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शेख हसीना के जाते ही बांग्लादेश की नई सरकार ने चीन से लगाई ऐसी गुहार, रूस से भी मांगी मदद

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए चीन से मदद की गुहार लगाई है. मोहम्मद यूनुस की सरकार ने इस संबंध में चीन को एक पत्र लिखा है. इसी तरह की मदद रूस से भी मांगी गई है.

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मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने चीन से कर्ज में राहत की गुहार लगाई है (Photo- File/Reuters)
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने चीन से कर्ज में राहत की गुहार लगाई है (Photo- File/Reuters)

शेख हसीना के जाते ही बांग्लादेश ने बढ़ते कर्ज को लेकर चीन के आगे अपनी मजबूरी जाहिर की है. नोबेल विजेता प्रो. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने चीन से गुजारिश की है कि वो बांग्लादेश को दिए कर्ज पर ब्याज दर को घटाकर 1% कर दे और इसके कर्ज के देनदारी की अवधि को 30 सालों तक बढ़ा दे. इसे लेकर बांग्लादेश ने चीन को एक पत्र भेजा है.

बांग्लादेश के वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक रिलेशन डिविजन (ERD) सचिव ने अखबार 'द डेली स्टार' से इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इसी हफ्ते की शुरुआत में बांग्लादेश ने चीन को पत्र लिखा है. बांग्लादेश पर चीनी कर्ज की वर्तमान ब्याज दरें 2-3% के बीच हैं और इन्हें आने वाले 20 सालों में बांग्लादेश को चुकाना है.

ईआरडी अधिकारियों ने बताया कि अगर बांग्लादेश पर वर्तमान चीनी कर्ज की ब्याज दरों को कम नहीं करवा पाते हैं तो वो नए कर्ज पर ब्याज कम कराने की कोशिश करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि चीन से आग्रह करेंगे कि वो नए कर्ज की देनदारी का समय भी ज्यादा रखे.

बढ़ते कर्ज को लेकर क्या बोले मोहम्मद यूनुस

बुधवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश अपने तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम करने की कोशिश कर रहा है. इसी कोशिश में विदेशी कर्जों पर कम ब्याज दर और उनकी देनदारी का समय बढ़ाने की मांग कर रहा है.

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प्रोफेसर यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश ने चीन से अपने कर्ज पर ब्याज दरें कम करने और देनदारी की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया है.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर 2016 में बांग्लादेश के अपने दौरे में 27 प्रोजेक्टस का काम आगे बढ़ाने के लिए आने वाले चार सालों में 20 अरब डॉलर देने का वादा किया था. यह राशि बांग्लादेश को किसी भी साझेदार देश की तरफ से दी जाने वाली सबसे बड़ी राशि है.

चीन की तरफ से इतना बड़ा कर्ज का वादा करने के बाद बांग्लादेश और चीन के बीच कई प्रोजेक्ट्स को लेकर समझौते हुए. ईआरडी के आंकड़ों के अनुसार, इस जनवरी तक बांग्लादेश और चीन के बीच केवल नौ प्रोजेक्ट्स पर समझौते करने में सफल रहे थे, जिनकी कुल राशि 8.08 अरब डॉलर थी. चीन के दिए 8.08 अरब डॉलर में से बांग्लादेश केवल 4.91 अरब डॉलर का ही इस्तेमाल कर पाया है.

अब अंतरिम सरकार का कहना है कि बाकी के 18 प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की जाएगी ताकि वर्तमान हालात को देखते हुए उनकी आर्थिक प्राथमिकता निर्धारित की जा सके.

रूस के साथ भी कर्ज से राहत को लेकर बांग्लादेश कर रहा बातचीत

प्रो. यूनुस ने यह भी कहा कि बांग्लादेश ने चीन की तरह रूस से ब्याज दरें कम करने और कर्ज देनदारी की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए एंडवांस पेमेंट और बकाया कर्ज को लेकर रूस से बातचीत कर रही है.

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रूपपुर न्यूक्लियर प्लांट प्रोजेक्ट के कुल लागत का 90 प्रतिशत हिस्सा यानी 11.38 अरब डॉलर रूस कर्ज के रूप में दे रहा है. इसके अलावा भी बांग्लादेश ने प्रोजेक्ट के लिए 50 करोड़ डॉलर का कर्ज रूस से लिया है ताकि प्रोजेक्ट का शुरुआती काम हो सके.

2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण बांग्लादेश को 50 करोड़ डॉलर का कर्ज और इसका ब्याज चुकाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह से बांग्लादेश पर 50 करोड़ डॉलर का यह कर्ज बढ़कर 60 करोड़ डॉलर से अधिक हो गया है.

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