अमेरिका के लॉस एंजेलिस में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में एक बैनर हर जगह नजर आ रहा है, जिसपर लिखा है 'NoKings'. यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के विरोध का नया नारा है, जिसका मतलब है कि अमेरिका में न कोई सिंहासन है, न ताज है और न राजा. यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों को तानाशाही मनमानियां बताने वाले विरोधियों का ताजा तंज है.
इन बैनर्स के साथ लोग राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अवैधअप्रवासियों के खिलाफ धरपकड़ और उनके देशनिकाले की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. अमेरिका के सबसे ज्यादा आबादी वाले कैलिफोर्निया सूबे में यह विरोध प्रदर्शन अब पुलिस-प्रदर्शनकारियों के हिंसक टकराव, लूटपाट और अराजकता में बदल चुके हैं.
ट्रंप पर प्रदर्शनकारी लगा रहे तानाशाही के आरोप!
प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति ट्रंप पर तानाशाही का आरोप लगा रहे हैं तो वहीं ट्रंप अपने खिलाफ हो रहे विरोध को पैसा देकर जुटाई जा रही भीड़ करार दे रहे हैं. हालात यह हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप सेना की टुकड़ियों को तैलात कर चुके हैं जिससे हालात संभलने के बजाए और उलझ गए हैं.
टकराव की आंच केवल कैलिफोर्निया तक सीमित नहीं है. बल्कि दूसरे सूबों में भी ट्रंप विरोधी प्रदर्शनों का सिलसिला तेज हो रहा है. आने वाले 14 जून को जब डॉनल्ड ट्रंप अपना 79वां जन्मिदन मना रहे होंगे. साथ ही अमेरिकी सेना की 250वीं सालगिरह मनाते हुए वाशिंगटन डीसी में सैनिक परेड निकाली जा रही होगी, तो अमेरिका के कई शहरों में नो किंग्स विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी नजर आएगा.
क्यों खास है 14 जून की तारीख?
बताया जा रहा है कि मुल्क भर में करीब 1500 से ज्यादा जगहों पर नो-किंग्स के नारों के साथ इन विरोध प्रदर्शनों का आह्वान ट्रंप विरोधियों की तरफ से दिया गया है. जून 14, वो तारीख है जब सितारों और स्ट्राइप्स वाले अमेरिका के झंडे को स्वीकार किया गया. डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के कुछ ही हफ्तों बाद 14 जून को अमेरिकी सेना की 250वीं सालगिरह के मौके पर भव्य परेड की तैयारियों को हरी झंडी दे दी थी.
हालांकि, उनके इस फैसले पर आलोचना के सुर भी तभी से उठने लगे थे. दुनिया में सबसे बड़ी सैनिक ताकत रखने वाले अमेरिका में किसी औपचारिक सैन्य शक्ति प्रदर्शन वाली परेड की परंपरा नहीं है. ट्रंप के आलोचक इस फैसले को जन्मदिन पर सैनिक शक्ति प्रदर्शन की चाहत भी करार दे रहे हैं.
नो किंग्स के नारे को बुंलद करने वाले और 14 जून को देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान करने वाली संस्था इनडिविजिबल.ओआरजी के मुताबिक जिस दिन राष्ट्रपति ट्रंप अपने जन्मदिन पर सैनिक परेड का प्रदर्शन कर रहे होंगे तो हम देश भर में विरोध प्रदर्शन के जरिए अपनी असहमति का इजहार करेंगे. यह मौका है राजा बनने की चाहत रखने वाले को यह दिखाने का कि लोकतंत्र क्या है और उसकी ताकत क्या है.
ट्रंप के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी
डोनाल्ड ट्रंप के जनवरी 2025 में सत्ता संभालने के बाद उनके खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन और आंदोलन खड़ा करने का यह पहला मौका होगा. लॉस एंजेलिस हालात के बहाने राष्ट्रपति ट्रंप अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपनी नीतियों को सही साबित करने में लगे हैं. बीते चार दिनों से जारी हुड़दंग के बहाने नेशनल गार्ड और मरीन जैसे फौजी दस्तों की तैनाती को भी जायज बताने में लगे हैं.
राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप अपने पिछले कार्यकाल ( 2016-2020) में भी अपने खिलाफ ब्लैक लाइव मैटर्स जैसे विरोध प्रदर्शन और धरनों का सिलसिला देख चुके हैं. ट्रंप इसे भले नकारते रहे हों लेकिन, बीएलएम के धरने-प्रदर्शनों ने उनकी सत्ता ही नहीं, बल्कि 2020 की चुनावी रेस में भी नुकसान उठाना पड़ा था. ऐसे में ट्रंप अपनी दूसरी पारी के शुरुआती महीनों में ही धरने-प्रदर्शनों की इस सियासत को कितनी जगह देते हैं और कैसे संभालते हैं यह उनकी सियासत की परीक्षा भी होगी.