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आलीशान कोठी से लेकर धनंजय सिंह से करीबी तक...कौन है वो आलोक सिपाही, जिसे CM योगी ने बताया सपाई

कोडिन कफ सिरप मामले के बीच सदन में मुख्यमंत्री योगी के 'आलोक सिपाही है सपाई ' बयान से सियासी हलचल तेज हो गई. आलोक प्रताप सिंह धनंजय सिंह का करीबी रहा है वह उसे अपना छोटा भाई बताते रहे हैं. उस पर आपराधिक आरोप, ईडी की छापेमारी व करोड़ों की संपत्तियों की जांच चल रही है. अब उसकी अखिलेश यादव के साथ तस्वीर सामने आने के बाद सपा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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आलोक सिंह की फोटो धनंजय सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक के साथ मिली है (Photo ITG)
आलोक सिंह की फोटो धनंजय सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक के साथ मिली है (Photo ITG)

उत्तर प्रदेश में चल रही शीतकालीन विधानसभा सत्र में कोडिन कफ सिरप पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा आलोक सिपाही, है सपाई वाले बयान से समाजवादी पार्टी को कटघरे में ला दिया है. आइए जानते हैं आखिर कौन है वह आलोक सिपाही जिसकी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ तस्वीर सामने आई तो बीजेपी उसे सपाई बताने लगी.

धनंजय सिंह आलोक को बताते हैं अपना छोटा भाई

वैसे जौनपुर से पूर्व सांसद रहे धनंजय सिंह जिस आलोक सिंह को अपना छोटा भाई बताते हैं. जिस आलोक सिंह की आलीशान कोठी धनंजय सिंह की कोठी के ठीक सामने बनी है,जिसपर ईडी की टीमें 38 घंटे तक जांच करती रही,वैल्यूएशन करती रही वो आलोक प्रताप सिंह चंदौली के कैथी गांव का रहने वाला है. आलोक सिंह के पिता स्वर्गीय बीपी सिंह रेलवे मेल सर्विसेज आरएमएस में तैनात थे. आलोक सिंह तीन भाई हैं बड़े भाई यूपी पुलिस में ही सिपाही से भर्ती हुए अब सब इंस्पेक्टर हैं आलोक सिंह दूसरे नंबर पर है और तीसरा भाई गांव में रहता है.

1997 में बना सिपाही 

1997 में आलोक प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही बना और उसकी पहली पोस्टिंग गोंडा हो गई. गोंडा में तैनाती के दौरान ही आलोक सिंह का अपराधियों में नेटवर्क बढ़ाया था. साल 2005 में आलोक की पोस्टिंग लखनऊ में हुई तो उसे लखनऊ क्राइम ब्रांच में तैनात किया गया. 19 सितंबर 2006 को क्राइम ब्रांच में तैनाती के दौरान आलोक सिंह के साथ गोरखपुर में तैनात रहे सब इंस्पेक्टर बृजनाथ यादव श्रावस्ती में तैनात रहे सब इंस्पेक्टर संतोष सिंह, कांस्टेबल संतोष तिवारी और क्राइम ब्रांच में साथी सिपाही सुशील के साथ मिलकर प्रयागराज के व्यापारी से 3 किलो सोना लूटने का आरोप लगा. आशियाना थाने में एफआईआर दर्ज हुई. पुलिस ने चार्जशीट लगाई. कोर्ट में मुकदमा चला और साल 2022 मे आलोक सिंह समेत सभी आरोपियों को सोना लूट कांड से बरी कर दिया गया.

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जेल भी जा चुका है आलोक 

सोना लूट कांड में आलोक सिंह पर एफआईआर दर्ज हुई पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा और वहीं से उसका विभाग से मोह भंग हो गया. लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही आलोक सिंह की पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी हो गया था. सोना लूट कांड में आलोक सिंह जेल गया, मुसीबत आई तो धनंजय सिंह ने उसकी मदद की और उसके बाद आलोक सिंह हमेशा के लिए धनंजय सिंह के साथ हो गया. विभाग ने आलोक सिंह को बर्खास्त किया तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने आलोक सिंह समेत सभी पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी रद्द कर दी और आलोक की विभाग में वापसी हो गई.

