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बांग्लादेश में शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाने पर बवाल, छात्रों के दबाव में झुकी यूनुस सरकार

बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार ने छात्र आंदोलन के दबाव में राष्ट्रपति भवन से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटा दी है, जिसे लेकर देश में विवाद छिड़ गया है. कार्यवाहक सरकार, जिसका नेतृत्व मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने छात्रों के दबाव में यह कदम उठाया है.

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन बंगभवन के दरबार हॉल से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को हटा दिया गया है.
बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन बंगभवन के दरबार हॉल से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को हटा दिया गया है.

बांग्लादेश के संस्थापक और देश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन बंगभवन के दरबार हॉल से हटा दिया गया है. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली देश की कार्यवाहक सरकार ने छात्रों के दबाव में यह कदम उठाया है.

दरअसल, अगस्त में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेश में मुजीबुर्रहमान से जुड़े सभी प्रतीकों को निशाना बनाया जा रहा है. मुजीब की तस्वीरों, उनकी मूर्तियों और यहां तक कि उनकी फोटो वाले नोटों तक को हटाने का अभियान चल पड़ा है. इस हद तक विरोध हो रहा है कि उनकी फोटो को 'आंखों का कांटा' माना जा रहा है. हालात यह हैं कि बांग्लादेश के कई हिस्सों में मुजीब से जुड़ी मूर्तियां तोड़ी जा रही हैं और उनकी विरासत को मिटाने की कोशिशें हो रही हैं.

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मुजीब की तस्वीर हटाने की घोषणा रविवार को महफूज आलम ने की, जो यूनुस सरकार में सलाहकार हैं. उन्होंने कहा कि अगस्त के बाद से ही मुजीब की तस्वीर को हटाने की योजना बन रही थी. आलम ने फेसबुक पर लिखा, 'हमने दरबार हॉल से शेख मुजीब की तस्वीर हटा दी है. अब वो वहां नजर नहीं आएंगे.'

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इस फैसले से देश में एक नई बहस छिड़ गई है. यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी, बीएनपी, के कुछ नेताओं ने भी इस कदम की आलोचना की. हालांकि, बीएनपी के वरिष्ठ नेता रुहुल कबीर रिजवी ने पहले आलोचना की, फिर थोड़ी ही देर बाद 'अनावश्यक बयान' बताते हुए माफी मांग ली. उनका कहना था कि 'ऐसे किसी भी प्रतीक को रखना सही नहीं है जो देश में गलत शासन का प्रतीक हो.'

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बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 4A में साफ तौर पर कहा गया है कि 'बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान का चित्र' सरकारी दफ्तरों में हमेशा दिखाया जाना चाहिए. लेकिन यूनुस सरकार ने हाल ही में मुजीब से जुड़ी सभी छुट्टियों को रद्द कर दिया और उनकी फोटो वाले करेंसी नोट भी हटा दिए हैं.

छात्रों की मांग है कि शेख हसीना सरकार से जुड़े सभी लोगों को हटाया जाए और मुजीब से जुड़े प्रतीकों को खत्म किया जाए. इस आंदोलन का नेतृत्व हसनात अब्दुल्ला नाम के छात्र नेता कर रहे हैं. उनका कहना है कि हम मुजीब के खिलाफ नारे लगा रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी तस्वीरें हर जगह लगाती है. ये हमारी भावनाओं का मजाक है.'

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इस कदम को लेकर बांग्लादेश में लोगों के बीच गहरी नाराजगी है. कुछ इसे ऐतिहासिक विरासत को मिटाने की कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ इसे देश की पहचान के खिलाफ कदम बता रहे हैं.

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