंचाया और आग लगा दी. हालात इतने खराब हो गए कि कई पत्रकारों और कर्मचारियों को जान बचाने के लिए छत पर भागना पड़ा और दरवाजे बंद कर लेने पड़े. करीब चार घंटे बाद सुबह लगभग पांच बजे सेना और पुलिस ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला.

भीड़ ने दो प्रमुख मीडिया हाउस पर हमला किया

इसी दौरान द डेली स्टार के दफ्तर पर भी हमला हुआ. यह दफ्तर फार्म गेट इलाके में काजी नजरुल इस्लाम एवेन्यू पर स्थित है और प्रोथोम आलो के कार्यालय से करीब 600 मीटर दूर है. नौ मंजिला इमारत के कुछ हिस्सों में आग लग गई. दो दर्जन से अधिक पत्रकार और कर्मचारी करीब चार घंटे तक धुएं और आग के बीच फंसे रहे. द डेली स्टार की पत्रकार जिमा इस्लाम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह सांस नहीं ले पा रही हैं और धुएं के कारण हालात बेहद खराब हैं.

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प्रोथोम आलो के केवल ढाका दफ्तर ही नहीं, बल्कि कुश्तिया, खुलना और सिलहट जिलों में स्थित इसके कार्यालयों पर भी हमला किया गया. चटगांव और बोगरा में स्थित दफ्तरों पर भी हमले की कोशिशें की गईं. द डेली स्टार ने एक बयान जारी कर कहा कि तोड़फोड़ और आगजनी के कारण उसके प्रकाशन अस्थायी रूप से बाधित हुए हैं.

ढाका और अन्य शहरों में हिंसक प्रदर्शन

सबसे बड़ा सवाल यह है कि उस्मान हादी की हत्या के विरोध में निकली भीड़ ने इन दो अखबारों को ही निशाना क्यों बनाया. द डेली स्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इन अखबारों ने हादी की हत्या का माहौल बनाया. उन्होंने दोनों अखबारों को दिल्ली का समर्थक और शेख हसीना का सहयोगी बताया. हालांकि द डेली स्टार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने नारे लगाए कि उन्हें केवल आंदोलन चाहिए और वे खून बहाने से पीछे नहीं हटेंगे. लंदन स्थित बांग्लादेश मामलों के जानकार डेविड बर्गमैन ने कहा कि इन हमलों के पीछे विदेशों में बैठे कुछ बांग्लादेशी यूट्यूबर्स की भूमिका हो सकती है, जो पहले अवामी लीग सरकार के खिलाफ और अब स्वतंत्र और धर्मनिरपेक्ष मीडिया के खिलाफ अभियान चला रहे हैं.

बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा में हाल के महीनों में तेजी देखी गई है, खासकर तब जब देश फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों की तैयारी कर रहा है. हादी की हत्या को लेकर कुछ राजनीतिक समूहों ने भारत विरोधी और Sheikh Hasina विरोधी भावनाओं को भड़काने की कोशिश की है.

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प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने नारे लगाए

मीडिया के एक हिस्से ने यह नैरेटिव भी आगे बढ़ाया कि हादी के हत्यारे के संबंध पूर्व प्रधानमंत्री हसीना से थे और वह वारदात के बाद भारत भाग गया. हालांकि Dhaka Metropolitan Police ने साफ कहा है कि इस तरह के किसी दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं और आरोपी फैसल करीम के भारत जाने की पुष्टि नहीं हुई है.

प्रोथोम आलो ने अपने बयान में कहा कि यह हमले एक सोची समझी साजिश के तहत किए गए और इसमें कुछ स्वार्थी समूहों की भूमिका है, जिन्होंने हादी की हत्या जैसी दुखद घटना का फायदा उठाया. वहीं द डेली स्टार ने आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में देरी हुई, जिसके कारण कर्मचारी घंटों तक फंसे रहे. अखबार ने यह भी कहा कि अंतरिम प्रशासन, जिसकी अगुवाई मोहम्मद युनुस कर रहे हैं, उन्होंने इन खतरों को गंभीरता से नहीं लिया.

हमले एक सोची समझी साजिश के तहत किए गए

द डेली स्टार ने यह भी कहा कि कुछ तत्व जनता के गुस्से को भड़काकर स्वतंत्र और आलोचनात्मक पत्रकारिता करने वाले इन दो अखबारों को निशाना बना रहे हैं. अखबार ने यह स्पष्ट किया कि वह उस्मान हादी की जुलाई आंदोलन में भूमिका को स्वीकार करता है और उनकी मौत पर दुख जताता है, लेकिन हिंसा और भीड़ के हमलों को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता.

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BBC की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह साफ नहीं है कि प्रदर्शनकारियों ने इन्हीं दो मीडिया संस्थानों को क्यों चुना. बीबीसी के अनुसार, ये दोनों अखबार लंबे समय से धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील माने जाते रहे हैं और शेख हसीना के शासनकाल में भी इन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था. जुलाई 2024 के आंदोलन के बाद से इन अखबारों ने अंतरिम सरकार की कुछ नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं, जिससे उनके समर्थक नाराज हो सकते हैं.

भारत विरोधी नैरेटिव के चलते स्वतंत्र मीडिया को निशाना बनाया

शरीफ उस्मान हादी, जो एंटी हसीना मंच इनकिलाब मंच के प्रवक्ता थे, भारत के प्रभाव और अवामी लीग के मुखर आलोचक रहे हैं. दिसंबर 12 को ढाका में प्रचार के दौरान उन्हें गोली मारी गई थी और बाद में सिंगापुर के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई. वह फरवरी 2026 के चुनाव में ढाका आठ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे.

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