हमेशा रहा विवादों से नाता 

विभाग में वापसी हो गई लेकिन किसी न किसी विवाद में आलोक सिंह का नाम आता गया. साल 2019 में नाका में व्यापारी से 5 लाख की लूट में आलोक सिंह का नाम आया. जुलाई 2019 में हजरतगंज में दिनदहाड़े पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि शाहिद जाफरी और उनके भाई नामवर पर गोली चली तो शक के आधार पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ-साथ आलोक सिंह को नामजद किया. हालांकि इस मामले की जांच लखनऊ पुलिस से एसटीएफ को सौंपी गई और एसटीएफ ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी. यह कभी साफ नहीं हो पाया कि शाहिद पर गोली किसने चलाई क्यों चलाई या फिर पेशबंदी में ही सही शाहिद ने गोली अपने ऊपर किससे चलवाई?

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निधि नैथानी ने किया बर्खास्त 

पिछला बैकग्राउंड और दिनदहाड़े दो भाइयों पर फायरिंग में आलोक सिंह का नाम आया तो तत्कालीन एसएसपी कला निधि नैथानी ने आलोक सिंह की बर्खास्तगी की फाइल चला दी. विभागीय जांच पूरी होने के बाद साल 2022 में आलोक सिंह को बर्खास्त कर दिया गया. आलोक सिंह ने इस बार बर्खास्तगी के बाद विभाग का दरवाजा नहीं खटखटाया और वह पूरी तरह से पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ हो गया.

आलोक सिंह की वजह से ही एसटीएफ में रवानगी की लिखने का तरीका बदला

एसटीएफ में तैनात रहे पुराने अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि आलोक सिंह एसटीएफ में तैनात था तब भी वह अपराधियों के एक गुट के संपर्क में था, उनकी मदद करता था. लखनऊ के एक ऐसे ही सनसनीखेज मर्डर में एक बदमाश पर इनाम हुआ था. एसटीएफ की टीमें इस इनामी को पकड़ने के लिए दूसरे जिले में स्थित उसके घर के लिए रवाना हुई तो कहा जाता है कि आलोक सिंह ने ही उस समय उस ईनामी को फोन कर सचेत कर दिया था. इसके बाद वह इनामी बदमाश मोटर साइकिल से घर से भागा,मोटर साइकिल को नाव पर रखकर नदी पार की और फिर फरार हो गया था. उसके बाद से ही यूपीएसटीएफ में एक नई व्यवस्था लागू की गई. एसटीएफ की जनरल डायरी में अब जब भी कोई टीम किसी बदमाश को पकड़ने के लिए रवाना होती है तो वह जिला नहीं लिखती की टीम कहां और किसे पकड़ने रवाना हो रही है. अब सिर्फ गैर जनपद गैर राज्य लिखकर ही टीम रवाना हो जाती है ताकि विभाग में ही मुखबिरी ना हो.

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20 हजार स्क्वायर फीट में बनी इस आलीशान कोठी

बीते दिनों ईडी ने कोडिन कफ सिरप तस्करी मामले में आलोक सिंह की लखनऊ में सुल्तानपुर रोड पर स्थित आलीशान कोठी पर छापेमारी की थी. करीब 20,000 स्क्वायर फीट में बनी इस आलीशान कोठी का वैल्यूएशन करने में कोठी में रखे दस्तावेजों की जांच करने में 36 घंटे से ज्यादा का वक्त ईडी को लग गया. सूत्रों के माने तो ईडी को आलोक सिंह के कोठी से लखनऊ बाराबंकी उन्नाव की कई वेशकीमती प्रॉपर्टी के कागजात मिले हैं. कहा जा रहा है कोडिन कफ सिरप की तस्करी से हो रही कमाई को आलोक सिंह रियल स्टेट में निवेश कर रहा था. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ आलोक सिंह के अलावा जिस दूसरे शख्स की तस्वीर सामने आई जिसे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने डब्बू यादव बताया वह भी समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक का करीबी रिश्तेदार है. बताया जाता है बाराबंकी का रहने वाले इसी डब्बू यादव के जरिए आलोक सिंह रियल एस्टेट में अपनी काली कमाई को खपा रहा था. इसी कनेक्शन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बयान देते हुए समाजवादी पार्टी को चेताया था कि बुलडोजर चलेगा तो चिल्लाना मत और आलोक सिपाही है सपाई.

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