चीन ने गुरुवार को कहा कि वो रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर अमेरिका के हालिया प्रतिबंधों का विरोध करता है. चीन ने कहा कि रूसी कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए नए प्रतिबंधों का अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई आधार नहीं है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को रूसी तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाए. इससे ठीक एक दिन पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बुडापेस्ट में उनकी बैठक रोकने की घोषणा की गई थी. ट्रंप ने यह कहते हुए राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपनी बैठक रोक दी कि बातचीत तो अच्छी होती है लेकिन उससे कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता.
रूसी तेल पर नए प्रतिबंधों से भारत और चीन सबसे अधिक प्रभावित होने वाले हैं. प्रतिबंधों के संबंध में भारत की प्रतिक्रिया तो फिलहाल सामने नहीं आई है लेकिन चीन की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
राजधानी बीजिंग में दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन से रूसी तेल पर अमेरिका के नए प्रतिबंधों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'चीन लगातार ऐसे एकतरफा प्रतिबंधों का विरोध करता है जिनका अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई आधार नहीं है और जिन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंजूरी नहीं मिली है.'
इसी दौरान गुओ से ट्रंप की एक टिप्पणी पर भी जवाब मांगा गया. दरअसल, ट्रंप ने कहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की कोशिशों में पुतिन पर 'बड़ा प्रभाव' डाल सकते हैं. इस टिप्पणी पर सवाल पूछे जाने पर गुओ ने संतुलित प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'बातचीत ही यूक्रेन संकट का एकमात्र व्यवहार्य समाधान है.'
उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुओ ने यूरोपीय संघ की तरफ से रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों की भी आलोचना की जिनमें कुछ चीनी कंपनियों को भी निशाना बनाया गया है. उन्होंने कहा कि बीजिंग इससे बेहद असंतुष्ट है.
गुओ ने कहा, 'यूक्रेन संकट न तो चीन की वजह से है और न ही चीन उसका कोई पक्ष है. यूरोपीय देशों को चीन और रूस के बीच सामान्य व्यापारिक संबंधों और सहयोग पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.'