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चीन ने किसे दी नसीहत? कहा- भारत और तुर्की से बचें

चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारत को भी कई अन्य देशों की तरह अपने देश में चीन के निवेश की जांच करनी चाहिए. अब खबर आ रही है कि चीन ने भी अपनी कई कंपनियों को भारत में निवेश के खिलाफ आगाह किया है.

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चीन ने अपनी कंपनियों को भारत में निवेश करने को लेकर आगाह किया है (Photo- Reuters)
चीन ने अपनी कंपनियों को भारत में निवेश करने को लेकर आगाह किया है (Photo- Reuters)

विदेश मंत्री एस. जयशंकर के चीन के साथ व्यापार पर टिप्पणी को लेकर चीन में मचे विवाद के बीच एक बड़ी खबर आई है. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि चीन ने अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों से कहा है कि वो भारत और तुर्की जैसे देशों में निवेश करने से बचें. 

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से अधिक इलेक्ट्रिक कार कंपनियों के अधिकारियों को तथाकथित "विंडो गाइडेंस" के तहत विदेश में प्लांट्स स्थापित करने के रिस्क पर चर्चा के लिए बुलाया था.

मामले के जानकार दो अधिकारियों ने इस बैठक की पुष्टि की है. अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक गाड़ी निर्माताओं से कहा कि वे विदेशों में अपना बिजनेस बढ़ाते वक्त अपनी संपत्ति और टेक्नोलॉजी की बेहतर तरीके से सुरक्षा करें.

'देश से बाहर सप्लाई चेन स्थापित नहीं करें'

चीन में, अधिकारी सरकारी नीति पर कंपनियों को मौखिक या लिखित निर्देश देने के लिए विंडो गाइडेंस का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, जो कंपनियां विंडो गाइडेंस के नीति निर्देशों का पालन नहीं कर पाती हैं, उन्हें देश के नियमों और कानूनों के अनुसार सजा नहीं दी जाती है.

बैठक के दौरान इलेक्ट्रॉनिक व्हिकल बनाने वाली कंपनियों को कहा गया कि वो देश से बाहर जाकर सप्लाई चेन बनाने और बड़े पैमाने पर फैसिलिटीज स्थापित करने के बजाए नॉक-डाउन असेंबली लाइनों पर ध्यान दें. यानी इलेक्ट्रॉनिक व्हिकल्स के प्रमुख हिस्सों का उत्पादन चीन में करें और फिर उन्हें विदेशों में भेजें जहां उन्हें असेंबल कर बेचा जाए.

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'हमें भारत और तुर्की जैसे देशों...'

बैठक को लेकर सूत्रों ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया, 'हमें भारत और तुर्की जैसे देशों में निवेश न करने को भी कहा गया.'

सूत्रों ने बताया कि यह दिशानिर्देश इसलिए दिया गया है क्योंकि देश की नीति बनाने वाले लोग कुछ देशों के साथ बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित हैं जहां स्थानीय अधिकारी और उपभोक्ता चीनी व्यवसायों और उत्पादों का बहिष्कार कर सकते हैं.

इसके अलावा, सरकारी अधिकारियों को ये भी चिंता है कि अगर इलेक्ट्रॉनिक व्हिकल्स के प्लांटस ऐसे देशों में लगाए जाते हैं तो ये देश चीन की टेक्नोलॉजी 'चुरा' सकते हैं.

चीन के साथ व्यापार को लेकर एस जयशंकर की टिप्पणी से हुआ था विवाद

विदेश मंत्री जयशंकर ने 31 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि पूरी दुनिया को चीन के साथ एक कॉमन दिक्कत है. उन्होंने कहा था कि कई देश सुरक्षा कारणों से अपने देश में चीनी निवेश की जांच करते हैं और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए.

विदेश मंत्री ने आगे कहा था, 'केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरा विश्व चीन को लेकर अलग-अलग मुद्दों पर बहस कर रहा है. यूरोप में भी प्रमुख आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा बहस के केंद्र में चीन ही है.'

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विदेश मंत्री के इस बयान से चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को मिर्ची लगी थी और अखबार ने कई लेख छापकर विदेश मंत्री के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली थी.

इसी सोमवार को एक लेख में ग्लोबल टाइम्स ने विदेश मंत्री पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणियों से चीन के प्रति उनकी जलन और नफरत साफ नजर आई. हालांकि, लेख पर विवाद होता देख ग्लोबल टाइम्स ने यह लेख अपनी अंग्रेजी वेबसाइट से हटा लिया था. 

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