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UPSC स्टूडेंट ने अपना प्राइवेट पार्ट काटा, बोला- जेंडर चेंज कर बनना है लड़की; खुद एनेस्थेसिया का इंजेक्शन लगाकर ब्लेड से कर डाली 'सर्जरी'

प्रयागराज जिले में UPSC की तैयारी कर रहे एक छात्र ने खुद का प्राइवेट पार्ट काट लिया. उसने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह अपना जेंडर चेंज करना चाहता था. इस हैरान कर देने वाली घटना की जानकारी मकान मालिक को तब हुई, जब छात्र दर्द से कराहने लगा. आइए जानते हैं पूरी कहानी...

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घायल छात्र का अस्पताल में इलाज चल रहा (Photo- representational)
घायल छात्र का अस्पताल में इलाज चल रहा (Photo- representational)

प्रयागराज में यूपीएससी की तैयारी करने वाले एक युवक ने खुद से अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया. जब युवक कमरे में दर्द से तड़पने लगा तो आसपास के लोगों को इसकी जानकारी हुई. वे आनन-फानन में उसे लेकर अस्पताल पहुंचे. वहां पर जब युवक ने इस कदम को उठाने के पीछे की वजह तो बताई तो हर कोई सन्न रह गया.  

दरअसल, युवक अपना जेंडर चेंज करना चाहता था. इसके लिए उसने पहले तो खुद को एनेस्थेसिया का इंजेक्शन लगाया, फिर सर्जिकल ब्लेड से अपना प्राइवेट पार्ट काट दिया. कमरे में तड़प रहे युवक को मकान मालिक ने पास के बेली अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से डॉक्टरों ने गंभीर हालत देखते हुए उसे एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया. 

अस्पताल में भर्ती इस युवक की उम्र 22-23 साल बताई जा रही है. उसने कहा कि वह अपना जेंडर चेंज कर लड़की बनना चाहता है. इसके लिए खुद एनेस्थेसिया का इंजेक्शन लगाया और इसके बाद सर्जिकल ब्लेड से प्राइवेट पार्ट को काट दिया. लेकिन दर्द होने पर चीखने- चिल्लाने लगा. जिसे सुनकर मकान मालिक आ गए और उन्होंने उसे अन्य लोगों की मदद से डॉक्टर के पास पहुंचाया. 

खुद युवक ने बताई पूरी कहानी 

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एसआरएन अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती युवक का इलाज चल रहा है. युवक का कहना है कि वह लड़का नहीं बल्कि लड़की है. लेकिन कोई उसकी यह बात नहीं सुनता था. इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया. वह अब लड़की ही बनना चाहता है. उसके मुताबिक, जब वह 14 साल का तभी उसे यह लगने लगा था कि मैं एक लड़की हूं.  

युवक अमेठी जिले का रहने वाला है. उसके अनुसार, मां-बाप का इकलौता लड़का होने के कारण वह अपने परिवार वालों से कुछ नहीं बता पाता था. कुछ दिन अपनी मौसी के यहां रहा था. इसके बाद पढ़ाई करने के लिए प्रयागराज आ गया. शहर में एक किराये का कमरा लेकर रह रहा था और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. 

जेंडर चेंज करने के लिए यूट्यूब पर करता था सर्च

लेकिन पढ़ाई के दौरान वह जेंडर चेंज करने के लिए यूट्यूब पर सर्च करता रहता था. युवक ने कटरा में एक झोलाछाप डॉक्टर जेनिथ से संपर्क किया. उसी के कहने पर एनेस्थिसिया का इंजेक्शन और सर्जिकल ब्लेड मेडिकल स्टोर से खरीदा. फिर खुद ही इंजेक्शन लगाया और जब कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया, तो इसके बाद अपने हाथों से प्राइवेट पार्ट काट दिया. 

जब तक एनेस्थीसिया इंजेक्शन का असर रहा तब तक वह सामान्य स्थिति में था. मगर एनेस्थीसिया का असर खत्म होते ही वह दर्द से तड़प उठा. हालांकि, शर्म की वजह से किसी से कहना नहीं चाहता था. करीब एक घंटे तक कमरे में युवक दर्द से तड़पता रहा. दर्द की दवा भी खाई लेकिन कोई खास असर नहीं हुआ. उधर, फर्श पर ब्लड बह रहा था. जिसके बाद मकान मालिक ने एंबुलेंस बुलाई और उसे लेकर तेज बहादुर सप्रू बेली अस्पताल पहुंचे. वहां उसकी हालत गंभीर देखते हुए उसे स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. 

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फिलहाल, एसआरएन अस्पताल में भर्ती कर विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने इलाज में शुरू किया है. युवक का कहना है कि मुझे लड़कियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं है. मुझे लगता है कि मेरी आवाज भी लड़कियों जैसे ही है. मेरी चलने की भी स्टाइल भी लड़कियों जैसी है. जेंडर चेंज करना चाहता था, बस इसीलिए प्राइवेट पार्ट काटने जैसा जोखिम भरा कदम उठाया. 

मां का रो-रो कर बुरा हाल 

उधर, बेटे की हालत देखकर मां के आंसू नहीं थम रहे हैं. देखभाल के लिए मां भी अस्पताल पहुंच गई है. वार्ड में जो भी डॉक्टर पहुंचता है उसे देखकर मां हाथ जोड़ ले रही है. सिर्फ यही गुहार लगा रही है कि उसके इकलौते बेटे को किसी तरह से पहले की तरह कर दें. 

सर्जन ने कही ये बात

एसआरएन अस्पताल के मीडिया प्रभारी और वरिष्ठ सर्जन संतोष सिंह के ने बताया कि छात्र जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्फोरिया की बीमारी से पीड़ित है. उसने अपने हाथ से ही अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया था. जब वह अस्पताल लाया गया था तो प्राइवेट पार्ट से काफी ब्लीडिंग हो रही थी. सर्जन के मुताबिक, इस बीमारी में मरीज को लगता है कि वह लड़की है, इसलिए वह बदलाव के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल देता है.

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उन्होंने कहा कि यदि समय रहते छात्र अस्पताल नहीं पहुंचता तो उसकी जान भी जा सकती थी. छात्र की काउंसिलिंग कराई जाएगी और उसकी राय भी ली जाएगी. अगर इसके बावजूद भी वह जेंडर चेंज करना चाहता है तो एक साल तक इलाज और हार्मोन की दवा चलाने के बाद उसका जेंडर चेंज करने की प्रक्रिया की जा सकती है. 

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