पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश इस समय भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ चुकी हैं. उन्हें भारत में शरण लिए हुए पांच महीने से अधिक का समय भी हो गया है. लेकिन इस बीच देश में तीन महीने के भीतर चुनाव कराने का वादा कर सत्ता में आए मोहम्मद यूनुस अब अपने ही वादे से पलटते नजर आ रहे हैं.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का कहना है कि देश में आम चुनाव 2025 में या फिर 2026 की शुरुआत में होंगे. हालांकि, उन पर चुनाव की तारीख तय करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है.
उन्होंने देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि देश में चुनाव 2025 के अंत में या फिर 2026 की पहली छमाही में हो सकते हैं. मोहम्मद यूनुस ने देश में होने वाले सुधारों के क्रियान्वयन को लेकर एक आयोग गठित किया है. उन्होंने कहा कि मैंने चुनावों की तारीख तय करने से पहले सुधारों पर जोर दिया है. अगर राजनीतिक दल न्यूनतम सुधारों के साथ भी चुनाव कराने को सहमत हो जाते हैं तो चुनाव अगले साल नवंबर तक हो सकते हैं.
बता दें कि बांग्लादेश में पांच अगस्त को हुए तख्तापलट के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में हैं. उन्हें इस तख्तापलट के बीच पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा था. इस बीच बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस, शेख हसीना को लेकर लगातार कड़े बयान देते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शेख हसीना भारत में बैठकर बांग्लादेश को लेकर राजनीतिक बयानबाजी कर रही हैं, जो सही नहीं है. उन्हें दोनों मुल्कों के बीच सौहार्द को बनाए रखने के लिए मुंह पर ताला लगाकर बैठना होगा. हम भारत सरकार से उनके प्रत्यर्पण का अनुरोध करेंगे.
बांग्लादेश में कैसे हुई थी आंदोलन की शुरुआत?
बांग्लादेश की सरकारी नौकरियों में उन लोगों के परिवारों को आरक्षण मिलता था, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाई थी. इस कोटे के खिलाफ वहां उग्र प्रदर्शन शुरू हुए थे. शेख हसीना ने रणनीति और बल दोनों से इस आंदोलन को रोकने की कोशिश की थी लेकिन दोनों ही प्रयास असफल रहे. आखिर में उन्होंने प्रदर्शनकारियों की सभी मांगे मान लीं, लेकिन प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफे पर अड़ गए.
इस बीच पांच अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत आ गईं. वहीं, बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई. कई पुलिस स्टेशनों पर हमला किया गया और आग लगा दी गई. देशभर में भड़की हिंसा की घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई. इसके बाद मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन किया गया.
कौन हैं मोहम्मद यूनुस?
'गरीबों के बैंकर' के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है. उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी. उनके कर्ज देने के इस मॉडल ने दुनिया भर में ऐसी कई योजनाओं को प्रेरित किया. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल हैं.
अमेरिका में यूनुस ने एक अलग गैर-लाभकारी संस्था ग्रामीण अमेरिका की भी शुरुआत की थी. 84 वर्षीय यूनुस जैसे-जैसे सफल होते गए उनका झुकाव राजनीति में करियर बनाने की ओर बढ़ता चला गया. उन्होंने 2007 में अपनी खुद की पार्टी भी बनाने की कोशिश की. लेकिन जब उनकी इस महत्वाकांक्षा ने बड़ा रूप लेना शुरू किया तब शेख हसीना नाराज हो गईं. हसीना ने यूनुस पर पर 'गरीबों का खून चूसने' का आरोप भी लगाया था.