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भारत से चल रही टेंशन के बीच पाकिस्तान ने चावल की खेती पर लगाई रोक, पानी की बर्बादी का दिया हवाला

भारत से टेंशन के बीच पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने चावल की खेती पर रोक लगा दी है. सरकार ने तर्क दिया कि अगेती चावल की खेती से कीटों के हमले की संख्या बढ़ा जाती है, जिससे पानी की बर्बादी हो सकती है. इसकी वजह से चावल की खेती पर 20 मई तक रोक लगाई गई है.

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धान की बुवाई करते किसान. (फाइल फोटो)
धान की बुवाई करते किसान. (फाइल फोटो)

भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान के कृषि विभाग ने पंजाब में चावल की खेती पर रोक लगा दी है. सरकार ने अपने इस फैसले के पीछे पानी की बर्बादी और फसलों पर कीटों के हमले का तर्क दिया है. साथ ही सरकार ने निर्देशों का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

पाकिस्तान की पंजाब सरकार के कृषि विभाग ने पंजाब कृषि कीट अध्यादेश 1959 और 1960 के तहत एक नया निर्देश जारी किया है. अधिसूचना के अनुसार, सरकार ने धान की अगेती (जल्दी) बुवाई पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने किसानों को 20 मई से पहले धान की बुवाई न करने का निर्देश दिया है और आदेश को न मानने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.

अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने ये फैसला कीटों के हमलों के प्रकोप से बचाने और बेहतर उपज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और इलाके में जल संसाधनों की रक्षा करने के चलते लिया गया है.

अधिसूचना में किसानों के सलाह दी गई है कि वह दंड से बचने और सफल चावल की फसल सुनिश्चित करने के लिए इन दिशा-निर्देशों का सावधानी से पालन करें. इस कृषि नीति के कार्यान्वयन से बेहतर फसल उत्पादन परिस्थितियों को बनाए रखते हुए किसानों और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होने की उम्मीद है.

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सरकार का कहना है कि पंजाब के कृषि क्षेत्र में चावल एक महत्वपूर्ण फसल है और जल्दी बुआई करने से कीटों की हमलों की संख्या बढ़ सकती है और पानी की बर्बादी हो सकती है. साथ ही सरकार कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

जारी है भारत का एक्शन

आपको बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल है. भारत ने हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेते हुए सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया है और चिनाब नदी पर बने बांध को भी बंद कर दिया है. पाकिस्तान के साथ भारत के सभी तरह के कूटनीतिक रिश्ते रसातल में चले गए हैं.

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