
1971 में पाकिस्तान से विभाजित होकर एक देश बना - बांग्लादेश. भारत की इसमें अहम भूमिका रही. तब से ही भारत-बांग्लादेश के रिश्ते अच्छे रहते आए थे. लेकिन, बीते साल बांग्लादेश में जब से शेख हसीना की सरकार हटी है तब से रिश्तों में तल्खियां आ गई हैं. इस बीच बुधवार को बांग्लादेश ने भारत सरकार को गीदड़भभकी दे डाली है.
बांग्लादेश का भारत को संदेश: अवामी लीग की गतिविधियां रोकें
बांग्लादेश सरकार ने भारत का ध्यान इस ओर दिलाया है कि प्रतिबंधित राजनीतिक दल बांग्लादेश अवामी लीग ने कथित तौर पर दिल्ली और कोलकाता में अपने कार्यालय खोले हैं.
बांग्लादेश ने बयान जारी कर कहा कि यह घटनाक्रम उस पृष्ठभूमि में हुआ है जब पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भारत में रहते हुए बांग्लादेश विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. इनमें से कई नेता बांग्लादेश में मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों के मामलों में वांछित हैं और फरार चल रहे हैं.
21 जुलाई 2025 को, एक एनजीओ के नाम पर पार्टी नेताओं ने दिल्ली प्रेस क्लब में सार्वजनिक बैठक करने और प्रेस को बुकलेट्स बांटने की कोशिश भी की थी. भारतीय मीडिया में भी ऐसी गतिविधियों की रिपोर्टें आ चुकी हैं.

बांग्लादेश सरकार ने कहा कि किसी भी प्रतिबंधित दल द्वारा भारत की धरती से चलाया जा रहा राजनीतिक अभियान बांग्लादेश की जनता और राज्य के खिलाफ सीधी चुनौती है. बांग्लादेश ने भारत से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है ताकि कोई भी बांग्लादेशी नागरिक भारत की धरती से बांग्लादेश विरोधी गतिविधियां न कर सके और अवामी लीग के इन कार्यालयों को तुरंत बंद किया जाए.
यह भी पढ़ें: 'ये देश सबका है...', जन्माष्टमी में शामिल होकर बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने कट्टरपंथियों को मैसेज दिया है
हसीना के हटने के बाद क्या-क्या बदलाव आए हैं?
बांग्लादेश में यूनुस के नेतृत्व वाली प्रशासन आने से भारत के रिश्ते ख़राब होते जा रहे हैं. विरोध प्रदर्शनों में भारत-विरोधी भावना देखने को मिली है. सामान्य जनता के बीच भारत के खिलाफ माहौल बन सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर बांग्लादेश में बीएनपी या जमात-ए-इस्लामी जैसे दल सरकार में आती है तो पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ेंगी और भारत की सुरक्षा और बॉर्डर पर खतरे बढ़ सकते हैं.